जरुरत थी गाड़ी की, दे दी बर्फ काटने की कुल्हाड़ी
जागरण संवाददाता,नई टिहरी:आपदा के समय प्रबंधन के दावे तो हर बार किए जाते है,लेकिन टिहरी में आपदा प्रबंधन के लिए एक विशेष वाहन तक नहीं है। बर्फ काटने वाली कुल्हाड़ी की कोई जरुरत न होने के बावजूद यहां थोक के भाव में दी गई हैं।
आपदा की दृष्टि से संवेदनशील टिहरी गढ़वाल में आपदा प्रबंधन का काम जुगाड़ भरोसे चल रहा है। आपदा के दौरान अचानक कहीं जाने के लिए एक विशेष वाहन तक आपदा प्रबंधन टीम के पास नहीं है। इस वजह से आपदा पीड़ितों के रेस्क्यू अभियान में लगने वाले उपकरण सामान्य गाड़ियों में माल की तरह भरकर ले जाए जाते हैं। घनसाली के नौताड़ तोक में आपदा आने के दौरान टावर इंफ्लेटेबल जेनरेटर को भी इसी तरह गाड़ी में ले जाया गया जिससे चार लाख रुपये का जेनरेटर खराब हो गया और लाइट नहीं जल पाई। दूसरे जेनरेटर का हाल भी यही हुआ। आठ लाख रुपये के दो जेनरेटर सिर्फ रखरखाव और वाहन न होने के कारण खराब हो गए। आपदा के दौरान टीम के जाने में भी काफी देर वाहनों का प्रबंध करने में ही लग जाती है। वहीं आइस एक्स जिले में थोक के भाव दी गई हैं। करीब दस हजार रुपये की एक कुल्हाड़ी होती है। यह कुल्हाड़ी ग्लेशियर या बर्फ काटने के काम आती है और उच्च हिमालयी क्षेत्र में प्रयोग की जाती है, लेकिन टिहरी में 40 से ज्यादा कुल्हाड़ी दी गई हैं। वहीं आपदा प्रबंधन टीम के पास टार्च भी कम क्षमता की हैं और महज कुछ घंटे ही चल पाती है। आपदा प्रबंधन अधिकारी आशीष सेमवाल का कहना है कि आपदा प्रबंधन के उपकरण ले जाने के लिए वाहन की कमी है। दूसरे वाहनों से ही काम चलाया जा रहा है। अन्य सभी उपकरण हमारे पास हैं।