सोना लाने वाली इस बेटी को कोई पूछने नहीं आया.

फोटो - संवाद सूत्र, सिलीगुड़ी : ओलंपिक खेलों में देश के लिए रजत व सिल्वर लेकर आने वाली देश की बेटि

By Edited By: Publish:Fri, 02 Sep 2016 12:03 AM (IST) Updated:Fri, 02 Sep 2016 12:03 AM (IST)
सोना लाने वाली इस बेटी को कोई पूछने नहीं आया.

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संवाद सूत्र, सिलीगुड़ी : ओलंपिक खेलों में देश के लिए रजत व सिल्वर लेकर आने वाली देश की बेटियों को लोगों ने जहां सिर आंखों पर बैठा रखा है। वहीं सिलीगुड़ी की बेटी सोमा कुंडू जिसने पिछले महीने ही टर्की में आयोजित 'व‌र्ल्ड डेप्थ चैंपियनशिप' में टेबल टेनिस खेल में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए टीम के साथ देश के लिए स्वर्ण व सिंगल्स में खेलते हुए रजत पदक हासिल किया। उसकी खोज खबर लेने उसके घर कोई नहीं पहुंचा।

उल्लेखनीय है कि टर्की में इस

चैंपियनशिप के दौरान आतंकवादी हमला भी हुआ था। उस वक्त देश के अन्य खिलाड़ियों के साथ सिली़गुड़ी

की बेटी सोमा भी उनके साथ टर्की में ही थी। उस दौरान मीडिया में इन खिलाड़ियों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई थी। लेकिन इसके बाद भी देश के लिए सम्मान लेकर आने वाली इस बेटी का हाल जानने की न तो मीडिया ने दिलचस्पी दिखालाई और नहीं जनता और जनप्रतिनिधियों ने ही। वर्ष 2013 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से सर्वश्रेष्ठ विकलांग खिलाड़ी का सम्मान पाने वाली इस मूक वधिर दिव्यांग बेटी को इस बात का दु:ख है कि देश के लिए इस स्तर पर खेलने के बावजूद जीवन यापन के लिए एक नौकरी की व्यवस्था भी सरकार नहीं कर पाई है। इशारों में ही सोमा ने कहा कि अभी दो दिन पहले ही पता चला कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई की एक छात्रा के पत्र को संज्ञान में लेते हुए उसके विद्यालय को खेलने का मैदान उपलब्ध कराया। जिससे खेल में रूचि रखने वाले छात्रों को प्रोत्साहन मिला। लेकिन यहां देश के लिए इतना खेलने के बाद भी मुझे नौकरी नहीं मिल सकी है। उल्लेखनीय है कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल और सम्मान हासिल करने वाली सिलीगुड़ी की इस बेटी ने कई बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश का गौरव बढ़ाया है। बेटी को देश के लिए खेलता देख गौरवान्वित होते पिता बबलू कुंडू ने अपने जीवन भर की जमा पूंजी उसके खेल पर न्यौछावर कर दी। लेकिन अब चिंता उन्हें इस बात की है कि अगले वर्ष सेवानिवृत्त होने के बाद पीएफ की राशि भी कोई खास नहीं बची है। उसके बाद परिवार सोमा की अस्थाई नौकरी से नहीं चलने वाला। अर्जुन पुरस्कार का लक्ष्य साधने वाली सशक्त सोमा अब अंदर से टूटन महसूस करने लगी है। वह कहती है यही स्थिति रही तो अब खेलना ही छोड़ दूंगी।

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