Bengal Assembly Elections 2021: बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले जल्द आएंगी केंद्रीय बल की 125 कंपनियां

विधानसभा चुनाव से पहले सूबे के हालात को शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए उन्हें लाया जा रहा। प्रत्येक कंपनी में 100 से 120 जवान होते हैं यानी सूबे के संवेदनशील इलाकों में चुनाव संपन्न होने तक करीब 15000 जवान तैनात रहेंगे।अकेले कोलकाता के लिए 200 कंपनियां भेजी जा सकती हैं।

By PRITI JHAEdited By: Publish:Fri, 19 Feb 2021 04:04 PM (IST) Updated:Fri, 19 Feb 2021 04:11 PM (IST)
Bengal Assembly Elections 2021: बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले जल्द आएंगी केंद्रीय बल की 125 कंपनियां
बंगाल में जल्द ही केंद्रीय बल की 125 कंपनियां आने वाली है

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में जल्द ही केंद्रीय बल की 125 कंपनियां आने वाली है। विधानसभा चुनाव से पहले सूबे के हालात को शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए उन्हें लाया जा रहा है। प्रत्येक कंपनी में 100 से 120 जवान होते हैं यानी सूबे के संवेदनशील इलाकों में चुनाव संपन्न होने तक करीब 15,000 जवान तैनात रहेंगे।

आयोग सूत्रों से पता चला है कि अकेले कोलकाता के लिए 200 कंपनियां भेजी जा सकती हैं। केंद्रीय बलों के ठहरने व खाने-पीने की व्यवस्था करने का आयोग की तरफ से जिलों के पुलिस अधीक्षकों व कोलकाता पुलिस के उपायुक्तों को निर्देश दिया जा चुका है। मालदा के पुलिस अधीक्षक आलोक राजौरिया ने बताया कि उनके जिले में केंद्रीय बल की पांच कंपनियां आ रही हैं। इस बाबत चुनाव आयोग से सूचना मिल चुकी है।

जिलाधिकारी से विचार-विमर्श करके उनकी तैनाती पर निर्णय लिया जाएगा। आयोग ने संवेदनशील इलाकों में जवानों की गश्त शुरू कराने को कहा है और रोजाना रात आठ बजे तक आयोग को इसकी जानकारी देने को कहा गया है। राज्य पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि आम तौर पर मतदान के दो दिन पहले केंद्रीय बलों का रूट मार्च शुरू होता है लेकिन इस बार चुनाव प्रचार शुरू होने से पहले ही इसे शुरू कर दिया जाएगा। चुनाव प्रचार के दौरान किसी तरह की अशांति न फैले, इसे ध्यान में रखकर आयोग की तरफ से यह कदम उठाया गया है।

गौरतलब है कि बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग ने नाराजगी जताई थी। आयोग की पूर्ण पीठ के साथ कोलकाता के दौरे पर आए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा था कि पिछली बार की तुलना में इस बार पहले ही केंद्रीय बल बंगाल भेजे जाएंगे। दरअसल आयोग बंगाल के चुनावी हिंसा के इतिहास को देखते हुए किसी तरह की कोताही नहीं बरनता चाहता है इसलिए अभूतपूर्व कदम उठाए जा रहे हैं। 

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