Tehari News: सड़क हादसों में कमी के लिए ग्राउंड जीरो पर होगा काम, सड़कों को सुरक्षित करने का प्रयास

प्रशासन और सड़क सुरक्षा से जुड़े तमाम विभाग हर वर्ष जागरूकता अभियान से लेकर चेकिंग और सड़कों की हालत पर मंथन कर कार्ययोजना तैयार कर हादसों को रोकने का प्रयास करते हैं लेकिन उसके बाद भी सड़क हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं।

By gobind pokhriaEdited By: Publish:Mon, 28 Nov 2022 11:47 PM (IST) Updated:Tue, 29 Nov 2022 03:28 AM (IST)
Tehari News: सड़क हादसों में कमी के लिए ग्राउंड जीरो पर होगा काम, सड़कों को सुरक्षित करने का प्रयास
जिले में सड़क दुर्घटना रोकने और सड़कों की स्थिति सुधारने के लिए गंभीर प्रयासों की जरूरत है।

जागरण संवाददाता, नई टिहरी: जिले में सड़क दुर्घटना रोकने और सड़कों की स्थिति सुधारने के लिए गंभीर प्रयासों की जरूरत है। प्रशासन और सड़क सुरक्षा से जुड़े तमाम विभाग हर वर्ष जागरूकता अभियान से लेकर चेकिंग और सड़कों की हालत पर मंथन कर कार्ययोजना तैयार कर हादसों को रोकने का प्रयास करते हैं, लेकिन उसके बाद भी सड़क हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। इन्हीं सब मुद्दों पर ‘दैनिक जागरण’ ने टिहरी गढ़वाल के जिलाधिकारी डा. सौरभ गहरवार का साक्षात्कार कर उनसे सड़क हादसों को रोकने और कमी लाने के प्रयास और आगामी कार्य योजनाओं पर उनकी मंशा जानी। 

सवाल: जिले की अधिकतर सड़कों में पैराफिट और क्रैश बैरियर नहीं लगे है, जबकि दुर्घटना रोकने में ये बेहद अहम होते हैं। सभी सड़कों पर इन्हें लगाने में विलंब क्यों हो रहा है।

जवाब: जिले में संवेदनशील डार्क स्पाट्स को लगातार चिह्नित किया जाता है द्य जो स्पाट या सड़कें डेंजर जोन में आते हैं, वहां पर प्राथमिकता पर क्रैश बैरियर, पैराफिट, नाइट ब्लिंकर्स, सफेद पट्टी इत्यादि बनाए जाते हैं। प्रयास है कि अधिकतर सड़कों को यातायात की दृष्टि से सुरक्षित कर सकें। इसके अतिरिक्त यह भी बताना चाहूंगा कि पूरे जिले में एक साथ पैराफिट, क्रैश बैरियर लगाने में कई व्यावहारिक परेशानियां भी सामने आती हैं, लेकिन जहां पर ज्यादा खतरा है, वहां पर प्राथमिकता के साथ सुरक्षा प्रबंध किए जाते हैं।

सवाल: सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में आए सुझाव क्या शत-प्रतिशत अमल में लाए जाते हैं।

जवाब: सड़क सुरक्षा समिति की बैठक हर तीन माह में होती है। बैठक में जो भी सुझाव आते हैं, उन्हें प्राथमिकता पर पूरा किया जाता है। जो विभाग अपने दायित्व को पूरा नहीं करता है, उसे बैठक में कार्य पूरा न होने का कारण बताना पड़ता है। सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में हर वर्ष जिले में ब्लैक स्पाट और डेंजर जोन का चिह्निकरण किया जाता है और उसके बाद उक्त डेंजर जोन को यातायात की दृष्टि से सुरक्षित बनाया जाता है। इस वर्ष हमारे जिले में पांच ब्लैक स्पाट में एक भी हादसा नहीं हुआ है, क्योंकि वहां पर सुरक्षा मानकों के अनुरूप प्रबंध किए गए। 

सवाल: जिला मुख्यालय की सड़कों से लेकर जिले में अन्य सड़कों पर गड्ढ़े बहुत हैं। इस समस्या के निदान के लिए क्या तैयारी है।

जवाब: नगर से लेकर जिले के सभी मार्गों को दुरुस्त करने के लिए समय-समय पर संबंधित विभागों को दिशा-निर्देश दिए जाते हैं एवं निर्देशों के पालन की समीक्षा भी की जाती है। इसमें लापरवाही बरतने वाले विभागीय अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाती है। गड्ढामुक्त सड़कों के लिए राज्य सरकार की तरफ से भी निर्देश दिए गए हैं और हमारा पूरा प्रयास है कि जिले में किसी भी सड़क पर गड्ढा न हो। इसके लिए सभी विभागों को कड़े निर्देश जारी किए गए हैं। मैं खुद समय-समय पर सड़कों का निरीक्षण भी करता हूं और विभागीय समीक्षा करता हूं।

सवाल: सड़क दुर्घटना के बाद जिले के अस्पतालों में प्राथमिक उपचार के बाद घायल रैफर कर दिए जाते हैं। स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो सके इसके लिए क्या योजना है।

जवाब: सड़क दुर्घटनाओं के समय पहली प्राथमिकता घायलों को प्राथमिक उपचार की होती है। उसके बाद उन्हें बेहतर उपचार के लिए हायर सेंटर में रेफर किया जाता है। हमारा और स्वास्थ्य विभाग का पूरा प्रयास रहता है कि हादसे के तत्काल बाद घायलों को गोल्डन आवर में समय पर अस्पताल पहुंचाया जाए। अब बड़े हादसों के दौरान हेली रेस्क्यू कर घायलों को हायर सेंटर भेजा जाता है। 

सवाल: पहाड़ों में अधिकतर अनफिट वाहन सड़कों पर संचालित हो रहे हैं। इन पर लगाम कसने के लिए प्रशासन की क्या तैयारी है।

जवाब: अनफिट वाहनों की धरपकड़ के लिए संभागीय परिवहन विभाग लगातार चेकिंग अभियान चलाता है। पुलिस भी ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ एक्शन लेती है। जागरूकता अभियान के तहत भी अनफिट वाहनों का संचालन न करने की अपील की जाती है।

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