रोजाना का कारोबार घटकर मात्र तीन करोड़,सरकारी खजाने को भी भारी नुकसान

- पांच दिनों बाद भी सड़क पर ना गाड़ी ना ग्राहक -35 हजार छोटे दुकानदारों के सामने अस्ि

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 May 2020 07:04 PM (IST) Updated:Tue, 26 May 2020 07:04 PM (IST)
रोजाना का कारोबार घटकर मात्र तीन करोड़,सरकारी खजाने को भी भारी नुकसान
रोजाना का कारोबार घटकर मात्र तीन करोड़,सरकारी खजाने को भी भारी नुकसान

- पांच दिनों बाद भी सड़क पर ना गाड़ी ना ग्राहक

-35 हजार छोटे दुकानदारों के सामने अस्तित्व का संकट

-बीस लाख करोड़ के पैकेज से नहीं मिली काई राहत

-लोगों की जेब में पैसे पहुंचाने की मांग ने पकड़ा जोर

-खर्च करने बाजार में लिकलेंगे लोग तो बनेगी बात

200

करोड़ डायरेक्ट टैक्स सलान

1000

करोड़ इन डायरेक्ट टैक्स सलाना

विपिन राय,सिलीगुड़ी:

कोरोना वायरस महामारी में इंसान की जिंदगी को तो तबाह किया ही है साथ ही इसने कारोबार का भी पूरी तरह से भट्ठा बैठा दिया है। हर दिन कोरोना मरीज के आकड़े जिस तरह से तेजी से बढ़ रहे हैं,उससे स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है। लोग डरे हुए हैं और कारोबार चौपट है। यही स्थिति कुछ और महीने जारी रही तो अर्थव्यवस्था का पूरी तरह से तबाह होना तय है। कोरोना ने अर्थव्यवस्था को कितनी बुरी तरह से प्रभावित किया है। इसका अंदाजा सिर्फ सिलीगुड़ी के कारोबार को देखकर ही लगाया जा सकता है। पूरे देश में लॉकडाउन चार जारी है। कुछ नियम एवं शर्तो के साथ इस महीने की 21 तारीख से दुकानें खोलने की इजाजत दे दी गई है। उसके बाद सिलीगुड़ी की अधिकाश दुकानें खुल तो गई है, लेकिन ग्राहक बाजार से नदारद हैं। आलम यह है कि दुकानदार दिनों भर अपनी दुकान में बैठे रहते हैं और देर शाम तक बोहनी तक के लिए तरस जाते हैं। सिलीगुड़ी के प्रमुख बाजार हिल कार्ट रोड, सेवक रोड,सेठ श्रीलाल मार्केट ,विधान मार्केट हागकाग मार्केट ,कपड़ा पट्टी,विवेकानंद मार्केट के अलावा एसएफ रोड तथा अन्य बाजार के दुकानदार एक-एक ग्राहक के लिए तरस रहे हैं। सबसे बुरा हाल तो करीब 35 हजार छोटे दुकानदारों की है।

बिक्री लगभग नहीें होने से दुकानदार तो परेशान हैं ही,बल्कि सरकार को भी करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। एक अनुमान के मुताबिक सिलीगुड़ी के प्रमुख बाजार हिलकार्ट रोड, सेवक रोड, चर्च रोड आदि को मिला लें तो हर दिन करीब बीस करोड़ रुपये से अधिक का टर्नओवर दुकानों में हो जाता था। जो अभी घट कर दो से तीन करोड़ रुपए रह गया है। जाहिर है बिक्री में गिरावट तेजी से आई से टर्नओवर भी घट गया है। जब ग्राहक ही नहीं आएंगे तो भला पैसे की लेनदेन कैसे होगी। बाजार की खराब स्थिति को लेकर सभी कोई चिंतित हैं। कारोबारियों का कहना है कि अभी स्थिति में सुधार की संभावना नहीं है। क्योंकि सिलीगुड़ी का बाजार मुख्य रूप से स्थानीय लोगों पर नहीं बल्कि दाíजलिंग पर्वतीय क्षेत्र के अलावा पड़ोसी राज्य बिहार और सिक्किम पर निर्भर करता है। गाड़िया नहीं चल रही है,तो यहा से ग्राहक नहीं आ रहे हैं। उपर से कोरोना वायरस का डर तो है ही। दाíजलिंग पर्वतीय क्षेत्र में तो अभी भी लॉडाउन का पालन कड़ाई से किया जा रहा है। गाड़िया पूरी तरह से बंद कर दी गई है। जिसके कारण पहाड़ से ग्राहक आना बंद हो गए हैं। उत्तर बंगाल में कारोबारियों के सबसे बड़े संगठन फोसिन के अध्यक्ष विश्वजीत दास का कहना है कि स्थिति तब तक नहीं सुधरेगी जब तक गाड़ियों की आवाजाही नहीं होगी। सरकार ने कुछ नियमों के साथ इंटर स्टेट तथा इंट्रा स्टेट बस सíवस शुरू करने की इजाजत दे दी है। कल परसों से बस सेवा शुरू हो जाएगी। जब लोगों की आवाजाही बढ़ेगी तो ग्राहकों की संख्या भी बढ़ेगी। जब तक सड़कों पर गाड़िया नहीं दिखेगी तब तक दुकानों में ग्राहक भी नहीं दिखेंगे। उन्होंने बताया कि खराब कारोबार के कारण सरकार को भी करोड़ों रुपए का राजस्व का नुकसान हो रहा है। सिलीगुड़ी से सरकार को डायरेक्ट और इन डायरेक्ट टैक्स के रूप में करीब 12 सौ करोड़ रूपये से ज्यादा सालाना आमदनी होती है। सिलीगुड़ी के लोग हर साल डायरेक्ट टैक्स के रूप में करीब 200 करोड़ रुपये का इनकम टैक्स देते हैं। अगर इसका हिसाब लगाएं तो पिछले 2 से 3 महीने में सरकार को इनकम टैक्स के रूप में ही लगभग 40 से पचास करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। जबकि इन डायरेक्ट टैक्स जीएसटी को मान लें तो सालाना 1000 करोड़ रुपये से अधिक का कलेक्शन सिलीगुड़ी से होता है। इस हिसाब से पिछले 2 से 3 महीने में सरकार को इन डायरेक्ट टैक्स के रूप में 200 से ढाई सौ करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। उन्होंने केंद्र सरकार से व्यवसायियों के लिए तत्काल विशेष पैकेज देने की माग की।

दूसरी ओर छोटा एवं खुदरा कारोबारियों का भी यही हाल है। सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके में ही 35 हजार से 40 हजार खुदरा कारोबारी हैं। इनकी छोटी-छोटी दुकाने हैं। इन दुकानों में निम्न मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग के लोग आते हैं। महावीर स्थान,चेकपोस्ट, हैदर पाड़ा, घुगुमाली, रामकृष्ण मिनी मार्केट,डीआई फंड मार्केट, एनजेपी,हांगकांग मार्केट के अलावा प्रधान नगर, चंपासारी इलाके में ऐसे छोटे कारोबारी अपनी दुकान लगाते हैं। इनका भी धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है। सिलीगुड़ी वृहत्तर खुदरा व्यवसाई समिति के अध्यक्ष विप्लव राय मोहरी ने बताया है कि हालत काफी खराब है। लोगों के पास पैसे ही नहीं है। वह बाजार कहा से आएंगे। खुदरा कारोबारियों के यहा रोज कमाने और रोज खाने वाले ग्राहक आते हैं। उनका रोज कमाना बंद हो गया है। उनके हाथ में पैसे भी नहीं आ रहे हैं। ऐसे ग्राहकों ने बाजार आना बंद कर दिया है। अगर किसी के पास पैसे हैं, तो पहले व खाने-पीने की चीजें खरीद रहे हैं। कपड़ा या अन्य कोई वस्तु खरीदने के बारे में तो अभी यह लोग सोच भी नहीं सकते। सरकार को सीधे गरीबों को पैसा देना चाहिए। केंद्र सरकार ने जो 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दिया है,उससे कारोबारियों को कोई खास लाभ नहीं हो रहा है। कारोबारियों के लिए अलग से पैकेज की घोषणा केंद्र सरकार को करनी चाहिए। इस माग को लेकर केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र भी लिखा है।

-विश्वजीत दास,अध्यक्ष,फोसिन सरकार ने पैकेज देने के नाम पर धोखा देने के अलावा कुछ नहीं किया है। अभी गरीब लोगों के हाथ में पैसा देना चाहिए। इनकी क्रय क्षमता बढ़ेगी। अभी बाजार को चलाने के लिए क्रय क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है। लोगों की क्रय क्षमता बढ़ेगी तो बाजार में लिक्विडिटी भी बढ़ेगी।

-विप्लव राय मोहरी,अध्यक्ष,सिलीगुड़ी वृहत्तर खुदरा व्यवसाई समिति खालपाड़ा-नया बाजार को तो अजब हाल

खालपाड़ा-नया बाजार गल्ला मंडी का तो अजब हाल है। लॉकडाउन के समय यहा बिक्री ठीक-ठाक थी। लेकिन अब इस बाजार का हाल बेहाल हो गया है। लॉकडाउन के समय सरकार ने खाने पीने में कमी ना हो इसके लिए दाल, चावल, आटा जैसे जरूरी सामानों की आपूíत सुनिश्चित करा दी थी। इसलिए राशन दुकानों में लॉक डाउन के समय भी बंदी नहीं देखने को मिली थी। तब खालपाड़ा नया बाजार गल्ला मंडी से हर दिन करीब सात से आठ करोड़ रुपये का कारोबार हो जाया करता था। अब यह घटकर चार से पाच करोड़ रुपए हो गया है। इस संबंध में सिलीगुड़ी मर्चेंट एसोसिएशन के प्रवक्ता तथा कोषाध्यक्ष कमल गोयल ने बताया है कि अभी लोगों के पास खाने-पीने की कमी नहीं है। जरूरतमंदों को खाने-पीने की काफी सामग्री दे दी गई है। केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा राशन भी दिया गया है। फलस्वरूप जरूरतमंदों के पास चावल और आटा जैसे खाद्य सामग्रियों का स्टॉक हो गया है। इसलिए माग में कमी आई है। इसके अलावा पहाड़ से भी गाड़िया नहीं आ रही है। जिसके कारण बिक्री कम हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना के डर से भी लोग बाजार में नहीं आ रहे है। पिछले कुछ दिनों के दौरान सिलीगुड़ी तथा आसपास के इलाके में कोरोना वायरस के मामले बढ़े हैं। इसी कारण लोग डरे हुए हैं और अपने घरों से कम निकल रहे हैं। उन्होंने भी केंद्र सरकार के पैकेज को नाकाफी बताया। गोयल ने कहा कि राहत के नाम पर बस लोन देने की घोषणा की गई है।

chat bot
आपका साथी