West Bengal: घाटे में चल रही तीन इकाइयों को बंद नहीं करेगी सेल

SAIL. सेल के अध्यक्ष अनिल कुमार चौधरी ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर उनकी घाटे में चल रही तीन स्टील उत्पादन इकाइयों के खरीदार नहीं मिलते हैं तो भी इसे बंद नहीं किया जाएगा।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Mon, 10 Feb 2020 06:21 PM (IST) Updated:Mon, 10 Feb 2020 06:21 PM (IST)
West Bengal: घाटे में चल रही तीन इकाइयों को बंद नहीं करेगी सेल
West Bengal: घाटे में चल रही तीन इकाइयों को बंद नहीं करेगी सेल

कोलकाता, जागरण संवाददाता। SAIL. सरकारी कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के अध्यक्ष अनिल कुमार चौधरी ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर उनकी घाटे में चल रही तीन स्टील उत्पादन इकाइयों के खरीदार नहीं मिलते हैं, तो भी इसे बंद नहीं किया जाएगा।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने घाटे में चल रही पश्चिम बंगाल के एलॉय स्टील प्लांट (एएसपी), तमिलनाडु की सालेम स्टील प्लांट (एसएसपी) और कर्नाटक के विश्वेश्वरा आयरन एंड स्टील प्लांट (वीआइएसपी) बेचने की मंजूरी दे दी है। बीते वित्त वर्ष में तीनों कंपनियों को मिला कर कुल 370 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था।

पिछले साल जुलाई में निवेश विभाग व सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन (डीआइपीएएम) ने सेल की इन तीन इकाइयों के 100 फीसद शेयर की बिक्री के लिए निविदा आमंत्रित किया था। हालांकि निविदा जमा करने की आखिरी तिथी को तीन बार बढ़ाया गया है।

यह पूछे जाने पर कि उपयुक्त खरीदार नहीं मिलने पर क्या तीनों इकाइयों को बंद कर दिया जाएगा, सेल के अध्यक्ष चौधरी ने स्पष्ट किया कि बिक्री की प्रक्रिया जारी है। हम इनमे से किसी भी इकाई को बंद नहीं करेंगे। तीनों इकाइयां मांग के अनुरूप कार्यरत हैं। हालांकि सभी अपनी क्षमता से कम उत्पादन कर रही हैं। उन्होंने बताया कि सेल की इन तीन इकाइयों में कुल मिला कर 1972 कर्मचारी कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि प्राप्त निविदाओं की जांच का काम जारी है।

2012 में सेल ने जापान की स्टील कंपनी कोबे स्टील के साथ मिल कर आयरन नगेट्स (लोहे की डली) बनाने की योजना पर काम शुरू किया। इसका उत्पादन पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर स्थित एलॉय स्टील प्लांट में होना था। लेकिन परियोजना सफल नहीं हो सकी।

इधर, जानकार सरकार के इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। पूर्वी भारत में स्टील उद्योग के माध्यम से विकास की महत्वाकांक्षी योजना, मिशन पूर्वोदय को प्राथमिकता देने के बाद इकाइयां बेचने का औचित्य लोगों को समझ नहीं आ रहा है।

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