एनआरसी को लेकर केंद्र पर बिफरीं ममता, स्वाधीन होकर भी देश में पराधीन होने का बोध

असम की राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के अंतिम मसौदे में 40 लाख से ज्यादा लोगों के नाम शामिल नहीं होने के खुलासे के बाद से देश में सियासी घमासान जारी है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Wed, 15 Aug 2018 09:26 AM (IST) Updated:Wed, 15 Aug 2018 02:34 PM (IST)
एनआरसी को लेकर केंद्र पर बिफरीं ममता, स्वाधीन होकर भी देश में पराधीन होने का बोध
एनआरसी को लेकर केंद्र पर बिफरीं ममता, स्वाधीन होकर भी देश में पराधीन होने का बोध

कोलकाता, जागरण संवाददाता। असम की राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के अंतिम मसौदे में 40 लाख से ज्यादा लोगों के नाम शामिल नहीं होने के खुलासे के बाद से देश में सियासी घमासान जारी है। इस कड़ी में तृणमूल प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार केंद्र पर हमलावर हैं।

मंगलवार को राज्य सचिवालय नवान्न में सुश्री बनर्जी एक बार फिर एनआरसी को लेकर केंद्र पर बरसीं और कहा कि भाषाई आधार पर लोगों को एनआरसी से बाहर किया गया। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि असम में हालात सामान्य नहीं है और एनआरसी सूची से बाहर किए गए लोगों के खिलाफ फर्जी मामले दर्ज किए जा रहे हैं, जो लोग आवाज उठा रहे हैं, उन्हें परेशान किया जा रहा है, 1200 लोगों को पहले से ही हिरासत में लेकर शिविर में रखा गया हैं जिसमें पश्चिम बंगाल के लोग भी शामिल हैं।

यदि असम में स्थिति वाकई में सामान्य है तो फिर सुरक्षा बलों की 400 कंपनियां क्यों तैनात की की गई हैं? तृणमूल सांसदों को वहां जाने से क्यों रोका गया?

सुश्री बनर्जी ने कहा कि एनआरसी हिंदू या मुस्लिम का मामला नहीं है बल्कि सवाल नागरिकता का है। जानबूझ कर लोगों को उनकी भाषा के आधार पर एनआरसी से बाहर किया गया और भाजपा अपनी ताकत के बदौलत एनआरसी को न्यायसंगत बनाने साबित करने में जुटी है।

25 लाख हिंदू, 13 लाख मुस्लिम हुए वंचित

ममता ने कहा कि एनआरसी से बाहर किए गए 40 लाख लोगों में 25 लाख हिंदू, 13 लाख मुस्लिम और 2 लाख हिंदी व नेपाली भाषी शामिल हैं। 1965, 1964 के बाद भी आए लोगों को एनआरसी सूची से बाहर रखा गया है। चुन-चुन कर बांग्ला बोलने वालों को बाहर किया गया है और वे बंगाल में सत्ता पाने का सपना देख रहे हैं। सुश्री बनर्जी ने पत्रकारों से कागजात दिखाते हुए कहा कि एनआरसी से कई स्वतंत्रता सेनानियों के वंशज को भी बाहर किया गया है। स्वतंत्रता सेनानी ध्रुवज्योति प्रसाद बोस के वंशज को भी एनआरसी से बाहर रखा गया है।

शाह पेश कर सकेंगे अपने पिता, माता का जन्म प्रमाणपत्र

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर निशाना साधते हुए सुश्री बनर्जी ने कहा कि क्या अमित शाह अपने माता पिता का जन्म प्रमाणपत्र दिखा सकेंगे। उन्होंने कहा कि मेरे से भी पूछा जाय तो मैं अपने माता, पिता का जन्म प्रमाण पत्र नहीं दिखा सकती। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि कुछ विशेष एलीट वर्ग के लोग ऐसा कर सकें लेकिन हममें से अधिकतर लोगों के पास हमारे पूर्वजों का जन्म प्रमाणपत्र नहीं होगा।

भारतीय कौन? इस पर स्थिति स्पष्ट करे भाजपा

सुश्री बनर्जी ने कहा कि मेरा सवाल यह है कि घुसपैठिये, शरणार्थी और भारतीय कौन है इस पर केंद्र की भाजपा सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। शरणार्थी के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कानून है और आप देश में रह रहे लोगों को इस तरह से बाहर नहीं कर सकते। एनआरसी को लेकर जो पद्धति केंद्र सरकार अपना रही है उसे क्या दूसरे राज्यों में लागू किया गया तो ठीक होगा? उन्होंने कहा कि कल स्वतंत्रता दिवस है लेकिन जाति विशेष के असम्मान के लिए भाजपा जो रूख अख्तियार कर रहे है उससे पराधीन होने का बोध हो रहा है।

एनआरसी को बनाया जा रहा वोट बैंक का जरिया

मुख्यमंत्री ने कहा कि वोट बैंक के लिए भाजपा कोई न कोई मुद्दा उछालती रहती है। एनआरसी को भी वोट बैंक का जरिया बनाया जा रहा। आखिर आजादी के 72 साल बाद एनआरसी लागू करने की क्यों सुझी इस पर केंद्र को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

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