रेल के फैसले के खिलाफ बार एसोसिएशन का आंदोलन शुरू

- दार्जिलिंग मेल जलपाईगुड़ी से हटाए जाने का विरोध फैसला वापस नहीं होने पर जोरदार आंदोलन

By JagranEdited By: Publish:Wed, 15 Jan 2020 05:43 PM (IST) Updated:Wed, 15 Jan 2020 05:43 PM (IST)
रेल के फैसले के खिलाफ बार एसोसिएशन का आंदोलन शुरू
रेल के फैसले के खिलाफ बार एसोसिएशन का आंदोलन शुरू

- दार्जिलिंग मेल जलपाईगुड़ी से हटाए जाने का विरोध, फैसला वापस नहीं होने पर जोरदार आंदोलन की चेतावनी

गरण संवाददाता, जलपाईगुड़ी: जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग मेल एक्सप्रेस का स्टॉपेज हटा दिया गया है। 10 अप्रैल से दार्जिलिंग मेल एनजेपी से रवाना होगी। अब इसके विरोध में जलपाईगुड़ी हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन ने आंदोलन शुरू किया। गुरुवार को सर्किट बेंच बार एसोसिएशन के सदस्यों ने पेन डाउन कर अपना विरोध जताया। शहर में एक प्रतिवाद रैली भी निकाली गई। अगर रेल विभाग फैसले को वापस नहीं लेती तो आंदोलन और तेज करने की चेतावनी दी गई है। पहले हल्दीबाड़ी से जलपाईगुड़ी टाउन स्टेशन होकर दार्जिलिंग मेल के दो डब्बे सियालदाह जाने वाली ट्रेन से जुड़ जाती थी। लेकिन रेल विभाग ने अब हल्दीबाड़ी के बदले एनजेपी से ही दार्जिलिंग मेल छोड़ने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि मंगलवार को जिला अदालत व सर्किट बेंच बार एसोसिएशन ने संयुक्त रूप से बैठक कर रेल के फैसले के खिलाफ आंदोलन करने का फैसला लिया था। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष गौतम पाल ने कहा कि अदालत में दो घंटे तक काम बंद रखकर रेल विभाग के फैसले का विरोध किया गया। संगठन की मांग है कि पहले की तरह दार्जिलिंग मेल हल्दीबाड़ी से चलाया जाए। हल्दीबाड़ी तक इलेक्ट्रिक लाइन की व्यवस्था की जाए। रेल अगर अपना फैसला नहीं बदलती तो जोरदार आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने इस आंदोलन में आम लोगों का भी सहयोग मांगा है। 1965 में चिलाहाटी रूट बंद हो गया था। इसके बाद हल्दीबाड़ी से जलपाईगुड़ी टाउन होते हुए एनजेपी पहुंचकर सियालदाह के लिए रवाना होती। उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग मेल का जलपाईगुड़ी के इतिहास के साथ जुड़ाव है। दशकों से जलपाईगुड़ी से कोलकाता तक दार्जिलिंग मेल चलती आ रही है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी कई बार इसी ट्रेन से यातायात कर चुके हैं। बार एसोसिएशन की माने तो इससे पहले भी 2004 में दार्जिलिंग मेल जलपाईगुड़ी से हटाने का फैसला लिया गया था, लेकिन लोगों के आंदोलन के कारण रेल को फैसला वापस लेना पड़ा। इसलिये इस बार भी लोगों को एकजुट होकर आंदोलन करना होगा।

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