..और तीन दिन में ही गायब हुआ सेवाभाव
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: केवल सेवाभाव को लेकर बेस अस्पताल में न्यूरो सर्जन का कार्य करने का
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: केवल सेवाभाव को लेकर बेस अस्पताल में न्यूरो सर्जन का कार्य करने का दावा करने वाले डॉक्टर की सेवा भावना तीन दिनों में ही फुर्र हो गई। देहरादून जाकर उन्होंने देहरादून में ही कार्य करने का अवसर देने का अनुरोध चिकित्सा शिक्षा निदेशक से किया। जिसे उन्होंने नामंजूर कर दिया गया।
बीते 30 सितंबर को बेस अस्पताल में न्यूरो सर्जन के पद पर तैनात हुए डॉ. अनिल मनचंदा ने बातचीत में कहा था कि वह श्रीनगर केवल जनता की सेवा करने की भावना से आए हैं। 20 सालों तक विदेश में रहकर उन्होंने धन कमाया है। अब वह केवल सेवाभाव से कार्य करना चाहते हैं और इसीलिए उन्होंने श्रीनगर के बेस अस्पताल को चुना। पहाड़ में कार्य करने का यह एक अच्छा अवसर भी मिला है। दूरस्थ क्षेत्रों के रोगियों का वह इलाज करना चाहते हैं, लेकिन उनकी दिखायी गयी यह सेवाभावना तीन दिनों में ही फुर्र हो गयी। वह दो अक्टूबर को बिना बताए ड्यूटी से गायब हो गए और 10 अक्टूबर को देहरादून में चिकित्सा शिक्षा निदेशक से मिलकर देहरादून में ही कार्य करने का अवसर देने को कहा। जिसे निदेशक ने स्वीकार नहीं किया। लोगों का कहना है कि दरअसल न्यूरो सर्जन डॉ. अनिल मनचंदा शुरू से ही देहरादून में ही कार्य करने के इच्छुक थे। अवसर नहीं मिलने के कारण उन्होंने श्रीनगर के बेस अस्पताल के जरिए दून आने की सोची। लेकिन चिकित्सा शिक्षा निदेशक ने उनके अनुरोध को ठुकरा दिया।