भारी पड़ी 'रैना', जागते रहे 'नैना'

जागरण संवाददाता, कोटद्वार : शुक्रवार की रात गिवई गदेरा पूरे उफान पर था। गदेरे में बह रहे पानी का शोर

By Edited By: Publish:Sat, 01 Aug 2015 06:07 PM (IST) Updated:Sat, 01 Aug 2015 06:07 PM (IST)
भारी पड़ी 'रैना', जागते रहे 'नैना'

जागरण संवाददाता, कोटद्वार : शुक्रवार की रात गिवई गदेरा पूरे उफान पर था। गदेरे में बह रहे पानी का शोर जहां रात के सन्नाटे को चीर रहा था, वहीं आसपास की बस्तियों में रहने वालों के दिलों में खौफ भी पैदा कर रहा था। दरअसल, गत फरवरी माह से इस गदेरे से लगी गिवई पहाड़ी के दरकने से गदेरे का बहाव बाधित हो रहा है। ऐसे में यदि गदेरे में झील बनती है तो आस-पास की बस्तियां बर्बाद हो जाएंगी।

सनद रहे कि गत फरवरी माह में गिवईं पहाड़ी के दरकने से जहां एक ओर नदी का स्तर काफी ऊपर उठ गया, वहीं पहाड़ी से गिरे मलबे ने नदी का बहाव भी रोक दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने भूगर्भ विभाग से गिवई पहाड़ी का सर्वे करवाया। सर्वे टीम ने अपनी रिपोर्ट में पहाड़ी से हो रहे भूस्खलन को खतरा बताते हुए इसके ट्रीटमेंट के उपाय सुझाए, जो कि अभी तक नहीं हो पाए हैं।

इधर, शुक्रवार शाम क्षेत्र में हुई तेज बारिश के कारण बीती रात गिवई गदेरा पूरे उफान पर आ गया, जिससे गदेरे के दोनों ओर बसी बस्तियों में भय का माहौल पैदा हो गया। इसे सौभाग्य ही कहा जाए कि नदी के तेज बहाव ने गिवई पहाड़ी से गिरे मलबे को बहा दिया, जिससे नदी के बहाव को मार्ग मिल गया। यदि मार्ग न खुलता तो नदी का बहाव बस्ती की ओर हो जाता।

इधर, शनिवार सुबह उप जिलाधिकारी जीआर बिनवाल ने गदेरे का मौका-मुआयना किया। उप जिलाधिकारी ने बताया कि गदेरे से लगे डग (गाड़ी धोने का स्थान) को सुरक्षा के दृष्टिगत खाली कराया जा रहा है। बताया कि बस्ती के दोनों ओर सटे उन मकानों को चिह्नित कर लिया गया है, जिन पर गदेरे से खतरा पैदा हो सकता है। बताया कि यदि जरूरत पड़ी तो इन परिवारों को अन्यत्र शिफ्ट भी किया जाएगा।

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