एक तो अवैध पार्किंग और उपर से नाबालिग के हाथ स्टेयरिंग

-सड़क दुर्घटनाओं में लगातार जा रही है लोगों की जान -प्रशासनिक उदासीनता से स्थिति बद से बदत

By JagranEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 06:56 PM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 06:56 PM (IST)
एक तो अवैध पार्किंग और उपर से नाबालिग के हाथ स्टेयरिंग
एक तो अवैध पार्किंग और उपर से नाबालिग के हाथ स्टेयरिंग

-सड़क दुर्घटनाओं में लगातार जा रही है लोगों की जान

-प्रशासनिक उदासीनता से स्थिति बद से बदतर

- शहर में 40 अवैध कटों पर हादसे सबसे अधिक

-सड़क पर कैट आइ और रिफ्लैक्टर तक नदारद

-वाहनों चालकों की लापरवाही से भी हो रही है दुर्घटनाएं

-शॉर्टकट के चक्कर में चली जाती है आखिरकार जान जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :

अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से घिरा उत्तर बंगाल का सीमावर्ती शहर है सिलीगुड़ी। इसके तहत नगर निगम और महकमा परिषद का पूरा क्षेत्र है। निगम में 47 वार्ड और महकमा में चार प्रखंड हैं। यहां पार्किंग का मतलब सड़क ही है। हद तो यह है कि सड़क पर गाड़ियां पार्क की जाती है और बतौर पार्किंग फीस नगर निगम की ओर से वसूली भी हो रही है। जहां तक नियमों की अनदेखी की बात है सड़क पर वाहनों का अतिक्रमण तो फुटपाथ पर दुकानदारों का कब्जा है। पूरे आबादी का मात्र छह प्रतिशत क्षेत्रफल सड़क के लिए छोड़ा गया है। इस व्यवस्था को देख देश विदेश से आने वाले पर्यटक भी हैरान होते हैं। वे सवाल करना नहीं भुलते कि आखिर कैसे होता है यहां वाहनों का परिचालन। ऐसे में सुरक्षित यातायात की कल्पना बेमानी हो जाती है। नाबालिगों के हाथ रफ्तार थाम रहे हैं। गलत दिशा में चलते वाहन और नशे में गाड़ी चलाने जैसी कारगुजारियों के चलते सड़कों पर हर समय मौत मंडराती रहती है। किसी ने एकतरफा यातायात की अनदेखी में जान गवा दी तो कोई डिवाइडर पर कट लगाने के चक्कर में हादसे का शिकार हो गया। कहीं लालबत्ती होने से पहले निकलने की जल्दबाजी में कोई काल का ग्रास बन रहा है। सरकारी आकड़े बताते हैं कि हादसों के शिकार नशे में धुत चालक या ज्यादातर टीनएजर्स होते हैं। सिलीगुड़ी यातायात पुलिस की मानें तो रोज ऐसे हादसे होते हैं, जिनमें अचानक लोग काल के गाल में समा जाते हैं। नाबालिग यातायात नियमों का सर्वाधिक उल्लंघन करते हैं। दोस्तों के संग होड़ हो या किसी पर रौब गाठना, बाइक पर स्टंट, इनकी आदत में शामिल है। मुख्य मार्ग पर अक्सर युवाओं को हाथ छोड़कर व स्टाइलिश अंदाज में बाइक चलाते देखा जा सकता है। दो सवारी वाली बाइक पर तीन लोग तो आम हैं। दो दर्जन से ज्यादा स्थानों में सड़क पर बेतरतीब वाहन रखने से हादसे होते हैं। यह सीमावर्ती क्षेत्र समतल, पहाड़ और जंगलों से गुजरता है। यातायात पुलिस इस नियम का पालन कराने के प्रति संवेदनशील है। विभाग ने बोर्ड, पोस्टर लगाकर नियम के पालन का जिम्मा लोगों की स्वेच्छा पर छोड़ दिया। चार पहिया वाहनों की दुर्घटनाओं में जनहानि की सबसे बड़ी वजह सीट बेल्ट न पहनना है। इसके अभाव में दुर्घटना होने पर चालक स्टेयरिग में फंसकर गंभीर रूप से घायल होते हैं या काल के गाल में समा जाते हैं। सुगम यातायात के लिये हिलकार्ट रोड, सेवक रोड और बर्दमान रोड पर लोहे के डिवाइडर खड़े किये गए हैं। अधिकाश स्थानों पर डिवाइडर शोपीस बने हैं। चालकों को जिस ओर से जगह मिली उसी ओर वाहन निकालने में देर नहीं लगाते। अक्सर वाहन चालक डिवाइडरों से ही भिड़कर दुर्घटना कर देते हैं। महकमा में यातायात नियमों की समझ की भारी कमी दिखती है। जिसे जिधर से मौका मिलता है वह उधर से निकल जाता है। इसके अलावा सड़क के किनारे फुटपाथ कम व असंतुलित होने से वाहनों की पार्किंग गलत तरीके से की जाती है। यही वजह है कि कई बार खड़े वाहन से दूसरे वाहन आकर भिड़ जाते हैं और लोगों की जान चली जाती है। यही नहीं घरों व दुकानों के सामने की जगह पुराने और नए वाहन पार्क करने के लिए प्रयोग की जा रही है। सड़क किनारे खड़े खराब वाहनों हटाने के लिए पुलिस नहीं चेतती। अधिकाश सड़कों पर निजी वाहनों का कब्जा है। संचालकों की पकड़ के कारण चालक व परिचालक सरकारी नियमों को कुछ नहीं समझते। शहर में नो-इंट्री के नियम बेमानी साबित हो रहे हैं। दार्जिलिंग मोड़ हो या दो माइल चेकपोस्ट। यहां से होकर ट्रकों का गुजरना इस बात का गवाह है कि जिले में यातायात पुलिस कितनी सक्रिय है। यही वजह है कि हादसों का सिलसिला जारी है। नियमों का पालन कराने को कोई विशेष अभियान नहीं चलाया जाता।

वैसे जगह-जगह पर सड़कों पर सुरक्षित चलने से संबंधित स्लोगन लिखी पंिट्टयां विभिन्न स्थानों पर लगी रहती है। राहगीरों को विशेष रूप से जागरूक करने के उद्देश्य सड़क सुरक्षा सप्ताह भी आयोजित की जाती है। इसके बावजूद शहर के कई स्थानों पर अभी भी यातायात पुलिस तैनात नहीं है। खासतौर सें चंपासारी, सालुगाड़ा, देवीडांगा, सुकना, डागापुर, खपरैल आदि स्थान यातायात पुलिस शून्य हैं। इसके साथ ही शहर के सेवक रोड, हिलकार्ट रोड व वर्दमान रोड पर 40 अवैध कट चिन्हित हैैं जिनपर अनवरत रूप से हादसे हो रहे है। सड़कों पर दीवार जैसे स्पीड ब्रेकर हादसों को दावत दे रहे हैं। सड़कों पर संकेतक बनाना, चौराहों,खतरनाक मोड़ों पर गति की सीमा लिखवाना प्रशासन नैतिक दायित्व बनता है। परंतु इसे खोजने पर मिलना मुश्किल है। इसी प्रकार हादसों को पहचाने जाने वाले करीब दस डेंजर-प्वांइट को चिन्हित किया है जिसमें तेज रफ्तार के कारण जिंदगी को चालक हार रहे हैं। महकमा के शहरी क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्रों की ज्यादातर जर्जर सड़कें खूनी हो रहीं हैं। हर रोज किसी घर का मुखिया तो किसी घर के लाल को ये सड़कें लील लेती हैं। मगर जिम्मेवारों के कानों तक इन परिवारों की चींख तक नहीं पहुंचती। छोटे-छोटे सुधारों से भी इन हादसों में कमी लाई जा सकती है। लेकिन सरकारी कर्मचारियों में इच्छा शक्ति की कमी आड़े आ रही है।

अधिकांश ट्रैफिक सिगनल खराब सरकारी विभागों की उदासीनता के चलते ही अधिकाश ट्रैफिक सिगनल खराब पड़े हैं। यातायात पुलिस द्वारा लगातार पत्राचार करने बावजूद नगर निगम व महकमा परिषद द्वारा यातायात सिगनलों की मरम्मत नहीं कराई जा रही। पूर्व में भी यातायात पुलिस ने जिले में विभिन्न स्थानों का सर्वे कराकर दस ऐसे स्थान चिह्नित किए थे, जहा सबसे अधिक सड़क हादसे हो रहे हैं। इन स्थानों पर अध्ययन के बाद यातायात पुलिस ने संबंधित विभागों को प्रस्ताव भी भेजा था, लेकिन इस तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया और सड़क हादसों का सिलसिला जारी है।

रोड इजीनियरिग व्यवस्था में कमी

रोड इजीनियरिग की यातायात व्यवस्था में सबसे बड़ी भूमिका होती है। उत्तर बंगाल में इंजीनियरिग की कमी के कारण ही यातायात व्यवस्था खराब होती है और सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। यदि सड़कों में होने वाली खराबी में छोटे-मोटे सुधार करा दिए जाएं तो स्थिति काफी बेहतर हो सकती है। इस बात को यातायात पुलिस के एडीसीपी अनुपम सिंह और स्वयं नगर निगम के प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन अशोक नारायण भट्टाचार्य भी मानते है। ट्रैफिक नियंत्रण के लिए पुलिसकर्मी कम

शहर में सुव्यवस्थित यातायात के लिए जरूरत के हिसाब से यातायात पुलिस का अभाव है। इस संबंध में कई बार विभागीय अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है इसके बावजूद नतीजा ढाक के तीन पात ही है। यहां डेंजर प्वांइट के रुप में जर्जर सड़क,स्पीड ब्रेकर जानलेवा साबित हो रहे हैं। एक सप्ताह में यहां चार बाइक दुर्घटनाओं में छह युवक घायल हुए। सुकना से डागापुर के बीच भ्वाहनों के दुर्घटना का बड़ा कारण भी तेज रफ्तार और नशे में वाहन चलाना माना जा रहा। यातायात व्यवस्था दुरुस्त ना होने से यातायात नियम बेमतलब साबित हो रहे हैं। जिससे नगर में जाम की स्थिति समाप्त नहीं हो पा रही है।

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