बोले शहीद के पिता देश के काम आया मेरा बेटा, बहन से की थी शहीद होने के कुछ देर पहले बात
जम्मू के नौशेहरा सेक्टर में शुक्रवार को हुए आतंकवादी हमले में शहीद जीवन गुरुंग की अंतिम बात फोन पर उनकी बहन के साथ हुई थी। बात करते-करते ही रेजीमेंट से फोन आया। फिर जो हुआ, पढिए...
सिलीगुड़ी [शिवानंद पांडेय] । जम्मू के नौशेहरा सेक्टर में बीते शुक्रवार को आतंकवादियों द्वारा किए गए आइईडी ब्लास्ट में शहीद गोरखा रेजीमेंट के जवान राइफलमैन जीवन गुरुंग के पिता किरन गुरुंग ने कहा कि उनको अपने बेटे पर गर्व है। वह देश के काम आया है।
सलामी के लिए मंच की ओर लाया जाता शहीद का पार्थिव शरीर।
तिरंगे में लिपटा हुआ शहीद का पार्थिव शरीर रविवार की शाम लगभग पौने पांच बजे विमान से जैसे ही बागडोगरा एयरपोर्ट पहुंचा, उसे देख परिजन बिलख पड़े। जीवन के बड़े भाई रूपम गुरुंग व उनकी चाची नम्रता गुरूंग फफक-फफक कर रो पड़ीं। वहीं अरूणांचल प्रदेश में प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले जीवन के पिता किरण गुरुंग एयरपोर्ट पर भाव-शून्य होकर किसी तरह से अपने-आप को संभाले हुए थे। उन्होंने कहा कि मुझे दुख है, लेकिन वह मेरा ही बेटा नहीं, पूरे देश का बेटा था। देश की सेवा करते हुए शहीद हुआ है। उसकी शहादत पर पूरे देश के साथ मुझे भी गर्व है।
शहीद होने से पहले बहन से की थी बात
किरण गुरुंग ने बताया कि बीते शुक्रवार को जीवन अपनी बहन वेणु के साथ फोन पर बात कर रहे थे। अचानक उन्होंने अपनी बहन से कहा कि रेजिमेंट से फोन आ रहा है, बाद में बात करूंगा। कुछ देर बाद जब फोन नहीं आया तो वेणु ने खुद फोन लगाकर बात करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो सकी। रात लगभग 10 बजे सेना द्वारा जीवन की शहादत की खबर मिली। उन्होंने बताया कि बेटे के शहीद होने की खबर सुनकर वे अरूणांचल प्रदेश से घर आए हैं।
अप्रैल में शादी की बात पक्की करने के लिए जीवन आने वाले थे घर
मात्र 24 साल आठ महीने की उम्र में शहीद होने वाले जीवन अपनी जीवन संगिनी चुनने के लिए इस वर्ष अप्रैल में छुट्टी लेकर घर आने वाले थे। इसके ठीक उलट चार महीने पहले ही घर तो पहुंचे, लेकिन तिरंगा में लिपटकर।
सलामी के लिए मंच की ओर लाया जाता शहीद का पार्थिव शरीर।
तिरंगे में लिपटा हुआ शहीद का पार्थिव शरीर रविवार की शाम लगभग पौने पांच बजे विमान से जैसे ही बागडोगरा एयरपोर्ट पहुंचा, उसे देख परिजन बिलख पड़े। जीवन के बड़े भाई रूपम गुरुंग व उनकी चाची नम्रता गुरूंग फफक-फफक कर रो पड़ीं। वहीं अरूणांचल प्रदेश में प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले जीवन के पिता किरण गुरुंग एयरपोर्ट पर भाव-शून्य होकर किसी तरह से अपने-आप को संभाले हुए थे। उन्होंने कहा कि मुझे दुख है, लेकिन वह मेरा ही बेटा नहीं, पूरे देश का बेटा था। देश की सेवा करते हुए शहीद हुआ है। उसकी शहादत पर पूरे देश के साथ मुझे भी गर्व है।
शहीद होने से पहले बहन से की थी बात
किरण गुरुंग ने बताया कि बीते शुक्रवार को जीवन अपनी बहन वेणु के साथ फोन पर बात कर रहे थे। अचानक उन्होंने अपनी बहन से कहा कि रेजिमेंट से फोन आ रहा है, बाद में बात करूंगा। कुछ देर बाद जब फोन नहीं आया तो वेणु ने खुद फोन लगाकर बात करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो सकी। रात लगभग 10 बजे सेना द्वारा जीवन की शहादत की खबर मिली। उन्होंने बताया कि बेटे के शहीद होने की खबर सुनकर वे अरूणांचल प्रदेश से घर आए हैं।
अप्रैल में शादी की बात पक्की करने के लिए जीवन आने वाले थे घर
मात्र 24 साल आठ महीने की उम्र में शहीद होने वाले जीवन अपनी जीवन संगिनी चुनने के लिए इस वर्ष अप्रैल में छुट्टी लेकर घर आने वाले थे। इसके ठीक उलट चार महीने पहले ही घर तो पहुंचे, लेकिन तिरंगा में लिपटकर।