आठवीं पास भी नहीं था प्रत्‍याशी, जांच के दौरान नामांकन रद; पढ़िए पूरी खबर

नेरी गांव में प्रधान प्रत्याशी का नामांकन जांच के दौरान रद हो गया। इस गांव से एक ही नामांकन हुआ था।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sat, 28 Sep 2019 02:54 PM (IST) Updated:Sat, 28 Sep 2019 02:54 PM (IST)
आठवीं पास भी नहीं था प्रत्‍याशी, जांच के दौरान नामांकन रद; पढ़िए पूरी खबर
आठवीं पास भी नहीं था प्रत्‍याशी, जांच के दौरान नामांकन रद; पढ़िए पूरी खबर

उत्तरकाशी, जेएनएन। चिन्यालीसौड़ ब्लाक के नेरी गांव में प्रधान प्रत्याशी का नामांकन जांच के दौरान रद हो गया। प्रधान प्रत्याशी के लिए इस गांव से एक ही नामांकन हुआ था। जिस प्रत्याशी ने नामांकन कराया, वह प्रधान पद के सापेक्ष शैक्षिक अहर्ता पूरी नहीं कर पाई। अनुसूचित जाति महिला वर्ग में कोई और महिला प्रधान पद की योग्यता को पूरी नहीं कर पा रही है। यहां तक कि अनुसूचित जाति पुरुष वर्ग में भी कोई व्यक्ति ऐसा नहीं है, जो प्रधान पद की अहर्ताएं पूरी करता हो। महिला अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित इस पद के लिए शैक्षिक योग्यता आठवीं पास निर्धारित है। ऐसे में इस गांव के लिए मुखिया का संकट पैदा हो गया है। 

चिन्यालीसौड़ ब्लाक से छह किलोमीटर दूर नेरी गांव पड़ता है। मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना द्वितीय का पावर हाउस भी नेरी गांव में है। इस गांव में 55 परिवार और 175 करीब मतदाता है। तीन परिवार अनुसूचित जाति के रहते हैं। दो परिवार ऐसे हैं जिनमें केवल वृद्ध हैं, जबकि एक परिवार हुकमदास का है। इस बार नेरी गांव में प्रधान पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित हुआ। जिसके लिए हुकमदास की पत्नी देवेश्वरी देवी ने आवेदन किया। लेकिन, शैक्षिक अहर्ता पूरी न होने के कारण देवेश्वरी देवी का नामांकन निरस्त हो गया है। 

हुकमदास की चार बेटियां और दो बेटे हैं। इनमें तीन बेटियों की शादी हो चुकी है। एक विवाहित बेटी कंचन चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के सर्प गांव की निर्विरोध प्रधान बन गई। हुकमदास की एक बेटी और दो बेटे 21 साल से कम उम्र के हैं। ये बच्चे पढ़े लिखे तो हैं लेकिन उम्र की अहर्ता पूरी नहीं कर पा रहे हैं। हुकमदास भी केवल साक्षर भर है। अन्य जो दो परिवार हैं, वे भी प्रधान पद की अहर्ता पूरी नहीं कर पा रहे हैं। 

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नेरी गांव निवासी हरीश थपलियाल, किशन सिंह रावत, बुद्धि सिंह रावत, गिरवीर रावत, रमेश चंद्र थपलियाल, सतपाल राणा आदि का कहना है कि इस बार के चुनाव में वे प्रधान के लिए मतदान नहीं कर पाएंगे। इस बात का ग्रामीणों को दुख है। लेकिन, नए प्रधान को चुनने के लिए चुनाव आयोग को तीन बार अधिसूचना जारी करनी होती है, जिसके बाद आरक्षण में बदलाव होगा। तब जाकर गांव को नया प्रधान मिल सकेगा। पर, इसके लिए ग्रामीणों छह माह से अधिक समय का इंतजार करना होगा। 

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