Vice President Oath: बंगाल के राज्यपाल रहे धनखड़ के उपराष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह में शरीक नहीं हुआ तृणमूल का कोई प्रतिनिधि

Vice President Oathधनखड़ के शपथ ग्रहण समारोह में शरीक नहीं हुआ तृणमूल का कोई प्रतिनिधि कम नहीं हुई है नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति के प्रति तृणमूल की कड़वाहट।नियमों के मुताबिक समारोह में लोकसभा में तृणमूल के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय और राज्यसभा में पार्टी नेता डेरेक ओ ब्रायन को आमंत्रित किया गया था।

By Priti JhaEdited By: Publish:Thu, 11 Aug 2022 03:58 PM (IST) Updated:Thu, 11 Aug 2022 04:03 PM (IST)
Vice President Oath: बंगाल के राज्यपाल रहे धनखड़ के उपराष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह में शरीक नहीं हुआ तृणमूल का कोई प्रतिनिधि
Vice President Oath: बंगाल के राज्यपाल रहे जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। Vice President Oath: बंगाल के राज्यपाल रहे जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद भी तृणमूल कांग्रेस के मन में उनके प्रति कड़वाहट कम नहीं हुई है। गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित हुए धनखड़ के शपथ ग्रहण समारोह में तृणमूल का कोई प्रतिनिधि शरीक नहीं हुआ। नियमों के मुताबिक समारोह में लोकसभा में तृणमूल के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय और राज्यसभा में पार्टी नेता डेरेक ओ ब्रायन को आमंत्रित किया गया था। सुदीप समारोह के समय कोलकाता में थे।

उन्होंने कहा कि तृणमूल कभी किसी उपराष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शरीक नहीं हुई है इसलिए इस बार भी ऐसा ही किया गया। दूसरी तरफ डेरेक दिल्ली में मौजूद होने के बावजूद जरूरी काम का हवाला देकर समारोह में शरीक नहीं हुए।

सियासी विश्लेषकों का कहना है कि बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी और जगदीप धनखड़ के कटु रिश्ते जगजाहिर हैं। उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने से ठीक पहले धनखड़ बंगाल के राज्यपाल थे और राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर लगातार ममता सरकार पर सवाल उठाते आ रहे थे। बंगाल के राज्यपाल रहे जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद भी तृणमूल कांग्रेस के मन में उनके प्रति कड़वाहट कम नहीं हुई है।

उन्होंने कहा था कि बंगाल में कानून का राज नहीं बल्कि सत्ताधारी दल का कानून चलता है। दूसरी तरफ तृणमूल ने उन्हें सीधे तौर पर भाजपा का एजेंट करार दिया था। तृणमूल उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रही थी इसलिए उसने न तो धनखड़ का समर्थन किया था और न ही विरोध।

इसे लेकर वामदलों व कांग्रेस ने ममता की पार्टी पर सवाल उठाते हुए कहा था कि धनखड़ को चुनाव जीतने में सहूलियत करने के लिए ही उसने ऐसा किया, हालांकि धनखड़ के उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद उनके शपथ ग्रहण समारोह में शरीक न होकर तृणमूल ने साफ कर दिया है कि उनके प्रति कड़वाहट कम नहीं हुई है। 

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