काले भालू के पित्ताशय की तस्करी में भूटान के दो नागरिक गिरफ्तार

बेलाकोबा वन सीमा के अधिकारियों ने एशियाई काले भालू के तीन पित्ताशय (गालब्लैडर) के साथ भूटान के दो नागरिकों को गिरफ्तार किया है।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Fri, 28 Sep 2018 02:40 PM (IST) Updated:Fri, 28 Sep 2018 04:02 PM (IST)
काले भालू के पित्ताशय की तस्करी में भूटान के दो नागरिक गिरफ्तार
काले भालू के पित्ताशय की तस्करी में भूटान के दो नागरिक गिरफ्तार

जलपाईगुड़ी, जेएनएन। पश्चिम बंगाल में जलपाईगुड़ी जिले में शुक्रवार को बेलाकोबा वन सीमा के अधिकारियों ने एशियाई काले भालू के तीन पित्ताशय (गालब्लैडर) के साथ भूटान के दो नागरिकों को गिरफ्तार किया है।

जानकारी के मुताबिक, हिमालय क्षेत्र के काले भालू के पित्ताशय की तस्करी मामले में भूटान के दो नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार तस्करों की पहचान भूटान निवासी टीटी नामग्याल व लोलो के रूप में हुई है। टीटी नामग्याल भूटान के मोंगेरे व लोलो भूटान के चूखा इलाके का रहने वाला है। जलपाईगुड़ी जिले के वैकुंठपुर वन विभाग के बेलाकोबा रेंज के रेंजर संजय दत्त ने कहा कि जयगांव इलाके के मंगलबाड़ी बाजार से दुर्लभ प्रजाति के हिमालय के काले भालू के पित्ताशय समेत भूटान के दो नागरिकों को गिरफ्तार किया गया।

इस पित्ताशय को थाइलैंड में तस्करी करने की योजना थी। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस प्रजाति के भालू के पित्ताशय का मूल्य करोड़ों रुपये बताया गया है। वैसे पहले भी तस्करी के लिए महिलाओं को इस्तमाल किया जाता है। गिरफ्तार तस्करों को अदालत में पेश किया जाएगा। इसके बाद बहुत कुछ तथ्य सामने आएगा।

जानिए, एशियाई काले भालू के पित्ताशय का कहां होता है प्रयोग 
एशियाई काले भालू के पित्ताशय (गालब्लैडर) का इस्तेमाल कई प्रकार की दवाओं के बनाने में प्रयोग किया जाता है। इस कारण तस्कर इसे महंगे दामों में बेचते हैं।  

बुखार, यकृत रोग, आवेग, मधुमेह और हृदय रोग सहित कई प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए पारंपरिक दवाओं में भालू के पित्ताशय की थैली और पित्त का उपयोग किया जाता है। यह कई अन्य बीमारियों के इलाज में भी लाभदायक है। इस कारण भालू के पित्ताशय की थैली काफी महंगी बिकती है और तस्कर इसका लाभ उठाते हैं। 

एशियाई काले भालू की प्रजाति लुप्त होने के कगार पर
एशियाई काले भालू पहले निचले हिमालय के जंगलों में पाए जाते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह प्रजाति लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है। काले भालू सर्दियों का अधिकांश समय जमीन पर खोदे गए गड्ढ़ों, गुफाओं या खोखले पेड़ों में सोकर ही बिताते हैं। सर्दियों के मध्य में मादा बच्चे देती हैं। ये बच्चे सात से नौ इंच लंबे और करीब आधा पाउंड भार वाले होते हैं। बच्चों के शरीर पर बाल कम होते हैं, इनकी आंखें एक मास तक बंद रहती हैं। करीब दो मास के बाद ही ये अपनी मांद से बाहर निकलते हैं। इनकी उम्र 15 से 25 वर्ष तक होती है।

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