उत्तराखंड बनने के बाद बिखरता गया पौड़ी, जानिए वजह

उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही पौड़ी लगातार बिखरता जा रहा है। इसकी एक ही वजह है जो पलायन है।

By Edited By: Publish:Sun, 16 Dec 2018 03:00 AM (IST) Updated:Sun, 16 Dec 2018 08:44 PM (IST)
उत्तराखंड बनने के बाद बिखरता गया पौड़ी, जानिए वजह
उत्तराखंड बनने के बाद बिखरता गया पौड़ी, जानिए वजह

पौड़ी, जेएनएन। पहाड़ी क्षेत्रों से पलायन का जिक्र आता है तो सबसे पहले पौड़ी का नाम लिया जाता है। हालिया पलायन आयोग की रिपोर्ट भी यही कहती है। वजह भी करीब-करीब साफ है। विषम भौगोलिक परिस्थितियां और बुनियादी सुविधाओं के अभाव के साथ ही रोजगार का सृजन न होना। इस सबके बीच दुखद पहलू यह है कि जो कुछ यहां है, वह भी बिखर सा गया है। अब मंडलीय कार्यालयों को ही लें तो अधिकारियों का दून मोह मंडल मुख्यालय पर ही भारी पड़ रहा है।

उत्तर प्रदेश शासनकाल में गढ़वाल मंडल मुख्यालय पौड़ी का खूब रौब हुआ करता था। पृथक उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यहां वीरानी छा गई है। विकास के नाम पर क्या हुआ, क्या नहीं हुआ, सभी वाकिफ हैं, लेकिन जो कुछ है वह भी महज नाम का जैसा नजर आता है। मंडलीय कार्यालय हैं, तो कुछ कार्यालय ऐसे हैं, जिनके अधिकारी कभी-कभार ही यहां दर्शन देते हैं। साफ है कि ऐसे मंडलीय अधिकारियों का देहरादून मोह मंडल मुख्यालय पर भारी पड़ रहा है। 

कई अधिकारी देहरादून में ही कैंप कार्यालय सजाए बैठे हैं। दुखद पहलू यह है कि इसे रोकने के आदेश होते भी हैं, लेकिन कुछ दिन बाद भी फिर पहले जैसा हाल हो जाता है। इस ज्वलंत मुद्दे पर न तो अधिकारी गंभीर हैं और न ही जनप्रतिनिधियों ने ही इस पर चिंतन करने की जरूरत महसूस की है। 

ये हैं मंडलीय कार्यालय

आयुक्त, अपर आयुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल मंडल, मुख्य अभियंता लोनिवि, मुख्य अभियंता जलनिगम, उप निदेशक पशुपालन, अपर शिक्षा निदेशक प्रारंभिक शिक्षा, अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक शिक्षा, निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, महाप्रबंधक जल संस्थान, अपर निदेशक कृषि, संयुक्त निदेशक उद्यान, संभागीय परिवहन अधिकारी, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी आदि के अलावा ग्राम्य विकास का निदेशालय। 

सहायक खेल निदेशक का कार्यालय भी हुआ दून शिफ्ट 

पहाड़ी क्षेत्रों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए पौड़ी में सहायक निदेशक खेल का कार्यालय स्थापित किया गया था। तब यहीं से गढ़वाल के अन्य जनपदों में खेल से जुड़ी सूचनाएं आदान-प्रदान होती थी। करीब डेढ़ साल पूर्व इस कार्यालय को भी दून शिफ्ट कर दिया गया। अब यहां महज जिलास्तरीय खेल कार्यालय रह गया है। 

प्रकृति ने सजाया, अपनों ने बिगाड़ा 

पर्यटन स्थल पौड़ी भले ही आज तक पर्यटन मानचित्र पर अपनी जगह नहीं बना पाया हो, लेकिन प्रकृति ने इस शहर को जितना संवारा है, लगता है अपनों ने उससे उतनी ही दूरी बनाई। यहां का कंडोलिया क्षेत्र, चारों तरफ हरे भरे जंगल और सामने बर्फीली चोटियां, हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। इसी मार्ग से कई मंडलीय अधिकारी भी अपने गंतव्य को जाते हैं, लेकिन आज तक ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला, जिसने प्रकृति के इस नूर को पर्यटन मानचित्र पर लाने की दिशा में कोई पहल की हो। महज इसे मिनी रोप-वे से जोड़ने की घोषणाएं होती रही, असल में कुछ भी नहीं।

आयुक्त कार्यालय से समय-समय पर मंडलीय कार्यालयों का निरीक्षण किया जाता है। पूर्व में कमिश्नरी से ही मंडलीय अधिकारियों के लिए निर्देश जारी हुए थे कि यदि वे शासकीय कार्य से मुख्यालय छोड़ेंगे तो उसकी सूचना आयुक्त कार्यालय को देंगे। फिर भी मंडलीय अधिकारी कार्यालयों में नहीं बैठ रहे हैं, तो इसका औचक निरीक्षण कर उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जाएगी। हरक सिंह रावत, अपर आयुक्त, गढ़वाल मंडल पौड़ी गढ़वाल।

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