संवेदनहीन 'तंत्र', उजाले की राह ताकता 'जन'

डॉ.एपी ध्यानी, रिखणीखाल : 'जन' के प्रति 'तंत्र' की संवेदनहीनता का प्रत्यक्ष प्रमाण प्रखंड रिखणीखा

By Edited By: Publish:Wed, 03 Feb 2016 01:01 AM (IST) Updated:Wed, 03 Feb 2016 01:01 AM (IST)
संवेदनहीन 'तंत्र', उजाले की राह ताकता 'जन'

डॉ.एपी ध्यानी, रिखणीखाल :

'जन' के प्रति 'तंत्र' की संवेदनहीनता का प्रत्यक्ष प्रमाण प्रखंड रिखणीखाल की ग्रामसभा नावे तल्ली के तोकग्राम टांडियूं में देखा जा सकता, जहां के वा¨शदे आजादी के 68 वर्ष बाद भी अंधेरे में जीवन यापन करने को विवश हैं। करीब डेढ़ दशक पूर्व गांव में विद्युतीकरण की एक उम्मीद जगी भी, लेकिन ऊर्जा निगम के भंडार गृह में गांव तक लाइट पहुंचाने के लिए पांच विद्युत पोल भी उपलब्ध नहीं हो पाए। अब विभाग ने गांव में विद्युतीकरण को प्रस्ताव तैयार किया है, लेकिन गांव कब तक जगमग होगा, यह अभी भविष्य के गर्त में छिपा है।

वर्ष 2001-02 में जब राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत ग्राम सभा नावे तल्ली में विद्युतीकरण का कार्य शुरू हुआ तो 16 परिवार वाले ग्राम टांडियूं के वा¨शदों में भी अपने गांव के रोशन होने की उम्मीद जग गई, लेकिन उनकी उम्मीदों को उस वक्त झटका लगा, जब विभागीय अधिकारियों ने उनके गांवों को योजना में शामिल करने से इंकार कर दिया। 15 वर्ष गुजर गए हैं, लेकिन आज भी ग्राम टांडियूं के वा¨शदे अंधेरे में ही जीवन यापन को विवश हैं। भौगोलिक स्थिति की बात करें तो ग्राम सभा नावे तल्ली के दो तोक ग्राम हैं, जिनमें भंडूखाल व टांडियूं शामिल हैं। तोकग्राम भंडूखाल में उसी दौरान विद्युतीकरण हो गया था, जब नावे तल्ली में विद्युतीकरण किया गया, लेकिन टांडियूं गांव आज भी विद्युतीकरण की बाट जोह रहा है। तीनों गांव एक-दूसरे से करीब आधा-आधा किमी. की दूरी पर स्थिति हैं। नावे तल्ली की आबादी वर्तमान में करीब 250 है, जबकि भंडूखाल में 12 परिवार निवास कर रहे हैं।

ग्राम टांडियूं निवासी पूर्व प्रधान बचन ¨सह की माने तो वर्ष 2001-02 में ग्राम नावे तल्ली, नावे मल्ली व गवाणा को विद्युतीकरण के लिए चिह्नित किया गया था। नावे तल्ली में विद्युतीकरण के साथ ही भंडूखाल में भी विद्युतीकरण हो गया, लेकिन उनके गांव को अधिकारियों ने यह कहकर विद्युतीकरण से वंचित कर दिया कि उनके गांव का सूची में नाम दर्ज नहीं है। श्री ¨सह की माने तो भंडूखाल में किस आधार पर विद्युतीकरण हुआ, इसका अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं था।

ढिबरी की लौ भी पड़ गई मंद

केंद्र की ओर से केरोसिन का कोटा घटाने के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में केरोसिन (मिट्टी तेल) की आपूर्ति काफी कम हो गई है। नतीजा, ग्रामीणों को महीनों-महीनों तक ढिबरी (छोटा लैंप) जलाने को भी कैरोसिन नहीं मिल पाता। ऐसे में ग्रामीणों के पास घरों को रोशन करने के लिए भीमल के सरकंडे (छिल्ले) ही एक मात्र उपाय रह जाता है।

प्रस्ताव तैयार, जगी उम्मीदें

करीब डेढ़ दशक के बाद ग्राम टांडियूं के वा¨शदों में एक बार फिर गांव के विद्युतीकरण की उम्मीद जगी है। ऊर्जा निगम के कोटद्वार डिवीजन ने गांव में विद्युतीकरण के लिए प्रस्ताव तैयार किया है। योजना के तहत गांव तक विद्युत पहुंचाने के लिए पांच पोल की डिमांड की गई है।

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'तमाम तोक ग्रामों में विद्युतीकरण के लिए दीनदयाल ज्योति योजना के तहत प्रस्ताव तैयार कर दिए गए हैं। टांडियूं में भी विद्युतीकरण किया जाना है। मुख्यालय स्तर पर जल्द ही विद्युतीकरण को टेंडर प्रक्रिया की जाएगी।

अनिल कुमार वर्मा, अधिशासी अभियंता, ऊर्जा निगम, कोटद्वार मंडल'

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