पहाड़ में रोजगारपरक शिक्षा का गुरुकुल

जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 25 किमी दूर डुंडा ब्लॉक के हिटाणू गांव में 15 वर्ष पहले डॉ. हरिशंकर नौटियाल ने श्रीमती मंजिरा देवी शिक्षण संस्थान की स्थापना की थी।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 02 Jan 2021 03:00 AM (IST) Updated:Sat, 02 Jan 2021 03:00 AM (IST)
पहाड़ में रोजगारपरक शिक्षा का गुरुकुल
पहाड़ में रोजगारपरक शिक्षा का गुरुकुल

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 25 किमी दूर डुंडा ब्लॉक के हिटाणू गांव में 15 वर्ष पहले डॉ. हरिशंकर नौटियाल ने श्रीमती मंजिरा देवी शिक्षण संस्थान की स्थापना की थी। आज यह संस्थान ग्रामीण क्षेत्र में रोजगारपरक शिक्षा का गुरुकुल बन गया है। यहां से बीएड कर आज 1100 से अधिक विद्यार्थी शिक्षक के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। इस संस्थान के कारण हिटाणु गांव सहित आसपास का इलाका भी समृद्ध बन गया है। अब यह संस्थान डीम्ड विश्वविद्यालय बनने जा रहा है।

डुंडा ब्लॉक के पुजारगांव निवासी डॉ. हरिशंकर नौटियाल तब महज छह माह के थे, जब उनके सिर से पिता का साया उठ गया था। यह 1952 की बात है। मां मंजिरा देवी नौटियाल ने खेती-किसानी कर जैसे-तैसे हरिशंकर को पढ़ाया-लिखाया। हरिशंकर ने भूगोल विषय में पीएचडी की और पीजी कॉलेज उत्तरकाशी में प्रोफेसर बन गए। लेकिन, अंतर्मन को हमेशा वह पीड़ा कचोटती रही, जो मां के साथ बचपन में झेली थी। इसलिए निश्चय किया कि रोजगारपरक शिक्षा के लिए अपने गांव के निकट हिटाणु में शिक्षण संस्थान खोलेंगे। ताकि ग्रामीणों को रोजगारपरक शिक्षा के लिए भटकना न पड़े। इसके लिए वर्ष 1995 से उन्होंने प्रयास शुरू भी कर दिए।

वर्ष 2005 में संस्थान को बीएड की मान्यता मिलने के बाद उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग से वीआरएस ले लिया और संस्थान में ही पढ़ाने लगे। वर्तमान में यहां बीएड के अलावा मैकेनिकल इंजीनियरिग, सिविल इंजीनियरिग, इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिग, फार्मेसी, बीएएमएस, फार्मेसी आयुर्वेदिक, पंचकर्म, जीएनएम, योग व एमए एजुकेशन पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं। फिलवक्त 700 से अधिक विद्यार्थी संस्थान में शिक्षा ले रहे हैं।

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ग्रामीणों को भी मिल रहा है रोजगार

डॉ. हरिशंकर नौटियाल द्वारा स्थापित मंजिरा देवी शिक्षण संस्थान में 150 से अधिक फैकल्टी हैं। संस्थान के चेयरमैन डॉ. भगवन नौटियाल कहते हैं कि 90 फीसद रोजगार स्थानीय व्यक्तियों को मिला है। संस्थान में पढ़ने वाली बालिकाओं के लिए छात्रावास की व्यवस्था है। जबकि हिटाणु, भकड़ा, टुखार, जड़ी डुमका व देवीधार में 200 से अधिक ग्रामीणों के कमरे किराये पर हैं। इस संस्थान के कारण हिटाणू, देवीधार और डुंडा जैसे ग्रामीण बजार भी गुलजार हुए हैं।

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'पहाड़ों से पलायन की जब पड़ताल हुई तो इसका कारण शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव सामने आया। बचपन में विकट परिस्थितियों में पढ़ाई के दौरान इस अभाव से वे स्वयं भी प्रभावित हुए। तब से मन में रोजगारपरक शिक्षण संस्थान स्थापित करने की ठान ली थी, जो अब जल्द डीम्ड विश्वविद्यालय बनने जा रहा है।'

-डॉ. हरिशंकर नौटियाल, संस्थापक एवं निदेशक, श्रीमती मंजिरा देवी शिक्षण संस्थान, हिटाणू (उत्तरकाशी)

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