कोरोना से मृत्यु के पांच महीने के बाद हाई कोर्ट ने दिया डीएनए टेस्ट का आदेश

परिवार के सदस्यों ने अंग बिक्री का आरोप लगाते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय में दायर की है याचिका। कलकत्ता हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। काकली को 22 अप्रैल को कोरोना से पीड़ित होने के बाद कोलकाता से सटे बेलघरिया स्थित मिडलैंड नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Tue, 05 Oct 2021 06:21 PM (IST) Updated:Tue, 05 Oct 2021 09:13 PM (IST)
कोरोना से मृत्यु के पांच महीने के बाद हाई कोर्ट ने दिया डीएनए टेस्ट का आदेश
नर्सिंग होम के खिलाफ हाईकोर्ट में मामला। परिवार ने धारा 302 यानी हत्या के तहत याचिका दायर की थी।

 राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजशेखर मंथा ने मृतका की मौत के पांच महीने बाद उसके डीएनए टेस्ट के आदेश दिए हैं। बता दें कि काकली सरकार को 22 अप्रैल को कोरोना से पीड़ित होने के बाद कोलकाता से सटे बेलघरिया स्थित मिडलैंड नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था, लेकिन 25 अप्रैल की सुबह उनका निधन हो गया था। मृतका की मौत के बाद परिवार के सदस्यों ने अंग बिक्री का आरोप लगाते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। परिवार ने दावा किया कि मौत से पहले काकली देवी ने जानकारी दी थी कि यहां अंगों की बिक्री का एक बड़ा गिरोह काम कर रहा है। नर्सिंग होम उनके अंगों को बेचने की योजना बना रहा है। आरोप के कुछ देर बाद ही नर्सिंग होम की एक नर्स ने एक इंजेक्शन लगाया और काकली देवी की मौत हो गई थी।

स्वास्थ्य आयोग ने दो लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था

-मृतका की मौत के बाद परिवार स्वास्थ्य आयोग में शिकायत की थी। स्वास्थ्य आयोग में पूरे मामले की सुनवाई हुई थी। सुनवाई के बाद स्वास्थ्य आयोग ने दो लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था, लेकिन इससे परिवार के लोग संतुष्ट नहीं थे और परिवार के सदस्यों ने बेलघरिया स्थित मिडलैंड नर्सिंग होम के खिलाफ सीआइडी ​​या अन्य जांच एजेंसी से जांच कराने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में मामला दर्ज किया गया था। परिवार के सदस्यों ने धारा 302 यानी हत्या के तहत याचिका दायर की थी।

अदालत ने दिया शव के डीएनए टेस्ट का आदेश

-परिवार के सदस्यों द्वारा याचिका दायर करने के बाद 13 सितंबर को कोर्ट ने मृतका के शव के दूसरे पोस्टमार्टम का आदेश दिया था। एनआरएस अस्पताल के तीन डॉक्टरों की एक विशेष टीम बनाकर शव परीक्षण का आदेश जारी किया गया था। अदालत ने विशेष टीम को यह देखने का भी निर्देश दिया कि क्या मृतक के शरीर में कोई अंग था या कोई अंग बदला गया था या नहीं, लेकिन दूसरे पोस्टमार्टम के दौरान परिजनों ने शव की शिनाख्त करने से इन्कार कर दिया। आज की सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजशेखर मंथा ने मृतका की मौत के पांच महीने बाद उसके डीएनए टेस्ट के आदेश दिए हैं।

chat bot
आपका साथी