जल संरक्षण में भी बाधक बन रही है जिले की लचर संचार सेवा
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: जिले की लचर संचार व्यवस्था जल संरक्षण के कार्य में भी बाधक साबित हो
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: जिले की लचर संचार व्यवस्था जल संरक्षण के कार्य में भी बाधक साबित हो रही है। स्रोतों के पुनरोद्धार के लिए होने वाली जियो टैगिंग का कार्य संचार सेवा में व्यवधान के चलते नहीं हो पा रहा है। स्रोतों के पुनरोद्वार का कार्य करने के लिए अब मात्र 23 दिन का समय बचा हुआ है।
प्रदेश भर में नौ मई से 30 जून तक जल संचय, जल संरक्षण और जल संवर्द्धन के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत जल स्रोतों का पुनरोद्धार भी होना है। सीमांत जिले पिथौरागढ़ में इस अभियान के तहत 89 परंपरागत जल स्रोतों का पुनरोद्धार होना था, लेकिन 35 स्रोतों पर ही वर्तमान में काम चल रहा है। शेष स्रोतों पर काम शुरू नहीं हो सका है। पुनरोद्धार का कार्य मनरेगा योजना के तहत कराया जाना है, जिसके लिए जियो टैगिंग होनी अनिवार्य है, ताकि काम किसी तरह की डुप्लीकेसी न हो सके, लेकिन सीमांत जिले की लचर संचार सेवा के चलते जियो टैगिंग का काम अब तक नहीं हो पाया है। जिले की मुनस्यारी और धारचूला तहसील में सबसे ज्यादा दिक्कत आ रही है। जिला विकास अधिकारी गोपाल गिरी ने बताया कि संचार सेवा के चलते दिक्कत आ रही है, बावजूद इसके जियो टैगिंग का काम जल्द पूर कर स्रोतों के संरक्षण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। जिलाधिकारी सी.रविशंकर ने अभियान के तहत अब तक हुए कार्यो की समीक्षा की और निर्धारित समय में कार्य पूरे कराने के निर्देश देते हुए कहा कि सभी कार्यो के फोटोग्राफ उपलब्ध कराए जाए।