Subhas Chandra Bose: सामने आई नेताजी के जीवन से जुड़ी 74 साल पुरानी किताब, रहस्यों से उठेगा पर्दा
Subhas Chandra Bose Book केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया था कि वो जुलाई 2011 के अंत तक किताब को प्रकाशित कर देगी लेकिन ये संभव नहीं हो सका। अब इससे जुड़ा का एक नोट सामने आया है। अब तक ये किताब गोपनीय है।
कोलकाता, एजेंसी। Netaji Subhas Chandra Bose Jayanti: आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती मनाई जा रही है। इस महान स्वतंत्रता सेनानी के जीवन से जुड़ी कई चीजें रहस्य बनी हुई हैं। आज भी ये पता नहीं चल पाया है कि उनकी मृत्यु कब और कैसी हुई। अब एक और नई बात सामने आई है। बताया जा रहा है कि 1949-50 में रक्षा मंत्रालय के लिए 'आईएनए के इतिहास' पर एक किताब लिखी गई है। जिसे आज तक गोपनीय रखा गया है। इस किताब को दिवंगत प्रोफेसर प्रतुल चंद्र गुप्ता के नेतृत्व में इतिहासकारों की एक टीम ने संकलित किया था।
सामने आया किताब से जुड़ा नोट
शोधकर्ताओं ने जनता के लिए इसे जारी कराने का कई बार प्रयास किया। यहां तक कि केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को आश्वासन भी दिया था कि वो इसे 2011 के जुलाई के अंत तक प्रकाशित कर देगी, लेकिन ये संभव नहीं हो सका। अब इससे जुड़ा का एक नोट सामने आया है, जिसे टीएमसी सांसद व नेताजी के जीवन पर रिसर्च करने वाले शोधकर्ता सुखेंदु शेखर रे ने साझा किया है। इसमें कहा गया है कि इस किताब के प्रकाशन से किसी भी देश के साथ भारत के संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा। लेकिन नेताजी की मृत्यु से संबंधित इस किताब का पेज (186-191) अधिक विवादास्पद होने की संभावना है।
किताब के प्रकाशित होने के बाद ही उठ सकेगा राज से पर्दा
नोट में कहा गया है कि किताब के इन पेजों में ये बताया गया हो सकता है कि सुभाष चंद्र बोस विमान दुर्घटना से जीवित बच गए हों। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। रहस्य का खुलासा किताब के प्रकाशन के बाद ही हो सकेगा। टीएमसी सांसद ने आगे बताया कि नेताजी के साथी आबिद हसन सहित अन्य चश्मदीद गवाहों ने गवाही दी है कि बोस की मृत्यु 18 अगस्त, 1945 को ताइपे में एक हवाई दुर्घटना में हुई थी। हालांकि कुछ लोगों को इस पर संदेह है। रे ने कहा कि जनवरी 2021 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बारे में लिखा था और पुस्तक के विमोचन की गुहार लगाई थी। लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि नोट में ये भी कहा गया है कि विदेश मंत्रालय को इस तरह के प्रकाशन को लेकर राजनीतिक दृष्टिकोण से कोई आपत्ति नहीं हो सकती है।
डीएनए परीक्षण की मांग
गौरतलब है कि नेताजी के परिवार के अधिकांश सदस्य, उनकी बेटी अनीता बोस और परपोते व प्रख्यात इतिहासकार सुगातो बोस मानते हैं कि नेताजी की मृत्यु 1945 में ताइपे में दुर्घटना में हुई थी। वो मांग करते रहे हैं कि विमान दुर्घटना के बाद जापान में रखे अवशेषों को वापस लाया जाए और डीएनए परीक्षण किया जाए ताकि इस मुद्दे का हमेशा के लिए समाधान हो सके।
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