Bengal Chunav: पहले कांग्रेस, फिर वामपंथी और अब तृणमूल के वर्चस्व वाले सूबे में भगवा झंडा

2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से स्थिति तेजी से बदलने लगी। कभी कांग्रेस के राज में वामपंथियों को झंडा लगाने से भय होता था तो वामपंथियों के राज में पहले कांग्रेस और फिर तृणमूल के साथ वही सलूक होता था।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 10:57 AM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 11:28 AM (IST)
Bengal Chunav: पहले कांग्रेस, फिर वामपंथी और अब तृणमूल के वर्चस्व वाले सूबे में भगवा झंडा
पहले झंडा लगाने से भी डरते थे, अब लगा रहे हैं जय श्रीराम के नारे

जयकृष्ण वाजपेयी, कोलकाता। अधिक समय नहीं बीते हैं। दो वर्ष पहले यहां तक कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा नेताओं के बयान को याद करें। वे कहते थे-'चुनाव प्रचार के लिए भाजपा को मंच, कुर्सी, लाउडस्पीकर देने को डेकोरेटर, वेंडर तैयार नहीं हो रहे हैं। यहां तक कि होटलों और गेस्टहाउस तक में कमरे किराये पर नहीं मिल रहे हैं। क्योंकि, तृणमूल कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता धमका रहे हैं।' हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जुलाई 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पश्चिम मेदिनीपुर जिले में सभा हुई थी और उनके लिए मंच तैयार करने को कोलकाता से डेकोरेटर को ले जाया गया था और पंडाल का एक हिस्सा धराशाई हो गया था। इसके बाद से अन्य राज्यों से भाजपा को सभा के लिए मंच व पंडाल तैयार करने हेतु डेकोरेटर व कारीगर बुलाने पड़ रहे थे। दीवार लेखन तो दूर लोग भाजपा का झंडा लगाने से भी डरते थे।

लोकसभा चुनाव के बाद से बदली स्थिति

2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से स्थिति तेजी से बदलने लगी। कभी कांग्रेस के राज में वामपंथियों को झंडा लगाने से भय होता था तो वामपंथियों के राज में पहले कांग्रेस और फिर तृणमूल के साथ वही सलूक होता था। वामपंथियों के राज में तो माकपा को वोट नहीं मिलने पर हाथ तक काट लेने की घटना हुई थी। अब तृणमूल नेता भी हाथ काटने की धमकी दे रहे हैं। परंतु, तृणमूल कांग्रेस जब सत्ता में आई तो लोगों को लगा था कि अब स्थिति बदलेगी। परंतु, ऐसा कुछ नहीं हुआ और आज भी ग्रामीण इलाकों में लोग कहते हैं कि पिछले आठ वर्षो से उन्हें वोट नहीं देने दिया जा रहा है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि फिर कोई कार्यकर्ता कैसे विपक्षी दल का झंडा उठाएगा। अब बंगाल में सियासी रंग काफी बदल गया है। लोग भाजपा के झंडा ही नहीं लगा रहे हैं, बल्कि अब तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के समक्ष भी जय श्रीराम के नारे बुलंद कर दे रहे हैं।

बिना भय के लोग लगाने दे रहे हैं झंडे व बैनर

लोग बिना भय के अपने घरों पर दीवार लेखने व पोस्टर-बैनर लगाने की अनुमति दे रहे हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान अमित शाह की सभा के लिए अपनी जमीन देने पर पूर्व मेदिनीपुर जिले के कांथी के सुशील दास को जेल में डाला गया था। झूठे मामले में फंसाया गया था, लेकिन आज वही फिर से कह रहे हैं कि मैं बार-बार पीएम मोदी और शाह की सभा के लिए जमीन दूंगा और जेल भी जाना पड़े तो हर्ज नहीं है। हर गली मुहल्ले में भाजपा के झंडे और प्रत्याशियों को पोस्टर बैनर और दीवार लेखन दिख रहा है। जिससे यह साबित होता कभी कांग्रेस फिर वामपंथी और इसके बाद तृणमूल कांग्रेस के वर्चस्व वाले बंगाल का सियासी रंग काफी बदल चुका है। भले ही चुनाव के नतीजे चाहे कुछ भी हो लेकिन जय श्रीराम, बंदे मातरम् और भारत माता की जय के गूंजते रहेंगे यह तय है।

बदली रैली की शैली

कोरोना महामारी के चलते भाजपा से लेकर तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव प्रचार की रैली की शैली को बदल दिया है।  भीड़ कम एकत्रित हो इसके लिए तरह-तरह के इंतजाम किए जा रहे हैं। भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में पांच सौ से अधिक लोगों की भीड़ एकत्रित न हो इसके लिए चुनाव वाले विधानसभा क्षेत्रों में बड़े-बड़े एलईडी स्क्रीन लगा रहे हैं। बंगाल में भाजपा चुनाव समिति के सदस्य शिशिर बाजोरिया ने बताया कि सभी एलईडी स्क्रीन से लेकर मंच तैयार करने तक की जिम्मेवारी यहां के लोग एंजेंसियों के पास है। उन्होंने कहा कि पहले इंतजाम में दिक्कत होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है।

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