सर्पदंश : तंत्र-मंत्र नहीं, इलाज से ही बच सकती है जान

सांप जहर -बारिश के मौसम में बढ़ जाती है सांप काटने की घटनाएं

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Aug 2019 07:07 PM (IST) Updated:Fri, 23 Aug 2019 07:07 PM (IST)
सर्पदंश : तंत्र-मंत्र नहीं, इलाज से ही बच सकती है जान
सर्पदंश : तंत्र-मंत्र नहीं, इलाज से ही बच सकती है जान

फोटो-राजेश-

जागरण विशेष : -बारिश के मौसम में बढ़ जाती है सांप काटने की घटनाएं

-विष से नहीं घबराहट से होती है रोगी की मौत

-उत्तर बंगाल के विभिन्न चाय बागानों में सांप निकलना आम

-भारत में सांपों की लगभग दो सौ प्रजातियां पाई जाती हैं, इनमें मात्र 15 प्रजातियां विषधर शिवानंद पांडेय

सिलीगुड़ी :

बारिश का मौसम शुरू होते ही साप नजर आने लगते हैं। इसके साथ ही साप काटने की घटनाएं भी सामने आने लगती हैं। साप का काटना यानी सर्पदंश। सर्पदंश से मौत तक हो सकती है। इसके इलाज को लेकर तरह-तरह की बातें कही जाती हैं। गाव-कस्बों से अक्सर खबर आती है कि किसी को साप ने काटा और परिवार वाले उसके उपचार के लिए किसी प्रशिक्षित डॉक्टर के पास ले जाने के बजाए झाड़-फूंक करने वाले या तात्रिक के पास ले गए।

ऐसा भी सुनने को मिलता है कि झाड़-फूंक के प्रभाव से सर्प का जहर उतार भी दिया गया। गाव और कस्बा ही नहीं बड़े-बड़े शहरों में भी ऐसे तात्रिक मिल जाएंगे जो मंत्र की शक्ति से सर्प, बिच्छू समेत अन्य विषैले जंतुओं व जानवरों का जहर उतारने का दावा करते हैं। इस तरह की घटना से उत्तर बंगाल भी अछूता नहीं है। उत्तर बंगाल में तराई-डुवार्स के सैकड़ों चाय बगानों में हर साल दर्जनों बागान श्रमिकों की मौत सर्पदंश से हो जाती है।

क्या मंत्र से सर्पदंश का विष खत्म होता है

यहां यह सवाल पैदा होता है कि क्या मंत्र की शक्ति से साप का जहर उतारा जा सकता है? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए पहले सर्पो के बारे में कुछ जरूरी तथ्य पहले जानने की जरूरत है। सिलीगुड़ी शहर में सांपों के बारे में जानकारी रखने वाले तथा विभिन्न जगहों से सांप पकड़ने वाले श्यामा चौधरी का कहना है कि विश्वभर में सांप की 2600 प्रजातिया हैं। इनमें सिर्फ 270 ही ऐसी हैं, जो विषैली होती हैं. इनमें से भी सिर्फ 25 प्रजातिया ऐसी होती हैं, जिनके काटने से मौत हो जाती है।

वहीं अगर बात भारत की करें तो यहा करीब दो सौ सांप की प्रजातिया पाई जाती हैं। इनमें से 15 प्रजातियां विषधर है। हालांकि इंसान की जान लेने में समर्थ विष मुख्य रूप से केवल चार से पांच प्रजातियों के सापों में ही है।

ये होते हैं जहरीले सांप-

कोबरा जिसे गेहुअन या नाग के नाम से जाना जाता है, करैत, रसैल वाईपर और सॉ स्कैल्ड वाईपर विषधर सांप हैं। दरअसल होता यह है कि आम आदमी जहरीले सापों और विष रहित सापों में फर्क नहीं कर पाता है। साप के काटने पर आदमी इतना भयभीत हो जाता है कि उसे कुछ समझ नहीं आता. आम आदमी में साप का भय इतना ज्यादा है कि विष रहित साप के काटने पर भी उसे कोबरा नाग समझ लेता है।

सर्पदंश से भयभीत होकर तंत्र-मंत्र के चक्कर में पड़ जाते हैं पीड़ित

उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के पैथौलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ कल्याण खान का कहना है कि सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को मानसिक रूप से आघात लगता है और वह अचेत अवस्था में पहुंच जाता है। सापों के प्रति प्रचलित इसी भय का लाभ उठाकर झाड़-फूंक करने वाले लोगों को ठगते हैं। विष रहित साप के काटने पर तो लोग झाड़-फूंक करने वाले के पास जाकर मनोवैज्ञानिक प्रभाव के कारण बच जाते हैं, लेकिन विषैले साप के काटने पर पीड़ित की मौत हो जाती है। ऐसे में तंत्र-मंत्र करने वाले कहते हैं कि हमारे पास लाने में बहुत देर कर दी । थोड़ी देर पहले हमारे पास आ गये होते, तो यह जरूर बच जाता।

सांप काटे तो तुरंत जाएं अस्पताल

साप काटने की दशा में पीड़ित व्यक्ति को साप झाड़ने वाले तांत्रिक के पास जाने की जगह अस्पताल ले जाना चाहिए, ताकि एंटीवेनम लगवाया जा सके। इससे जहरीले साप के काटने पर भी रोगी को बचाया जा सकता है।

इस बारे में डॉ खान ने बताया कि कोबरा और करेंथ सापों में न्यूरो टॉक्सिक जहर पाया जाता है। यह जहर ब्रेन को डैमेज करता है। वाइपर प्रजाति के सापो में हिमोटॉक्सिक होता है। ये सीधे हॉर्ट को नुकसान पहुंचाता है। चौथी जहरीली प्रजाति रसल वाइपर है।

खौफजदा होने व हार्ट अटैक से हो जाती है मौत

सांप काट लिया यह सोचकर पीड़ित व्यक्ति का रक्तचाप बढ़ जाता है। ज्यादातर मामलों में विष फैलने से नहीं, बल्कि हृदयाघात से मौत हो जाती है।

साप काटने पर ये बरतें सावधानी

जिस अंग पर काटा है उसे स्थिर रखने का प्रयास करें।

अंग के आसपास किसी भी प्रकार का कट नहीं लगाएं, टिटनेस की संभावना बनी रहती है। कपड़ा या धागा दंश वाले जगह से थोड़ी दूरी पर बांधें। घाव को स्वच्छ पानी से साफ कर लें। तुरंत किसी नजदीकी अस्पताल जाएं। सर्पदंश के बाद घबराएं नहीं, साहस से काम लें।

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