यहां अर्जुन के तीर से फूटी जलधारा ने बुझाई थी द्रौपदी की प्‍यास, जानिए इसकी खासियत

यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बर्नीगाड से 50 मीटर दूर स्थित गंगनानी धारा की रोचक कहानी है। यहां अर्जुन ने अपने गांडीव से पहाड़ पर तीर मारा, जिससे जल की धारा फूट पड़ी।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 14 May 2018 01:39 PM (IST) Updated:Thu, 17 May 2018 04:58 PM (IST)
यहां अर्जुन के तीर से फूटी जलधारा ने बुझाई थी द्रौपदी की प्‍यास, जानिए इसकी खासियत
यहां अर्जुन के तीर से फूटी जलधारा ने बुझाई थी द्रौपदी की प्‍यास, जानिए इसकी खासियत

बर्नीगाड, उत्तरकाशी [कुंवर सिंह तोमर]: यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बर्नीगाड से 50 मीटर दूर स्थित गंगनानी धारा (प्राकृतिक स्रोत) यात्रियों की खास पसंद बन गया है। यमुनोत्री जाने वाले यात्री इस धारा के समीप रुककर शीतल जल से अपनी प्यास बुझाते हैं। साथ ही आसपास के नैसर्गिक सौंदर्य को कैमरों में कैद करना भी नहीं भूलते। मान्यता है कि यह वही जलधारा है, जिसमें पांडवों के वनवास के दौरान द्रौपदी ने अपनी प्यास बुझाई थी। खास बात यह कि चाहे कितनी भी गर्मी क्यों न पड़ जाए, इस धारा के प्रवाह में कोई अंतर नहीं आता।

उत्तरकाशी जिले के नौगांव ब्लॉक में स्थित गंगनानी धारा का भले ही पौराणिक महत्व हो, लेकिन इस क्षेत्र को विकसित करने की कभी जरूरत नहीं समझी गई। खूबसूरत पर्यटन होने के बावजूद यहां पर न तो पार्किंग की सुविधा है और न शौचालय की व्यवस्था ही। बर्नीगाड निवासी 80-वर्षीय पदम सिंह पंवार पौराणिक मान्यता का हवाला देते हुए बताते हैं कि वनवास के दौरान पांडव जब यहां से गुजर रहे थे, द्रौपदी को प्यास लग गई। लेकिन, आसपास कहीं पानी नहीं था। तब अर्जुन ने अपने गांडीव से पहाड़ पर तीर मारा, जिससे जल की धारा फूट पड़ी। इसी जल से द्रोपदी ने अपनी प्यास बुझाई थी। 

बताते हैं कि चाहे कितनी भी गर्मी अथवा बारिश क्यों न पड़ जाए, इस धारा का पानी न तो कभी कम होता और न बढ़ता ही है। यह पानी गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म रहता है। यही वजह है कि पर्यटन सुविधाएं न होने पर भी यात्री यहां रुककर थकान जरूर बिसराते हैं। इन दिनों भी यहां ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है।

महाराज भी निहार चुके हैं धारा का सौंदर्य

स्थानीय निवासी भूरादास, विजेंद्र रावत, रणवीर, केंद्री देवी, केदार सिंह पंवार, कुंवर सिंह चौहान, प्रदीप चौहान, अमर सिंह चौहान, बलवीर चौहान, अनिल पंवार, दीपक राय व चैन सिंह रावत बताते हैं कि 27 मई 2017 को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज गंगनानी धारा में रुके थे। तब ग्रामीणों ने पर्यटन मंत्री से गंगनानी धारा को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने का आग्रह किया था। लेकिन, इसके बाद बात आई-गई हो गई।

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