राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय पहुंचा हुड़ेती के अनिल का चारधाम मॉडल
संवाद सहयोगी पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से सटे हुड़ेती गांव के विख्यात शिल्पी अनिल कुमार बेरोजगार
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: जिला मुख्यालय से सटे हुड़ेती गांव के विख्यात शिल्पी अनिल कुमार बेरोजगार युवाओं में रोजगार की अलख जगा रहे हैं। काष्ठकला में निपुण अनिल व उनकी टीम अब तक विश्व प्रसिद्ध चारधाम समेत कई धार्मिक व ऐतिहासिक मॉडल तैयार कर चुकी है। उनके द्वारा तैयार किए गए चारधाम मॉडल से उन्हें आज राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल चुकी है। उनका चारधाम मॉडल राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय में पहुंच गया है। रामनाथ कोविंद ने भी अनिल की प्रतिभा की सराहना की है।
हुड़ेती गांव निवासी 37 वर्षीय अनिल कुमार, पुत्र होशियार राम को काष्ठशिल्प में महारत हासिल है। वह विगत डेढ़ दशकों से अपनी टीम के साथ कई धार्मिक व ऐतिहासिक धरोहरों का निर्माण कर रहे हैं। अब तक वह नारायण आश्रम, मोस्टमानू, थलकेदार के कई मॉडल तैयार कर चुके हैं। कुछ समय पूर्व उनकी टीम ने उत्तराखंड के विश्वप्रसिद्ध चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री धाम पर मॉडल तैयार किया। उनके चारधाम मॉडल को लोगों ने खूब पसंद किया। प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को भी यह मॉडल खूब पसंद आया। बीते दिनों महाराज चारधाम मॉडल के साथ अनिल कुमार व उनके साथी मुकेश कुमार को लेकर दिल्ली राष्ट्रपति भवन पहुंचे। जहां अनिल ने राष्ट्रपति के सम्मुख चारधाम का मॉडल प्रस्तुत किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद चारधाम का मॉडल देखकर काफी प्रभावित हुए। उन्होंने अनिल के हुनर की सराहना करते हुए उन्हें शाबासी दी। राष्ट्रपति से मिलकर अनिल व मुकेश गदगद हैं। राष्ट्रपति से मुलाकात कर लौटे अनिल ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का विशेष रू प से आभार व्यक्त किया है।
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चारधाम मॉडल की मांग 15 देशों से आई
अनिल व उनकी टीम द्वारा तैयार किया गया चारधाम मॉडल को इतना सराहा गया है कि इसकी मांग 15 देशों से आई है। अनिल ने बताया कि दिल्ली के सेंटर कॉटेज एंपीरियम ने भी चारधाम मॉडल की मांग उनसे की है। इसके अलावा उन्हें मोस्टमानू मंदिर के 2 मॉडल और नारायण आश्रम के 10 मॉडलों की डिमांड भी आई है। अनिल ने बताया कि एक मॉडल को तैयार करने में करीब तीन माह का समय लग जाता है। वर्तमान में उनके साथ 8 लोग काम कर रहे हैं। अनिल को धार्मिक स्थल बनाने की प्रेरणा अपने दादा स्व. गंभीर राम से मिली। अनिल का कहना है कि उनका मुख्य उद्देश्य गांवों से हो रहे पलायन को रोककर यहां स्वरोजगार स्थापित कर भटकते युवाओं का आत्मनिर्भर बनाना है। अनिल ने कहा कि उनका अगला लक्ष्य देश के ऐतिहासिक धरोहरों को बनाना है।