बंगाल कर्मचारी चयन आयोग के सदस्यों की अधिकतम आयु सीमा बढ़ाने वाला विधेयक विधानसभा से पारित

कर्मचारी चयन आयोग के सदस्यों की अधिकतम आयु सीमा 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी गई है। आयोग के सदस्यों की संख्या को भी दो से बढ़ाकर छह कर दिया गया है। पश्चिम बंगाल कर्मचारी चयन आयोग (संशोधन) विधेयक विधानसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया।

By Priti JhaEdited By: Publish:Thu, 22 Sep 2022 11:06 AM (IST) Updated:Thu, 22 Sep 2022 11:06 AM (IST)
बंगाल कर्मचारी चयन आयोग के सदस्यों की अधिकतम आयु सीमा बढ़ाने वाला विधेयक विधानसभा से पारित
बंगाल कर्मचारी चयन आयोग के सदस्यों की अधिकतम आयु सीमा बढ़ाने वाला विधेयक विधानसभा से पारित

राज्य ब्यूरो, कोलकाता । पश्चिम बंगाल कर्मचारी चयन आयोग (संशोधन) विधेयक 2022 को बुधवार को विधानसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक के तहत कर्मचारी चयन आयोग के सदस्यों की अधिकतम आयु सीमा 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी गई है। आयोग के सदस्यों की संख्या को भी दो से बढ़ाकर छह कर दिया गया है।

राज्य के विधायी मामलों के मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय द्वारा सदन में विधेयक पेश किया गया। इसमें कहा गया है कि आयोग के सुचारु रूप से काम करने के लिए संशोधन आवश्यक हैं। आयोग के सदस्यों का कार्यकाल पांच साल या 65 वर्ष की उम्र पूरी होने तक के लिये होगा।

बता दें कि पश्चिम बंगाल कर्मचारी चयन आयोग (संशोधन) विधेयक 2022 को बुधवार को विधानसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इससे पहले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने 19 सितंबर को राज्य विधानसभा में कथित तौर पर ‘राजनीतिक बदले’ के लिए केंद्रीय एजेंसियों के ‘दुरुपयोग’ के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया था। विपक्षी भाजपा ने प्रस्ताव का विरोध किया था, हालांकि बाद में विधानसभा ने पारित कर दिया। प्रस्ताव के पक्ष में 189 और विरोध में 69 मत पड़े।

दरअसल, सीबीआइ और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियां राज्य में कई मामलों की जांच कर रही हैं, जिनमें तृणमूल कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता आरोपित हैं। वहीं, इस प्रस्ताव पर चर्चा के बोलते हुए मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा था कि वर्तमान केंद्र सरकार तानाशाहीपूर्ण तरीके से व्यवहार कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं का एक तबका अपने हित साधने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहा है।

ममता ने प्रधानमंत्री से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि केंद्र सरकार का एजेंडा और उनकी पार्टी के हित आपस में न मिलें। उन्होंने कहा था कि यह प्रस्ताव किसी खास के खिलाफ नहीं है, बल्कि केंद्रीय एजेंसियों के पक्षपातपूर्ण कामकाज के खिलाफ है। 

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