जब दो जरूरी विधेयक राजमाता कमलेंदुमति ने कराए थे पास, टिहरी का पहला संसदीय चुनाव; निर्दल चुनी गई थीं पहली महिला सांसद

कमलेंदुमति ने गढ़वाली हिंदी अंग्रेजी उर्दू व फ्रेंच का ज्ञान टिहरी राजमहल में ही लिया। उन्हें राजमाता का दर्जा था। वर्ष 1949 में टिहरी रिसायत का भारत में विलय हुआ। वर्ष 1952 में हुए लोकसभा के पहले चुनाव में जब टिहरी संसदीय सीट पर टिहरी के अंतरिम शासक (वर्ष 1946 से वर्ष 1950 तक) मानवेंद्र शाह का नामांकन रद्द हुआ तो राजमाता कमलेंदुमति को मैदान में उतारा गया।

By Jagran NewsEdited By: Aysha Sheikh Publish:Mon, 11 Mar 2024 09:34 AM (IST) Updated:Mon, 11 Mar 2024 09:35 AM (IST)
जब दो जरूरी विधेयक राजमाता कमलेंदुमति ने कराए थे पास, टिहरी का पहला संसदीय चुनाव; निर्दल चुनी गई थीं पहली महिला सांसद
टिहरी का पहला संसदीय चुनाव; निर्दल चुनी गई थीं पहली महिला सांसद

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। टिहरी संसदीय सीट का सियासी परिदृश्य भी कम रोचक नहीं है। इसमें भी वर्ष 1952 में हुआ पहला संसदीय चुनाव सबसे अधिक याद किया जाता है। अविभाजित उत्तर प्रदेश के दौर से चली आ रही इस सीट में उस समय टिहरी, पौड़ी गढ़वाल और बिजनौर संसदीय क्षेत्र समाहित थे।

इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरी राजमाता कमलेंदुमति शाह सांसद चुनी गईं। उन्हें न केवल टिहरी, बल्कि उत्तराखंड क्षेत्र की पहली महिला सांसद होने का गौरव प्राप्त हुआ। संसद में भी वह मुखर रहीं और महिला व बच्चों के अधिकारों से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयक पास कराने में उनकी अहम भूमिका रही।

इसके ही आधार पर आज भी महिला एवं बाल विकास विभाग काम करता है। इसके लिए केंद्र सरकार ने उन्हें वर्ष 1958 में पद्मभूषण से नवाजा। कमलेंदुमति शाह का जन्म 20 मार्च 1903 को हिमाचल प्रदेश के क्योंथल राजघराने में हुआ। 13 साल की उम्र में कमलेंदुमति और उनकी छोटी बहन इंदुमति का विवाह टिहरी के महाराजा नरेंद्र शाह से हुआ।

कमलेंदुमति ने गढ़वाली, हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू व फ्रेंच का ज्ञान टिहरी राजमहल में ही लिया। उन्हें राजमाता का दर्जा था। वर्ष 1949 में टिहरी रिसायत का भारत में विलय हुआ। वर्ष 1952 में हुए लोकसभा के पहले चुनाव में जब टिहरी संसदीय सीट पर टिहरी के अंतरिम शासक (वर्ष 1946 से वर्ष 1950 तक) मानवेंद्र शाह का नामांकन रद्द हुआ तो राजमाता कमलेंदुमति को मैदान में उतारा गया। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी ठाकुर किशन सिंह (कृष्ण सिंह) को 13,982 मतों से हराया।

कमलेंदुमति ने किए ये यादगार काम

कमलेंदुमति ने अनाथ बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए निजी विधेयक महिला एवं बाल संस्थाएं बिल (1954) और अनैतिक देह व्यापार बिल (1957) लोकसभा में पास कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 1957 के आम चुनाव में उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत टिहरी रियासत के अंतरिम शासक रहे मानवेंद्र शाह को सौंपी। 15 जुलाई 1999 को कमलेंदुमति शाह का निधन हुआ।

chat bot
आपका साथी