सेब का सिरमौर बन रही है उत्तर की काशी

उत्तरकाशी जिला सेब उत्पादन के मामले में धीरे-धीरे उत्तराखंड का सिरमौर बनता जा रहा है। जिले में सेब का उत्पादन तो बढ़ा ही, काश्तकारों की संख्या में भी खासा इजाफा हुआ है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 01 Jan 2018 04:56 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jan 2018 08:55 PM (IST)
सेब का सिरमौर बन रही है उत्तर की काशी
सेब का सिरमौर बन रही है उत्तर की काशी

उत्‍तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: गंगा-यमुना का मायका उत्तरकाशी जिला सेब उत्पादन के मामले में धीरे-धीरे उत्तराखंड का सिरमौर बनता जा रहा है। बीते पांच वर्षों में यहां सेब के बगीचे 5300 हेक्टेयर से बढ़कर 9372.59 हेक्टेयर क्षेत्र में फैल चुके हैं। इससे जिले में सेब का उत्पादन तो बढ़ा ही, काश्तकारों की संख्या में भी खासा इजाफा हुआ है। वर्तमान में 8663 काश्तकारों की आजीविका का मुख्य जरिया सेब उत्पादन बन चुका है।

अब जनवरी, 2018 के लिए काश्तकारों ने उद्यान विभाग से 94 हजार सेब की पौध मांगी है, जिसे 153 हेक्टेयर क्षेत्र में रोपा जाएगा। उत्तराखंड में सेब का सर्वाधिक उत्पादन उत्तरकाशी जिले में होता है। खासकर गंगा एवं यमुना घाटी तो सेब उत्पादन के लिए खास पहचान रखती हैं। देश एवं प्रदेश में सेब की बढ़ती मांग के चलते यहां काश्तकारों का रुझान सेब उत्पादन में लगातार बढ़ रहा है।

बीते 22 वर्षों से उत्तरकाशी में तैनात सेब विशेषज्ञ एनके सिंह बताते हैं कि बीते दो दशक में यहां के काश्तकारों ने पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश से सीख लेते हुए व्यावसायिक दृष्टिकोण अपनाया है। पहले उत्तरकाशी के आराकोट व हर्षिल वाले क्षेत्र में रॉयल डेलिसस, रेड डेलिसस व गोल्डन डिलिसस प्रजाति के सेब होते थे। 

इनके पेड़ काफी बड़े होते हैं और शीतकाल के दौरान इनके लिए अच्छी बर्फबारी भी जरूरी है। ऐसे में काश्तकारों को अच्छा उत्पादन नहीं मिल पाता था। लेकिन, बीते 10-12 वर्षों से काश्तकारों का दृष्टिकोण बदला और उन्होंने स्पर प्रजाति के रेड चीफ, सुपर चीफ व गोल गाला के पौधों के बागीचे तैयार किए। एनके सिंह बताते हैं कि कम बर्फबारी होने पर भी स्पर प्रजाति के पेड़ों में उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ता है। इन पेड़ों की ऊंचाई बहुत अधिक नहीं होती और फलों की क्वालिटी और मात्रा भी अच्छी होती है। 

35 हजार मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य 

एनके सिंह बताते हैं कि वर्तमान में उत्तरकाशी जिले में 20 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। इसे 2020 तक बढ़ाकर 35 हजार मीट्रिक टन करने का लक्ष्य है।

हिमाचल की पैकिंग, उत्तरकाशी का सेब 

उत्तरकाशी में सेब मंडी तक नहीं है। उत्तरकाशी के आराकोट में सेब मंडी खुलने की घोषणा तो हुई, लेकिन यह कवायद भी धरातल पर नहीं उतरी। नतीजा, हिमाचल प्रदेश के आढ़ती ही उत्तराखंड का सेब खरीदकर उसे हिमाचल की पैकिंग में दूसरे राज्यों की मंडियों को भेजते हैं।

अपर जिला उद्यान अधिकारी (उत्तरकाशी) एके मिश्रा का कहना है कि जिले में हर वर्ष सेब का क्षेत्रफल बढ़ रहा है और काश्तकारों की संख्या भी। काश्तकारों को उन्नत किस्म की पौध दी जा रही है। काश्तकार अतोल सिंह राणा का कहना है कि सेब की मांग बढऩे से हम काश्तकारों को भी अच्छा मुनाफा हो रहा है। उन्नत किस्म के पौधे लगाने के बाद सेब की पैदावार साल-दर-साल बढ़ रही है। 

प्रदेश में सेब उत्पादन 

जिला-------------क्षेत्रफल-------------उत्पादन   

उत्तरकाशी------9372.59-----------20529 

अल्मोड़ा----------1577---------------14137 

नैनीताल----------1242----------------9066 

देहरादून-----------4799---------------7342 

चमोली------------1064---------------3354 

पौड़ी----------------1123--------------3057 

पिथौरागढ़----------1600--------------3012 

टिहरी---------------3820.34----------1910 

(नोट-क्षेत्रफल हेक्टेयर और उत्पादन मीट्रिक टन में) 

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