भारत-बांग्लादेश सीमा के जीरो प्वाइंट तक रेल इंजन का ट्रायल, ऐतिहासिक पल के गवाह बने दोनों देशों के नागरिक

भारत-बांग्लादेश सीमा के डांगापाड़ा बीओपी के अंतर्गत हल्दीबाड़ी से बांग्लादेश सीमा के जीरो प्वाइंट तक हुआ ट्रॉयल। अगले 15 दिन में बांग्लादेश भी कर सकता है ट्रॉयल। 1965 में बंद होने के बाद अगले साल मार्च से रेल संचालन शुरू होने की संभावना।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Thu, 08 Oct 2020 11:08 PM (IST) Updated:Thu, 08 Oct 2020 11:08 PM (IST)
भारत-बांग्लादेश सीमा के जीरो प्वाइंट तक रेल इंजन का ट्रायल, ऐतिहासिक पल के गवाह बने दोनों देशों के नागरिक
गुरूवार को नागरिकों ने दोनों हाथ उठाकर ट्रॉयल इंजन का स्वागत किया।

जागरण संवाददाता, जलपाईगुड़ी : भारत-बांग्लादेश की सीमा पर लगे कंटीले तारों को काटकर ही रेल पटरी बिछाई गई है। इसी रेल मार्ग से रेल इंजन दौड़ा। भारत-बांग्लादेश दोनों देशों के लोग इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने। गुरुवार को भारत-बांग्लादेश सीमा के डांगापाड़ा बीओपी के अंतर्गत भारत के हल्दीबाड़ी से भारत-बांग्लादेश सीमा के जीरो प्वाइंट तक ट्रेन का ट्रॉयल किया गया। 

चीफ इंजी. जेपी सिंह ने फीता काट किया उद्घाटन 

एनएफ रेलवे के चीफ इंजीनियर (कनस्ट्रकशन) जेपी सिंह ने फीता काटकर इसका उद्घाटन किया। सुबह 10 बजकर 48 मिनट पर इंजन सीमा पर पहुंचा। इसके बाद रेलवे अधिकारी, बीएसएफ व पुलिस अधिकारियों ने पूजा कर इंजन को बांग्लादेश सीमा की ओर रवाना किया। 

11.15 बजे इंजन सीमा पार जीरो प्वाइंट तक गया

11 बजकर 15 मिनट पर इंजन सीमा के उस पार बांग्लादेश में प्रवेश कर जीरो प्वाइंट तक गया। फिर लौटकर हल्दीबाड़ी की ओर रवाना हुआ। इस पार भारत का हल्दीबाड़ी तो उस पार बांग्लादेश के चिलाहाटी के बीच कांटेदार घेरा दोनों देशों को बांटता है। अब इसी कांटेदार घेरे के बीच से बांग्लादेश की ओर रेल इंजन दौड़ेगा।

15 दिन में ही इंजन का ट्रॉयल करने की तैयारी 

बांग्लादेश रेल के प्रोजेक्टर व डिवीजनल इंजीनियर मोहम्मद अब्दुल रहीम ने कहा कि 15 दिन में ही इंजन का ट्रॉयल करने की तैयारी हो रही है। उन्होंने कहा अगले साल मार्च माह से दोनों देशों के बीच रेल संचालन शुरू होने की जानकारी देते हुए बताया कि इससे दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे। 

दोनों हाथ उठाकर ट्रॉयल इंजन का स्वागत किया

वहीं भारत की ओर से एनएफ रेलवे के चीफ इंजीनियर (कंस्ट्रक्शन) जेपी सिंह ने कहा कि बीच में रेल लाइन का काम कुछ समय के लिए बंद हो गया था, लेकिन इसके बाद काफी तेज गति से रेल लाइन बिछाने का काम किया गया। गुरूवार को बांग्लादेश के नागरिकों ने दोनों हाथ उठा ट्रॉयल इंजन का स्वागत किया। 

1965 से बंद रेल संचालन शुरू करने की प्रक्रिया 

वर्ष 1965 से बंद रेल संचालन को दोनों देशों की ओर से पुन: शुरू करने की प्रक्रिया काफी दिनों से चल रही थी। बांग्लादेश रेल विभाग की मानें तो कुछ दिनों में बांग्लादेश से भी हल्दीबाड़ी-बांग्लादेश सीमा के जीरो प्वाइंट तक इंजन का ट्रॉयल किया जा सकता है। एक समय ऐसा भी था कि जलपाईगुड़ी से शुरू होकर बांग्लादेश होते हुए ट्रेन कोलकाता पहुंचती थी। 

तनाव का माहौल बनने से रेलमार्ग बंद कर दिया 

लेकिन 1965 में भारत-पाक के बीच तनाव का माहौल बनने से रेलमार्ग बंद कर दिया गया। फिर छिटमहल समझौता होने के बाद दोनों देशों के सहमति से ट्रेन शुरू करने की बात कही गई। इस प्रक्रिया के तहत पहले हल्दीबाड़ी का अंतरराष्ट्रीय रेल स्टेशन का दर्जा दिया गया। साथ ही 3.34 किमी रेलमार्ग बिछाई गई। 

6.724 किमी तक नए रेलमार्ग को स्थापित किया

दूसरी ओर सीमा के उस पार चिलाहाटी स्टेशन को सजाकर चिलाहाटी से भारत के हल्दीबाड़ी तक 6.724 किमी तक नए रेलमार्ग को स्थापित किया गया। आज के कार्यक्रम में भारत की ओर से डिप्टी चीफ इंजीनियर विनोद कुनार मीणा, कार्यकारी इंजीनियर प्रवीर कुमार दे, सीनियर सेक्शन के इंजीनियर विप्लव घोष समेत बांग्लादेश की ओर से पीडब्ल्यूवाई मोहम्मद सुलतान, इंजीनियर तहीदुल इस्लाम समेत अन्य लोग मौजूद थे।

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