नारी ने हर क्षेत्र में छोड़ी अपनी प्रतिभा का छाप

पिथौरागढ़ स्थित संस्कृत पुस्तकालय में मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Oct 2020 04:40 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 02:39 AM (IST)
नारी ने हर क्षेत्र में छोड़ी अपनी प्रतिभा का छाप
नारी ने हर क्षेत्र में छोड़ी अपनी प्रतिभा का छाप

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: संस्कृत पुस्तकालय में मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें कितनी बदली है औरत/नारी दुनिया में विषय पर विचार गोष्ठी हुई। कवियों ने स्वरचित कविताओं के माध्यम से नारी सशक्तीकरण पर अपने उद्गार प्रकट किए।

गोष्ठी की शुरू आत करते हुए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के संयोजक डा. पीतांबर अवस्थी ने कहा कि दुनिया तो एक ही है। कोई इसे पिछड़ी दुनिया कहता है तो कोई इसे आधी दुनिया, जबकि औरत इसे अपना संसार, अपना जगत और अपनी दुनिया कहती है। औरत की इस दुनिया में उसका सब कुछ निहित होता है। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कवि नीरज चंद्र जोशी ने अपनी कविता धन्य है मां जिसने बेटी को जन्म दिया है के माध्यम से अपने विचार रखे। डा. प्रमोद कुमार श्रोत्रिय ने नवरात्र भी जीवट तपस्या.. के जरिए नारी सशक्तीकरण पर बल दिया। लक्ष्मी आर्या ने बेटा मेरी बेटी से नहीं कहना.. के माध्यम से बेटा-बेटी के भेदभाव को मिटाने का संदेश दिया। डा. आनंदी जोशी ने जिसका वजूद प्रकृति की हर सौगात से भारी है.. के जरिए समाज को जागरू क करने की कोशिश की। मंजुला अवस्थी ने पीढि़यों की परंपराएं यदि बाधक होती.. के माध्यम से समाज में नारी के महत्व पर प्रकाश डाला। गोष्ठी का संचालन डा. प्रमोद कुमार श्रोत्रिय ने किया। गोष्ठी में जयश्री लोहनी, हेमा, मोहनी देवी, कैलाश, मनोज आदि ने भी विचार रखे। ========= हजारों बार गिरती है मगर थकती नहीं चीटी.. संवाद सहयोगी, लोहाघाट : रिडिफाईनिंग पोयट्री सावन इन के तत्वावधान में रविवार कोआनलाइन राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न प्रांतों से जुडे़ कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। गोष्ठी की अध्यक्षता मेरठ के प्रख्यात कवि डा. कृष्ण कुमार बेदिल एवं संचालन डा. सतीश चन्द्र पाण्डेय ने किया। डा. अजय रस्तोगी अविरल ने- हजारों बार गिरती है मगर थकती नहीं चीटी.., दिल्ली के कवि राजू पाण्डेय ने-पड़ोसी से पूछता हाल.., चम्पावत के हिमाशु जोशी ने-इस बोझ भरे जीवन से तो स्कूल का बस्ता अच्छा था.., हल्द्वानी के पवन पाण्डेय ने-इस कलियुग में हे प्रभु अब क्यों तुम चुप बैठे.., सीतापुर के प्रज्ञा शुक्ला ने बनूं मैं जानकी तेरी.., दिल्ली से गीता कुमारी ने-अनदेखा अनजाना बैरी कोरोना.., इलाहाबाद से रिषि कुमार ने बेरोजगारी पर अपनी कविता प्रस्तुत की। इस दौरान अजमेर से पूर्णिमा शर्मा, पीलीभीत से देशबंधु मिश्रा, अल्मोड़ा से धीरेन्द्र कुमार जोशी, टीआर रौथाण, दिल्ली से बंशीधर पाण्डेय, पंजाब से विनय शास्त्री, कानपुर से प्रभात पाण्डेय, पीलीभीत के अभिषेक शुक्ला, अनु सिंघला, रामप्रसाद आर्य आदि कवियों ने भी अपनी रचनाएं पेश की।

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