West Bengal Coronavirus Lockdown effect: जनता कर्फ्यू का भूला लॉकडाउन में घर लौटा!
कोलकाता के एक दिहाड़ी मजदूर की दास्तां कुछ ऐसी ही है हालांकि उनके मामले में तो यही कहा जाएगा कि जनता कर्फ्यू का भूला लॉकडाउन में घर लौट आया है। ये हैं 55 साल के मृदुल देव।
कोलकाता , विशाल श्रेष्ठ। सुबह का भुला अगर शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते। कोलकाता के एक दिहाड़ी मजदूर की दास्तां कुछ ऐसी ही है, हालांकि उनके मामले में तो यही कहा जाएगा कि 'जनता कर्फ्यू' का भूला 'लॉकडाउन' में घर लौट आया है। ये हैं 55 साल के मृदुल देव।
दक्षिण कोलकाता के विजयगढ़ इलाके की श्री कॉलोनी के रहने वाले मृदुल से जनता कर्फ्यू के दिन एक भूल हो गई। उस दिन वे चाय पीने मोहल्ले की एक दुकान पर चले गए।एक महिला ने जनता कर्फ्यू का हवाला देकर उन्हें घर जाने को कहा तो मृदुल ने झट से कह दिया-'चाय भी नहीं पीऊंगा क्या!' उनकी इस बात का किसी ने वीडियो तैयार कर फेसबुक पर पोस्ट कर दिया। उसके बाद तो रोज कमाने-खाने वाले मृदुल की जिंदगी में भूचाल आ गया। इंटरनेट का ककहरा तक नहीं जानने वाला यह दिहाड़ी मजदूर सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल होने लगा। उनका मजाक उड़ाया जाने लगा। उन्हें लेकर तरह-तरह के मीम्स भी बने।
नेटीजंस ने उपहास उड़ाते हुए उन्हें नया नाम तक दे डाला-'चाय काकू'। बात उनके मोहल्ले तक पहुंची तो कुछ लोग मृदुल के छोटे से घर के दरवाजे पर आ धमके और पूरे परिवार को जमकर भला-बुरा कहा। कुछ लोगों ने तो यह आरोप तक मढ़ दिया कि उन्होंने पैसों की खातिर जान-बूझकर अपना इस तरह का वीडियो बनवाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कराया है। जनता कर्फ्यू के दिन हुई उस भूल को मृदुल अब लॉकडाउन में सुधार रहे है। वे लोगों से लॉकडाउन के दौरान घर से नहीं निकलने की अपील कर रहे हैं।
राजमिस्त्री के सहायक के तौर पर काम करने वाले मृदुल ने बताया-'दिहाड़ी मजदूर हूं इसलिए जनता कर्फ्यू वाले दिन भी मुझे काम पर जाना पड़ा था, वरना उस दिन घर में खाना नहीं पकता। काम से लौटते वक्त मोहल्ले में एक चाय की दुकान खुली देखी तो वहां चला गया। उसी समय एक महिला ने टोका तो मेरे मुंह से वो बात निकल गई, जिसे लेकर इतना बवाल मच गया।मेरा कोई गलत इरादा नहीं था। मैं सीधा-सादा गरीब इंसान हूं। पढ़ा-लिखा भी नहीं हूं। मुझसे जो गलती हुई, नासमझी में हुई। मुझे मेरे बेटे ने बताया कि उस वाकये का वीडियो बनाकर किसी ने फेसबुक में डाल दिया है। तब से मेरा मजाक उड़ाया जा रहा है।'
मृदुल ने आगे कहा-'मैं नहीं चाहता कि जनता कर्फ्यू वाले दिन मैंने अनजाने में जो भूल की, लॉकडाउन के समय लोग जान-बूझकर वो गलती करे, इसलिए मैं सबसे यही अपील कर रहा हूं कि लॉकडाउन के दौरान घर में अपने परिवार के साथ रहे। लॉकडाउन खत्म होने पर ही बाहर निकले। मैं रोज कमाकर खाने वालों में से हूं, इसलिए मेरे परिवार को बहुत परेशानी हो रही है, फिर भी घर में ही हूं, लेकिन सुविधा-संपन्न होने के बावजूद बहुत से लोग बेवजह घर से निकल रहे हैं।वे कृपया ऐसा न करें।'मृदुल का पांच लोगों का परिवार है। घर में पत्नी और बेटे के अलावा बीमार बूढ़ी पत्नी और दिव्यांग बहन है।
सौरव ने बढ़ाया मदद का हाथ
बीसीसीआइ अध्यक्ष सौरव गांगुली को जब लॉकडाउन के कारण मृदुल के परिवार को खाने-पीने की किल्लत होने का पता चला तो उन्होंने तुरंत अपनी संस्था सौरव गांगुली फाउंडेशन के जरिए मदद का हाथ बढ़ाया। मृदुल के बेटे अजीत ने बताया कि 'दादा' के पास से हमें 15 दिनों का चावल मिला है। इसके लिए हम उनके शुक्रगुजार हैं।