West Bengal Assembly Election 2021: 75 फीसद मुस्लिम आबादी वाले गढ़ मुर्शिदाबाद में होगी दिलचस्प लड़ाई

West Bengal Assembly Election 2021 कभी बंगाल की राजधानी रही मुर्शिदाबाद का हजारद्वारी महल यहां के गौरवशाली अतीत का आइना है। लेकिन आज यहां लोग गरीबी में जीने को मजबूर हैं। यहां रोजगार के समुचित साधन नहीं हैं। ज्यादातर घरों में बीड़ी बनाने का काम होता है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Fri, 12 Mar 2021 04:57 PM (IST) Updated:Fri, 12 Mar 2021 04:57 PM (IST)
West Bengal Assembly Election 2021: 75 फीसद मुस्लिम आबादी वाले गढ़ मुर्शिदाबाद में होगी दिलचस्प लड़ाई
75 फीसद मुस्लिम आबादी वाले गढ़ मुर्शिदाबाद में होगी दिलचस्प लड़ाई। फाइल फोटो

सिलीगुड़ी, राघवेन्द्र शुक्ल।  West Bengal Assembly Election 2021: लगभग 75 फीसद मुस्लिम आबादी वाला मुर्शिदाबाद जिला कांग्रेस का गढ़ है। वाममोर्चा के 34 वर्ष के शासन में भी इस गढ़ में ज्यादा सेंधमारी नहीं हो पाई। हालांकि, इसमें दो राय नहीं कि वाम दलों की भी यहां अच्छी पकड़ है। कांग्रेस और वामदलों के 2016 के विधानसभा चुनाव में साथ लड़ने का नतीजा था कि जिले की 22 विधानसभा सीटों में 18 उक्त पार्टियों ने अपने नाम कर लीं थीं। इसमें से अकेले कांग्रेस के हाथ यहां 14 सीटें लगी थीं। तृणमूल कांग्रेस यहां महज चार सीट जीत पाई थी तो भाजपा के हाथ खाली रहे थे। इसबार यहां दिलचस्प लड़ाई देखने को मिल सकती है।

2019 में लोकसभा चुनाव में हालात बदले। कांग्रेस और वामदल अलग-अलग मैदान में उतरे। इसका फायदा तृणमूल कांग्रेस को हुआ और उसने जिले की तीन में दो लोकसभा सीटों पर कब्जा कर लिया। एक सीट उसने कांग्रेस से झटकी तो एक वाम से। कांग्रेस से तृणमूल ने जो सीट झटकी उस जंगीपुर लोकसभा सीट से दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी चुनाव जीतते आए थे। प्रणब दा के बाद भी दो बार यह सीट कांग्रेस के पास रही। हालांकि, बंगाल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी जरूर अपना वर्चस्व कायम रखने में कामयाब रहे। वह मुर्शिदाबाद लोकसभा सीट से बीस वर्षो से अजेय रहे हैं। भाजपा के लिए अच्छी बात यह रही कि सभी सीटों पर अपना वोट प्रतिशत बढ़ाने में उसे अच्छी खासी कामयाबी मिली।

इस बार कांग्रेस, वाममोर्चा के साथ इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आइएसएफ) ने जो गठबंधन किया है, उसका उन्हें यहां लाभ मिलेगा। लेकिन, जिस वोटबैंक पर यह गठबंधन जीत की उम्मीदें पाले है, उसी पर तृणमूल कांग्रेस भी यहां फलफूल रही है। मुस्लिम मतदाता रुख भांप रहे हैं। इनके आपसी विमर्श का बिंदु यह है कि मत बंटने ना पाए। उधर, भाजपा को इनकी आपसी लड़ाई और पूरे प्रदेश में चल रही हवा का फायदा होने की उम्मीद है। फायदा वोट प्रतिशत में ही सिमटा रहेगा या सीटों में बदलेगा यह आने वाला वक्त बताएगा।

तृणमूल ने लुभाया

ममता बनर्जी ने मुर्शिदाबाद जिला के जंगीपुर विधानसभा सीट से जीतने वाले जाकिर हुसैन को श्रम राज्य मंत्री बनाकर यहां के लोगों को लुभाने की कोशिश की और लोकसभा में लोगों ने यहां पार्टी के वोट बढ़ाकर एक तरह से शुक्रिया भी किया।

कभी बंगाल की राजधानी थी मुर्शिदाबाद

कभी बंगाल की राजधानी रही मुर्शिदाबाद का हजारद्वारी महल यहां के गौरवशाली अतीत का आइना है। लेकिन, आज यहां लोग गरीबी में जीने को मजबूर हैं। यहां रोजगार के समुचित साधन नहीं हैं। ज्यादातर घरों में बीड़ी बनाने का काम होता है। भागीरथी नदी इस जिले को दो भागों में बांटती है। इस नदी का कटाव यहां की मुख्य समस्या है। हर वर्ष नदी के तटवर्ती क्षेत्र के ग्रामीणों को अत्यधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उनके घर नष्ट हो जाते हैं, फसल नष्ट हो जाती है। यहां के लोगों को मलाल है कि उनकी इस समस्या का आज तक किसी सरकार ने समाधान नहीं ढूंढा। हालांकि, इतनी बड़ी समस्या भी चुनाव में वोट का केंद्र बिंदु नहीं।

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