कुली बेगार प्रथा के सौ वर्ष पूरे होने पर होगा कार्यक्रम

अंग्रेजों की ओर से शुरू की गई कुली बेगार प्रथा के खिलाफ ककोड़ाखाल में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 10 Jan 2021 02:58 AM (IST) Updated:Sun, 10 Jan 2021 02:58 AM (IST)
कुली बेगार प्रथा के सौ वर्ष   पूरे होने पर होगा कार्यक्रम
कुली बेगार प्रथा के सौ वर्ष पूरे होने पर होगा कार्यक्रम

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: अंग्रेजों की ओर से शुरू की गई कुली बेगार प्रथा के खिलाफ ककोड़ाखाल में ठीक सौ वर्ष पूर्व 12 जनवरी को क्राति शुरू हुई थी। अंग्रेज अधिकारियों को विरोध के चलते यहां से रातोंरात जान बचाकर भागना पड़ा। इस ऐतिहासिक घटना के सौ वर्ष पूर्ण होने पर ककोड़ाखाल में विभिन्न संगठनों की ओर से एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

क्षेत्र के सामाजिक कार्यकत्र्ता एवं जनता उच्चतर माध्यमिक स्कूल के प्रबंधक समिति के अध्यक्ष ईश्वर सिंह बिष्ट ने बताया कि 19 वीं सदी की शुरुआत में अंग्रेजों ने कुली बेगार प्रथा शुरू की थी। इसके खिलाफ समय-समय पर विरोध की आवाज उठी। लेकिन 12 जनवरी 1921 को जिले के ककोड़ाखाल में उस समय के समाजसेवी अनुसूया प्रसाद बहुगुणा के नेतृत्व में पूरी तल्लानागपुर के लोगों ने भ्रमण पर आए अंग्रेज अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर विरोध जताया। अंग्रेजों ने लाठीजार्च भी किया, जिसमें कई ग्रामीण घायल हुए, लेकिन भारी जनसमूह के आगे अंग्रेजों की एक न चली और उन्हें भागकर अपनी जान बचानी पड़ी। इस विरोध क्रांति के बाद सारी गांव के कई लोगों को जेल हुई थी। केदार सिंह बिष्ट की जेल में ही मृत्य हो गई थी। इसके बाद यह आंदोलन पूरे गढ़वाल में फैल गया। अंग्रेजों ने आंदोलन को समाप्त करने के तमाम प्रयास किए लेकिन वह सफल नहीं हो सके। इस प्रथा के तहत निश्शुल्क श्रम कराया जाता था। अवमानना पर कठोर दंड का विधान था।

इस घटना को 12 जनवरी को एक सौ साल पूरे हो रहे हैं, जिसे याद करते हुए ककोड़ाखाल में कार्यक्रम आयोजन की तैयारियां चल रही हैं। इसमें बुद्धिजीवी इतिहासकार, सामाजिक कार्यकत्र्ता और स्थानीय व्यक्तियों के सहयोग से कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

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