बच्चों को साहसी साहित्य की जरूरत

खटीमा : अंतरराष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मेलन में साहित्यकारों ने कहा कि बच्चों को साहसी साहित्य के साथ

By Edited By: Publish:Mon, 20 Oct 2014 12:22 AM (IST) Updated:Mon, 20 Oct 2014 12:22 AM (IST)
बच्चों को साहसी साहित्य की जरूरत

खटीमा : अंतरराष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मेलन में साहित्यकारों ने कहा कि बच्चों को साहसी साहित्य के साथ सरल, सुलभ साहित्य की जरूरत है। इसके विकास के लिए राष्ट्र स्तर पर बाल साहित्य एकेडमी होनी चाहिए। राजस्थान के डा. भैरूलाल गर्ग ने कहा कि बस्ते का बोझ बालक के विकास में बाधक है। इस दौरान नेपाल व भारत के साहित्यकारों को सम्मानित भी किया गया। बाल प्रहरी पत्रिका की ओर से 60 बाल पत्रिकाओं की प्रदर्शनी भी लगाई गई।

उत्तराखंड बाल कल्याण साहित्य संस्थान की ओर से खटीमा फाइबर्स फैक्ट्री में अंतरराष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया गया। डा.आरसी रस्तोगी, लक्ष्मी प्रसाद भट्ट, डा. चेतना उपाध्याय, नारा जोशी, डा. रजनीकांत शुक्ल, डा. अरशद खान ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सम्मेलन के अंतिम दिन देश के विभिन्न राज्यों व पड़ोसी देश नेपाल से आये साहित्यकारों ने बाल साहित्य पर चिंतन किया। सम्मेलन में डा. रजनीकांत शुक्ल ने कहा कि नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित बाल कविता, बाल कहानी, बाल नाटक, उपन्यास, बाल वाटिका जैसी पत्रिका और पुस्तक उपलब्ध है। अनुराग शर्मा, डा.अरशद, डा.चेतना उपाध्याय ने अपनी बातें रखीं। इस दौरान डा. गर्ग को शिरोमणि भारत के सम्मान व 11 हजार व नेपाल के ऋषिप्रसाद लामिछाने को शिरोमणि नेपाल के सम्मान एवं 5 हजार रुपये नगर देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा नेपाल व विभिन्न राज्यों से आये 53 साहित्यकारों को भी शाल उड़ाकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर संस्थान के अध्यक्ष डा. महेंद्र पांडे नंद, उर्मिला सिंह, देवदत्त, डा.सीएस जोशी, सुनील कुमार, अमिता प्रकाश, भरत गुराई, डा. उदय किरौला, पूरन बिष्ट, डा. रूप चंद्र शास्त्री, नरेश चंद्र तिवारी, सुरेंद्र कौर, अचल शर्मा, भूपाल सिंह, डा. भगवान मिश्र, जुहेर अब्बास, यूपी सिंह, संदीप थापा, रत्नाकर पांडे, शिवभगवान मिश्र आदि थे।

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