बदहाल ट्रैकिंग रूट बढ़ाएंगे परेशानी
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: पर्यटन सीजन सिर पर है, लेकिन पैदल यात्रा व ट्रैक रूट बुरेहाल में हैं। इस ओर न तो जिला प्रशासन ने अब तक ध्यान दिया ना ही लोक निर्माण विभाग व वन विभाग अपने क्षेत्र में पैदल रास्तों को ठीक करने की जहमत उठा रहे हैं। ऐसे में अब तक पहुंचे यात्री व पर्यटकों को अधिकांश ट्रैक रूटों पर जोखिमभरा सफर तय करना पड़ा।
जानकीचट्टी से यमुनोत्री धाम के लिए पांच किमी का पैदल रूट बीते साल बरसात के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके बाद सर्दियों की भारी बर्फबारी में भी कई जगह पर पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त हुआ। यह मार्ग यात्रा के लिहाज से पूरी तरह सुरक्षित नहीं कहा जा सकता। वहीं, गंगोत्री से गोमुख पैदल ट्रैक अभी खुल भी नहीं सका। बीते दिनों ही गंगोत्री नेशनल पार्क के कर्मचारियों ने गोमुख का रुख किया था, लेकिन गंगोत्री से करीब छह किमी की दूरी पर ही बड़े हिमखंड से ट्रैक बाधित हो गया। बर्फबारी के दौरान हिमस्खलन से कई जगह पर ट्रैक ध्वस्त भी हो गया है। दयारा-डोडीताल व संगमचट्टी-डोडीताल ट्रैक भी बीते साल की बरसात के बाद से दुरुस्त नहीं हो सके। इन दोनों ट्रैक रूटों पर पर्यटकों को बड़े स्लिप जोन पार करने पड़ रहे हैं। जिनसे लगातार पत्थर व मलबा गिरने से खतरा बना हुआ है। इस ट्रैक की जिम्मेदारी भी उत्तरकाशी वन प्रभाग के ऊपर है। इसी तरह तालुका-हरकीदून, मल्ला-जौराई, मुखबा-गंगोत्री, यमुनोत्री-डोडीताल जैसे ट्रैक रूट भी भगवान भरोसे हैं, जबकि पर्यटन सीजन के दौरान ये सभी ट्रैक रूट पर्यटकों से गुलजार रहते हैं। वन विभाग इन रूटों पर चहलकदमी के लिए पर्यटकों से शुल्क तो वसूलता है, लेकिन ट्रैक रूटों को दुरुस्त करने की जहमत नहीं उठाई जा रही है।
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जनपद के विभिन्न ट्रैक रूटों पर पर्यटकों की आमद शुरू हो गई है। गंगोत्री नेशनल पार्क, वन विभाग व लोनिवि से समन्वय कर इन रूटों को दुरुस्त करने का काम कर रहा है।
-केएस नेगी, जिला पर्यटन अधिकारी।