उच्च हिमालय में हाइक-फ्लाई का पहला प्रयोग सफल

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: दुनिया भर में तेजी से लोकप्रिय हो रही साहसिक खेलों की नई विधा ह

By JagranEdited By: Publish:Mon, 11 Jun 2018 10:11 PM (IST) Updated:Mon, 11 Jun 2018 10:11 PM (IST)
उच्च हिमालय में हाइक-फ्लाई का पहला प्रयोग सफल
उच्च हिमालय में हाइक-फ्लाई का पहला प्रयोग सफल

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: दुनिया भर में तेजी से लोकप्रिय हो रही साहसिक खेलों की नई विधा हाइक एंड फ्लाई का पहला प्रयोग उच्च हिमालयी क्षेत्र में सफल रहा। पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन की टीम ने 14 हजार फिट की ऊंचाई पर स्थित पंचाचूली बेस कैंप में पहुंचकर पैराग्लाइडिंग की सफल उड़ान भरी। इस प्रयोग की सफलता से उत्तराखंड में पर्यटन को नई ऊंचाईयां मिलने की उम्मीद है।

साहसिक खेलों की नई विधा पर्यटक पहाड़ों में पैदल लंबी दूरी तय करते हैं। गंतव्य पर पहुंचकर पैराग्लाइडिंग के जरिए उड़ान भरकर वापस लौटते हैं। दुनिया भर में यह विधा भी से लोकप्रिय हो रही है। यूरोप से शुरू हुई यह विधा अब उत्तराखंड में भी पहुंच गई है।

उत्तराखंड पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन के सचिव और अंतर्राष्ट्रीय पायलट शंकर सिंह की अगुवाई में पिथौरागढ़ जिले की सीमांत तहसील धारचूला की दारमा वैली में इस नई विधा की संभवानाओं का पता लगाया। उन्होंने बताया कि टीम के सदस्यों ने दारमा वैली में दस हजार फिट से चौदह हजार फिट की ऊचाई पर हाइकिंग(ट्रैकिंग)की और चौदह हजार फिट की ऊंचाई से दस हजार फिट तक वापसी के लिए पैराग्लाइडर से उड़ान भरी। यह प्रयोग सफल रहा। उन्होंने बताया कि जिले की दारमा वैली में इस नए साहसिक खेल की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। प्रकृति ने मुक्त हस्त से इस क्षेत्र को संवारा है। खूबसूरत दृश्यों के साथ ट्रैकिंग के लिए हर सुविधा उपलब्ध है। ऊंचाई वाले क्षेत्र में अनेक ऐसे स्थल हैं जहां से पैराग्लाइडिंग आसानी से की जा सकती है। हवा की गति यहां बहुत अच्छी रहती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चल रही होम स्टे योजना से पर्यटकों के लिए आवास भोजन आदि की भी कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने इस खेल को बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास करने की जरूरत बताते हुए कहा कि सरकार विदेशों में इसका प्रचार प्रसार करे तो यह रोजगार का एक बढि़या माध्यम तो साबित होगा ही साथ ही प्रदेश सरकार के खजाने में भी बढ़ोत्तरी करेगा।

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