देवदार गांव में चुनाव का पूर्ण बहिष्कार

पिथौरागढ़ विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में देवदार गांव में मतदान का पूर्ण बहिष्कार रहा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Nov 2019 08:15 PM (IST) Updated:Tue, 26 Nov 2019 06:14 AM (IST)
देवदार गांव में चुनाव का पूर्ण बहिष्कार
देवदार गांव में चुनाव का पूर्ण बहिष्कार

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संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : पिथौरागढ़ विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में जिला मुख्यालय से 8 किमी दूर देवदार के ग्रामीणों ने चुनाव का पूर्ण बहिष्कार किया। 461 मतदाताओं वाले प्राथमिक विद्यालय देवदार मतदान केंद्र में किसी ने भी वोट नहीं डाला। ग्रामीणों को मनाने के लिए प्रेक्षक, रिटर्निंग अधिकारी, सहायक रिटर्निंग अधिकारी देवदार गांव पहुंचे, मगर ग्रामीण अपनी बात पर अडिग रहे। ग्रामीणों ने कहा कि जब तक उन्हें सड़क सुविधा का लाभ नहीं मिल जाता वह आने वाले चुनावों का भी इसी तरह बहिष्कार करते रहेंगे। बता दें कि भाजपा जिलाध्यक्ष भी इसी क्षेत्र के रहने वाले हैं।

देवदार के ग्रामीण सड़क के लिए लंबे समय से संघर्षरत हैं। वर्ष 1952 में संगाटा से वन विभाग डाक बंगले से भिलौत के लिए 10 किमी लंबी सड़क काटी गई थी। हालांकि, इस सड़क से देवदार ग्रामसभा भी जुड़ गई, लेकिन ग्रामीणों को आज तक इस सड़क का कोई लाभ नहीं मिल पाया है। गांव के बीमार, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक पहुंचाना ग्रामीणों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। ग्रामीणों ने कहा कि सड़क सुधारीकरण की मांग को लेकर कई बार अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया जा चुका है, मगर कोई भी उनकी समस्याओं को सुनने के लिए तैयार नहीं हैं, जिस कारण ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार करने का फैसला किया।

इधर, ग्रामीणों के मतदान बहिष्कार की सूचना मिलने पर प्रेक्षक राशिद खान, सहायक रिटर्निंग अधिकारी डॉ. विद्यासागर कापड़ी देवदार गांव पहुंच गए। उन्होंने मतदाताओं को मतदान हेतु प्रेरित किया, मगर ग्रामीण नहीं माने। शाम चार बजे रिटर्निंग अधिकारी तुषार सैनी ने भी गांव पहुंचकर ग्रामीणों को समझाया, मगर ग्रामीण चुनाव बहिष्कार पर अडिग रहे। इस मौके पर ग्राम प्रधान रोशन सिंह वल्दिया, सुरेंद्र मोसाल, रमेश कोहली, राम सिंह वल्दिया, नरेंद्र मोसाल, गणेश वल्दिया आदि ग्रामीण मौजूद थे।

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क्या कहते हैं ग्रामीण

गांव के बीमार व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं को डोली के सहारे तीन किमी पैदल चलकर मुख्य सड़क तक पहुंचाया जाता है। इस दौरान कई बीमार बुजुर्ग रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। सड़क ठीक होती तो यह समस्या नहीं आती।

नरेंद्र सिंह वल्दिया।

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चुनाव के समय नेता लोग पैदल चलकर वोट मांगने आते हैं और सड़क ठीक करने का आश्वासन देते हैं। चुनाव जीतने के बाद ग्रामीणों की कोई सुध नहीं ली जाती है। यदि सड़क ठीक नहीं की गई तो ग्रामीण किसी भी चुनाव में बूथ पर वोट डालने नहीं जाएंगे।

सुनील थापा

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संगाटा से भिलौत को जोड़ने वाली सड़क बेहद खस्ताहाल है। इस सड़क में स्कूल बस, 108 वाहन, गैस वाहन, शव यात्रा के वाहन तक नहीं आ पाते हैं। ग्रामीणों को मजबूरन चुनाव बहिष्कार करना पड़ा।

रोशन वल्दिया, नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान देवदार।

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सड़क नहीं होने से ग्रामीणों का पूरा दिन स्कूली बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने-लाने में ही व्यतीत हो जाता है। सड़क के अभाव में कई अभिभावक अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए गांव से पलायन कर चुके हैं।

कुंदन सिंह मोसाल।

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