गोरखपुर और आगरा के लिए बसें ही नहीं

रुद्रपुर जासं त्योहारों के सीजन में भी गोरखपुर और आगरा के लिए बसों का संचालन न होने

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Mar 2019 11:11 PM (IST) Updated:Mon, 18 Mar 2019 11:11 PM (IST)
गोरखपुर और आगरा के लिए बसें ही नहीं
गोरखपुर और आगरा के लिए बसें ही नहीं

रुद्रपुर, जासं : त्योहारों के सीजन में भी गोरखपुर और आगरा के लिए बसों का संचालन न होने के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि इन स्थानों से बड़ी तादाद में लोग सिडकुल में रोजगार के लिए पहुंचते हैं।

उत्तराखंड जब उत्तर प्रदेश से जुड़ा था तो यहां से गोरखपुर की बसों का संचालन किया जाता था और बसें मुसाफिरों की संख्या अधिक होने के कारण अच्छी आय भी देती थीं, लेकिन 2000 में नया प्रदेश बनने के बाद बसों की किल्लत के कारण कुछ समय बाद गोरखपुर की सेवा बंद कर दी गई। कुछ ऐसा ही आगरा के साथ भी हुआ। बसों की कमी के कारण लखनऊ मार्ग पर प्रतिदिन अधिक सवारी होने के बावजूद सिर्फ एक बस का ही संचालन किया जा रहा है। जिससे रोडवेज की आय प्रभावित होना लाजमी है। सहायक महाप्रबंधक ने पूछने पर बताया कि नई बसें आने पर आगरा व लखनऊ के लिए बसों का संचालन किया जाएगा। बसें कम हैं जिससे हम इनके संचालन में ज्यादा छेड़-छाड़ नहीं कर सकते। हमारा फोकस दिल्ली व देहरादून मार्ग पर है। जितनी बसें हैं, उनसे बेहतर से बेहतर सेवा देने का प्रयास किया जा रहा है।

- यशपाल सिंह, मंडलीय महाप्रबंधक, काठगोदाम पर्व से बसों का संचालन बढ़ा

डिपो में रोडवेज की 54 व अनुबंधित 15 बसें सहित कुल 69 बसें हैं, जिनमें दिल्ली मार्ग पर 11 बसों को बढ़ाकर 20 कर दिया गया है। बरेली मार्ग पर दो बसें बढ़ाकर छह बसें, लखनऊ मार्ग पर एक बस और बढ़ा कर दो बसें, हरिद्वार देहरादून मार्ग पर नौ बसें, टनकपुर से काशीपुर मार्ग पर 17 बसें और पंजाब मार्ग पर तीन बसों का संचालन रविवार को किया जा रहा है। आरएम पहुंचे डिपो, देखा बसों का संचालन

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रुद्रपुर : होली पर रोडवेज बसों के बेहतर संचालन को सोमवार सुबह आरएम संचालन यशपाल सिंह ने स्थानीय डिपो का निरीक्षण किया। आरएम सुबह आठ बजे से 11.30 तक साढ़े तीन घंटे यहां रहे। सबसे पहले वर्कशॉप पहुंचे जहां बसों का संचालन का जायजा लिया। कितनी बसें सही हैं, पूछा। ताकि होली पर ज्यादा से ज्यादा बसों का संचालन किया जा सके। वहीं दिल्ली व बरेली रूट पर बसों का संचालन बढ़ाने की बात कही। उन्होंने टाइम ऑफिस पहुंचकर चालकों परिचालकों का प्रतिदिन का डीजल औसत देखा और पुरानी बसें होने के बावजूद भी 4.94 किमी. का औसत देख संतोष जताया।

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