नागटिब्बा में बिखरा है समृद्धि का खजाना, दुनियाभर में प्रसिद्ध है यहां पाई जाने वाली वज्रदंती

प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नागटिब्बा पर्यटन के लिहाज से ही नहीं दुर्लभ प्रजाति की जड़ी-बूटियों के लिए भी मशहूर है।

By Edited By: Publish:Mon, 23 Dec 2019 03:01 AM (IST) Updated:Mon, 23 Dec 2019 08:42 PM (IST)
नागटिब्बा में बिखरा है समृद्धि का खजाना, दुनियाभर में प्रसिद्ध है यहां पाई जाने वाली वज्रदंती
नागटिब्बा में बिखरा है समृद्धि का खजाना, दुनियाभर में प्रसिद्ध है यहां पाई जाने वाली वज्रदंती

नैनबाग(टिहरी), जेएनएन। टिहरी जिले का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नागटिब्बा पर्यटन के लिहाज से ही नहीं, दुर्लभ प्रजाति की जड़ी-बूटियों के लिए भी मशहूर है। यहां पाई जाने वाली वज्रदंती तो दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यही वजह है कि पर्यटकों के अलावा जड़ी-बूटी विशेषज्ञ भी समय-समय पर यहां आते रहते हैं। हालांकि, जरूरी सुविधाओं के अभाव में कोई यहां ठहरना पसंद नहीं करता।

जिला मुख्यालय नई टिहरी से 130 किमी दूर जौनपुर ब्लॉक का यह प्रसिद्ध पर्यटक स्थल समुद्रतल से दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। मुख्य मार्ग से इसकी पैदल दूरी छह किमी है। घने जंगल के बीच फैले इस हरे-भरे मैदान से हिमाच्छादित चोटियां साफ दिखाई पड़ती हैं। सर्दियों में अधिकांश समय यहां बर्फ जमी रहती है। प्रकृति की इसी सुंदरता को आत्मसात करने हर साल छह हजार से अधिक पर्यटक और ट्रैकर यहां पहुंचते हैं।

अधूरा है पर्यटन सर्किट से जोड़ने का सपना

नागटिब्बा पर्यावरण समिति के अध्यक्ष देवेंद्र सिंह पंवार और ग्रामीण गंभीर सिंह चौहान के अनुसार नागटिब्बा को पर्यटन सर्किट से जोड़ने की बात हुई थी, लेकिन अभी तक इस दिशा में कारगर प्रयास नहीं हुए। यदि पर्यटकों के लिए यहां खाने-ठहरने के बेहतर इंतजाम हों तो क्षेत्र की किस्मत संवर सकती है।

यह भी पढ़ें: अमेरिका तक मशहूर हैं थारू जनजाति के मूंज उत्पाद, पढ़िए पूरी खबर 

देवलसारी से शुरू होता है असली ट्रैक

नागटिब्बा के लिए एक रास्ता मसूरी से सुवाखोली, थत्यूड़, बंगसील और देवलसारी होते हुए जाता है। देवलसारी से ही नागटिब्बा के लिए असली ट्रैक शुरू होता है। यहां से नागटिब्बा 12 किमी की दूरी पर है। अधिकतर ट्रैकर इसी ट्रैक को इस्तेमाल करते हैं। वहीं, प्रभागीय वनाधिकारी कहाकशां नसीम ने बताया कि मसूरी मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत यहां पर सुविधाएं बहाल करने के लिए प्रस्ताव शासन को भेज दिए गए हैं। स्वीकृति मिलते ही कार्य शुरू कर दिए जाएंगे। 

यह भी पढ़ें: फल-फूलों की खेती को बनाया उन्नति का आधार, बढ़ने लगा कारोबार

ऐसे पड़ा नागटिब्बा नाम

नागटिब्बा में नागराजा का प्राचीन मंदिर भी है, जो क्षेत्र के लोगों की आस्था का केंद्र है। इसी निमित्त यहां हर साल जून में धार्मिक और पर्यटन मेले का आयोजन होता है। नाग देवता का स्थान होने के कारण ही इसका नाम नागटिब्बा पड़ा।

यह भी पढ़ें: अमेरिका तक मशहूर हैं थारू जनजाति के मूंज उत्पाद, पढ़िए पूरी खबर 

chat bot
आपका साथी