लिथोट्रिप्सी मशीन खराब, मरीज परेशान

करीब तीन करोड़ की लागत से कोटद्वार के बेस चिकित्सालय में लगी लिथोट्रिप्सी मशीन पूरी तरह शो-पीस बनी हुई है। इससे गुर्दे में पथरी के मरीज उपचार के लिए दूसरे शहरों में भटकने को विवश हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 02 Jul 2022 05:28 PM (IST) Updated:Sat, 02 Jul 2022 05:28 PM (IST)
लिथोट्रिप्सी मशीन खराब, मरीज परेशान
लिथोट्रिप्सी मशीन खराब, मरीज परेशान

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: करीब तीन करोड़ की लागत से कोटद्वार के बेस चिकित्सालय में लगी लिथोट्रिप्सी मशीन पूरी तरह शो-पीस बनी हुई है। इससे गुर्दे में पथरी के मरीज उपचार के लिए दूसरे शहरों में भटकने को विवश हैं। दरअसल, मशीन दो साल से खराब पड़ी है और शासन के पास मशीन की मरम्मत के लिए बजट नहीं है।

बता दें कि वर्ष 2016 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशालय से कोटद्वार के बेस चिकित्सालय को करीब तीन करोड़ की लागत से लिथोट्रिप्सी मशीन आवंटित की गई। इस मशीन के जरिये गुर्दे की पथरी वाले मरीजों का उपचार बिना चीरफाड़ के किया जाता है। फरवरी 2020 तक इस मशीन के जरिये 63 मरीजों की पथरी का उपचार हुआ। कोविड काल में मशीन से उपचार बंद हो गए और कोविड संक्रमण काल समाप्त होने के बाद जब मशीन को पुन: शुरू किया गया तो मशीन ने कार्य करना बंद कर दिया। चिकित्सालय प्रशासन ने संबंधित कंपनी से वार्ता की। कंपनी प्रबंधन ने वारंटी समय पूर्ण होने के कारण मरम्मत से इन्कार कर दिया। साथ ही मशीन की मरम्मत के लिए व्यापक रखरखाव अनुबंध (सीएमसी) करने संबंधी प्रस्ताव चिकित्सालय प्रशासन को भेज दिया। साढ़े सोलह लाख में अटकी है गाड़ी

चिकित्सालय प्रशासन को भेजे व्यापक रखरखाव अनुबंध (सीएमसी) प्रस्ताव में कंपनी ने चिकित्सालय प्रबंधन से साढ़े सोलह लाख रुपये की मांग की है। इस धनराशि से कंपनी वर्ष भर मशीन में आने वाले तकनीकि समस्याओं का निराकरण करेगी। चिकित्सालय प्रशासन ने यह प्रस्ताव महानिदेशक कार्यालय में भेज दिया। आज तक महानिदेशक कार्यालय से प्रस्ताव पर हरी झंडी दिखाते हुए धनराशि अवमुक्त नहीं की गई है। चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डा.केआर आदित्य ने बताया कि चिकित्सालय की ओर से महानिदेशक कार्यालय को इस संबंध में लगातार पत्र भेजे जा रहे हैं। कहा कि संबंधित कंपनी से अनुबंध होने के बाद मशीन की मरम्मत हो जाएगी। इस तरह कार्य करती है मशीन

चिकित्सालय में लगाई गई लिथोट्रिप्सी मशीन के जरिये गुर्दे की पथरी को बगैर चीर-फाड़ के बाहर निकाला जाता है। करीब तीन करोड़ की लागत वाली इस मशीन से निकलने वाली ध्वनि तरंगों से गुर्दे की पथरी टूट जाती है और बाद में पथरी के बारीक कण पेशाब नली के रास्ते बाहर निकल जाते हैं।

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