दवा पर नहीं अंधविश्वास पर विश्वास

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: विज्ञान की पहुंच भले ही घर-घर हो, लेकिन अब भी कई बातों पर अंधविश्वास

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 May 2017 05:53 PM (IST) Updated:Thu, 25 May 2017 05:53 PM (IST)
दवा पर नहीं अंधविश्वास पर विश्वास
दवा पर नहीं अंधविश्वास पर विश्वास

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: विज्ञान की पहुंच भले ही घर-घर हो, लेकिन अब भी कई बातों पर अंधविश्वास हावी है। लोग अब भी इलाज के बजाय झाड़ फूक पर विश्वास करते हैं। पीलिया के इलाज के लिए पर्वतीय समाज में इलाज के लिए दवा से अधिक झाड़ फूक पर विश्वास किया जाता है। चिकित्सक भले ही इसे अंधविश्वास बताते हों परंतु पीलिया के मरीज इसे कारगर मानते हैं।

जिले में पीलिया के उपचार के लिए अस्पतालों में नहीं अपितु पीलिया झाड़ने वालों के आवास पर अधिक भीड़ लगी रहती है। बताते हैं कि एक बार झाड़ फूक के बाद ही उन्हें फायदा होने लगता है। कुछ ही दिनों में रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है। अधिकांश लोगों का कहना है कि एक बार झाड़ने के बाद दूसरी बार पीलिया की बीमारी भी नहीं होती है।

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मंत्र उपचारित तेल सिर में डालते हैं

पिथौरागढ़: पीलिया झाड़ने की विद्या में महारत पिथौरागढ़ के चंडाक से लगे मैला गांव के 90 वर्षीय गोपाल सिंह बिष्ट पीलिया की झाड़ फूक में माहिर हैं। सिर पर कटोरे में सरसों का तेल रखकर वह मंत्रों से इसका उपचार करते हैं। मंत्रित किया तेल बाद में सिर पर डाला जाता है। इस तेल को कई दिनों तक रोगी सिर पर डालते हैं। बिष्ट रोगियों को परहेज बताते हैं।

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बुधवार और रविवार को ही झाड़ा जाता है पीलिया

पिथौरागढ़: उपचार कहें या अंधविश्वास मंत्र बल से पीलिया झड़वाने का कार्य बुधवार और रविवार को ही होता है। अतीत से ही इन दो दिनों में ही पीलिया झड़वाने की परंपरा रही है। मैला गांव के गोपाल सिंह बिष्ट के आवास पर दो दिन सुबह से ही पीलिया के रोगियों की भीड़ लग जाती है। मुश्किल से पांच मिनट के भीतर एक रोगी का पीलिया की झाड़ फूक का कार्य हो जाता है।

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चिकित्सक से कम नहीं मानते हैं रोगी

पिथौरागढ़: पीलिया झड़वाने के लिए मैला गांव पहुंचे रोगी गोपाल सिंह बिष्ट को किसी चिकित्सक से कम नहीं मानते हैं। साथी के उपचार के लिए पिथौरागढ़ से पहुंचे एक युवक बताते हैं कि उनके पुत्र को पीलिया हो गया था। वह झाड़ने के बाद ही ठीक हुआ और वह अब पीलिया के रोगी साथी को इसी विश्वास के कारण यहां लाए हैं। सल्ला चिंगरी गांव निवासी तथा ऐंचोली में रहने वाली एक महिला कहती हैं कि उन्होंने दवा भी ली और अन्य स्थानों पर भी पीलिया झड़वाया है परंतु यहां पर ही झड़वाने से उनका रोग ठीक होगा।

मनोवैज्ञानिक उपचार है पीलिया झड़वाना

जिला अस्पताल के फिजीशियन डॉ. दिनेश धर्मशक्तू का कहना है कि पीलिया झड़वाना चिकित्सा का विषय नहीं है। वायरल हैपेटाइटिस पीलिया वायरस के कारण होता है। इसमें रोगी के सिंटम देख कर उपचार किया जाता है, परहेज तथा दवाईयों से लीवर अपने आप अपने को कवर कर लेता है। इस पीलिया में झड़वाना मनोवैज्ञानिक कारण हो सकता है। ऑब्सेट्रिक जॉडिंस में यह मनोवैज्ञानिक उपचार काम नहीं आता है। चिकित्सक रोगी को इसके लिए सलाह भी नहीं देते हैं।

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