तेंदुआ 'सचिन' की तलाश में 4 हाथियों के साथ वन विभाग की 6 टीमें, आज भी बंद रहेगा बंगाल सफारी

सचिन नामक तेंदुए के पीछे 10-10 टीमें पड़ी हैं, लेकिन उसे ढूंढ पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन साबित हो रहा है। यह अकेले बंगाल सफारी के प्रशासन का पसीना छुड़ा रखा है।

By Rajesh PatelEdited By: Publish:Thu, 03 Jan 2019 10:20 AM (IST) Updated:Thu, 03 Jan 2019 10:20 AM (IST)
तेंदुआ 'सचिन' की तलाश में 4 हाथियों के साथ वन विभाग की 6 टीमें, आज भी बंद रहेगा बंगाल सफारी
तेंदुआ 'सचिन' की तलाश में 4 हाथियों के साथ वन विभाग की 6 टीमें, आज भी बंद रहेगा बंगाल सफारी
बंगाल सफारी पार्क के बाहर पाए गए पंजे के निशान, आसपास के इलाके में दहशत


सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता]। सचिन नामक तेंदुए के पीछे 10-10 टीमें पड़ी हैं, लेकिन सचिन को ढूंढ पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन साबित हो रहा है। कुछ इसी तर्ज पर यह तेंदुआ अकेले पूरे नॉर्थ बंगाल वाइल्ड एनिमल पार्क बंगाल सफारी के प्रशासन का पसीना छुड़ा रखा है। उसके पीछे बंगाल सफारी प्रशासन की ओर से वन्य प्राण इकाई के छह स्कवाड व चार-चार कुनकी (प्रशिक्षित) हाथियों की टीमें लगा रखी गई हैं। इसके बावजूद वह तेंदुआ मिल नहीं पा रहा है। इसके चलते गुरुवार को भी लगातार तीसरे दिन बंगाल सफारी में जंगल सफारी का लुत्फ पर्यटक नहीं उठा पाएंगे। हमेशा गुलजार रहने वाले इस पार्क में सन्नाटा पसरा हुआ है।
बंगाल सफारी पार्क के गेट पर पसरा सन्नाटा। 
नए साल के पहले ही दिन मंगलवार एक जनवरी को बंगाल सफारी के एंक्लोजर एरिया (सुरक्षा घेरा क्षेत्र) से भागा तेंदुआ लगातार दो दिन व दो रात की तलाश के बाद भी नहीं मिल पाया है। इसे लेकर बंगाल सफारी प्रशासन की हालत पतली है। 
आम लोगों में दहशत का माहौल है और बंगाल सफारी प्रशासन घोर चिंता में है। किसी को भी बंगाल सफारी में प्रवेश नहीं करने दिया गया। तेंदुआ की तलाश में लगे छह स्क्वाड व दो कुनकी (प्रशिक्षित) हाथियों ने मंगलवार की ही भांति बुधवार को भी दिन भर मशक्कत की। गुरुवार को भी यही सिलसिला जारी है।

 
जलदा पाड़ा से मंगाया गया प्रशिक्षित हाथी।
बंगाल सफारी पार्क के बाहर एक जंगली पशु के पंजे के निशान देखे गए। अनुमान लगाया जा रहा है कि यह संभवत: तेंदुआ सचिन के पंजों का ही निशान है। यदि यह अनुमान सही निकला तो वह तेंदुआ अब बंगाल सफारी पार्क क्षेत्र में नहीं है, बल्कि बाहर कहीं भाग चुका है। पंजे के निशान की तस्वीरें लेकर बंगाल सफारी प्रशासन ने वरीय अधिकारियों को पूरी वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया है। इस बारे में बंगाल सफारी के सहायक निदेशक असीम कुमार चाकी का कहना है कि तेंदुआ जंगली जानवर है। सो, उसमें जंगली स्वभाव का होना स्वाभाविक है। वह तो कोई पालतू पशु नहीं है। इसलिए जंगली जानवरों की पूरी गतिविधि का पूरा-पूरा पूर्वानुमान लगा पाना संभव नहीं है। उसी का नतीजा है कि ऐसी घटना हुई है।
अनुमान लगाया जा रहा है कि बंगाल सफारी में चारों ओर बहुत ऊंचे-ऊंचे कंटीले तारों के बेड़े से घिरे एक विशाल जंगली भू-भाग वाले एंक्लोजर एरिया से तेंदुआ सचिन संभवत: किसी पेड़ पर चढ़ कर वहां से छलांग लगा कर ही भागा है। बंगाल सफारी के प्रभारी निदेशक राजेंद्र जाखड़ ने कहा है कि तेंदुआ खोज अभियान में छह स्कवाड व चार प्रशिक्षित हाथियों के दल को लगाया गया है। नाइट मॉनीटरिंग भी की जा रही है। जब तक तेंदुआ को तलाश नहीं लिया जाता तब तक हम चैन से नहीं बैठने वाले।
कहीं से भी तेंदुआ के आ धमकने व मौजूद लोगों की जान को खतरे के मद्देनजर बंगाल सफारी प्रशासन की ओर से दिन भर आने वाले सभी लोगों को पूरे पार्क क्षेत्र से दो सौ मीटर दूर ही रखा जा रहा है। तेंदुआ को पकडऩे के लिए दो जगह लोहे के बड़े पिंजरे रखे गए हैं। उसमें बकरियां भी बांध कर रखी गई हैं। इसके बावजूद उसका सुराग लगाने में इस सर्दी में भी बंगाल सफारी अधिकारियों व कर्मचारियों के पसीने छूट रहे हैं। 

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