कलकत्ता हाई कोर्ट ने जीटीए चुनाव पर रोक के लिए दायर याचिका खारिज की

कलकत्ता हाई कोर्ट ने दार्जिलिंग में गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के 26 जून को होने वाले चुनाव पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दी। याचिकाकर्ता गोरखा नेशनल लिब्रेशन फ्रंट ने 10 मई 2022 की अधिसूचना को रद करने का अनुरोध किया था।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Sat, 25 Jun 2022 06:13 PM (IST) Updated:Sat, 25 Jun 2022 07:49 PM (IST)
कलकत्ता हाई कोर्ट ने जीटीए चुनाव पर रोक के लिए दायर याचिका खारिज की
कलकत्‍ता हाई कोर्ट ने जीटीए चुनाव पर रोक लगाने से किया इंकार। सांकेतिक तस्‍वीर।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कलकत्ता हाई कोर्ट ने दार्जिलिंग में गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के 26 जून को होने वाले चुनाव पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि जीटीए अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के संबंध में बाद की तारीखों पर सुनवाई की जाएगी।

न्यायमूर्ति मौसमी भट्टाचार्य ने अपने आदेश में कहा-'यह अदालत रिट याचिका पर सुनवाई होने तक 10 मई, 2022 को शुरू की गई चुनाव प्रक्रिया के संबंधी में किए गए अनुरोध अथवा वादियों को चुनाव परिणामों पर कोई प्रभाव डालने से रोकने संबंधी राहत देने की इच्छुक नहीं है। इस याचिका के संबंध में 27 जुलाई, 2012 को हाई कोर्ट की एकल पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में निर्देशित किया है कि जीटीए चुनाव और निर्वाचित पदाधिकारियों को याचिका पर होने वाले फैसले का पालन करना होगा।' न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने आगे कहा- 'इस अदालत का मानना है कि यह अंतरिम आदेश रिट याचिकाकर्ताओं को पर्याप्त संरक्षण प्रदान करता है, ऐसे में मतदान से दो दिन पहले चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने की आवश्यकता नहीं है।'

याचिकाकर्ता गोरखा नेशनल लिब्रेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) ने जीटीए चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी 10 मई 2022 की अधिसूचना को रद करने का अनुरोध किया था।

एक दशक बाद हो रहे जीटीए चुनाव पर सभी की नजर

बंगाल के पहाड़ी जिलों में गत कुछ सालों में हुए राजनीतिक बदलाव के बीच जीटीए के लिए रविवार को मतदान होगा जिसपर सभी की नजर है।

अर्ध स्वायत्त परिषद के 45 सदस्यों के लिए होने वाले चुनाव में पहाड़ी जिलों की पांरपरिक पार्टियां जैसे गोरखा जनमुक्ति मोर्चा(जीजेएम), गोरखा नेशनल लिब्रेशन फ्र ंट (जीएनएलएफ) हिस्सा ले रही हैं। वहीं, भाजपा चुनाव का बहिष्कार कर रही है जबकि हाल में दर्जीलिंग नगर निकाय चुनाव जीतने वाली हाम्रो पार्टी पहली बार जीटीए चुनाव में सभी सीटों पर किस्मत आजमा रही है। हालांकि, जिन पार्टियों ने चुनाव का बहिष्कार किया है, उनके कई नेता बतौर निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं।

हाम्रो पार्टी नई ताकत के रुप में उभरी

जीएनएलएफ के पूर्व नेता और दार्जिलिंग के रेस्तरां व्यवसायी अजय एडवर्ड ने हाम्रो पार्टी बनाई है, जो पहाड़ में नई राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी है।

एडवर्ड ने कहा-'हमें निकाय चुनाव में दार्जिलिंग नगपालिका में मिली जीत की तरह ही जीटीए में भी जीत का भरोसा है। पहाड़ों में रहने वाले लोग इन पार्टियों के झूठे वादों से तंग आ चुके हैं, जिन्होंने उनके साथ सिर्फ विश्वासघात किया है।' उल्लेखनीय है कि 2011 में 34 साल के वाममोर्चा शासन के बाद तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आई। इसके बाद जीजेएम अध्यक्ष बिमल गुरुंग, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम की उपस्थिति में जीटीए का गठन किया गया।

नए अर्ध स्वायत्त परिषद ने दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल का स्थान लिया, जो 1988 से पहाड़ी जिलों का प्रशासन देख रही थी। जीजेएम ने 2012 में पहले और एकमात्र जीटीए चुनाव में भारी जीत दर्ज की थी। जीटीए के लिए वर्ष 2017 में चुनाव होना था लेकिन राज्य के दर्जे की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों की वजह से चुनाव नहीं हो सके। इसकी वजह से परिषद का कार्य राज्य सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासनिक निकाय के हाथों में आ गया।

जीजेएम के महासचिव रोशन गिरि ने कहा-'हम क्यों चुनाव लड़े? जीटीए अब स्वायत्त निकाय नहीं रह गया है। यह अब पहाड़ों के लोगों के अधिकारों को नहीं देखता है।'

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