जैव विविधता का मानव हित में उपयोग जरूरी

जागरण संवाददाता श्रीनगर गढ़वाल गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिक

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Oct 2019 07:47 PM (IST) Updated:Mon, 14 Oct 2019 06:12 AM (IST)
जैव विविधता का मानव हित में उपयोग जरूरी
जैव विविधता का मानव हित में उपयोग जरूरी

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल:

गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से संचालित राष्ट्रीय कार्यशाला हिमालय क्षेत्र के जलीय जैव विविधता पारिस्थितकी तंत्र और पर्यावरण की स्थिति पर विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे।

गढ़वाल विवि के चौरास सभागार में चल रही तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का रविवार को समापन किया गया। अंतिम दिन तकनीकी सत्र में गढ़वाल केंद्रीय विवि के जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर प्रकाश नौटियाल ने देश के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में बहते जल के जलीय जैव विविधता को लेकर किए गए तुलनात्मक शोध कार्य का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि जैव विविधता का उपयोग मानव हित में प्राथमिकता से किया जाना जरूरी है। जंतु विज्ञानी प्रोफेसर ओपी गुसांई ने कहा कि जलीय कीट जलीय पर्यावरण की दशा के सूचक होते हैं। प्रोफेसर रचना नौटियाल ने डाईएटम को जैव सूचक बताया। प्रोफसर सिंह को भी समर्पित की कार्यशाला

कार्यशाला में गढ़वाल विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष और इलाहाबाद विवि के पूर्व कुलपति प्रोफसर एचआर सिंह का विशेष रूप से स्मरण किया। गढ़वाल विवि में विभाग की स्थापना और विकास को लेकर उनके अमूल्य योगदान की भरपूर सराहना करते हुए कार्यशाला के तीसरे दिन के सत्र को प्रोफेर एचआर सिंह के नाम भी समर्पित किया गया। ग्रीनलैंड के जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर दिया व्याख्यान

डेनमार्क के वैज्ञानिक प्रोफेसर नील्सक्रोअर और प्रोफेसर डीनजैकोवसन की अध्यक्षता में संचालित द्वितीय तकनीकी सत्र में डेनमार्क के प्रोफेसर ओलेग्रीज हेंसन ने ग्रीनलैंड के जलीय पारिस्थितिकी तंत्र और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर व्याख्यान दिया। इससे पूर्व प्रोफेसर एके डोबरियाल ने जलीय जीवों में भिन्नता और पर्यावरण में उनके संरक्षण व महत्व के बारे में बताया। डॉ. दीपक भंडारी ने मध्य हिमालयी क्षेत्र में पायी जाने वाली मछली की विभिन्न प्रजातियों व उनके पारिस्थितिकी के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत की। डेनमार्क के प्रोफेसर क्रिस्टन ने आर्कटिक क्षेत्रों के जलाशयों में पाए जाने वाले जलीय कीटोन पर जलवायु परिवर्तन के पड़ने वाले प्रभावों के बारे में बताया।

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