coronanavirus lockdown : तीन हफ्ते से बिस्कुट खाकर गाजियाबाद में कट रही है पहाड़ के युवक की जिंदगी

प्रवासी लोगों के पहाड़ लौटने का सिलसिला जारी होने के बावजूद अब भी कई लोग दिल्ली गाजियाबाद नोएडा आदि जगहों पर फंसे हुए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 15 May 2020 09:48 AM (IST) Updated:Fri, 15 May 2020 09:48 AM (IST)
coronanavirus lockdown : तीन हफ्ते से बिस्कुट खाकर गाजियाबाद में कट रही है पहाड़ के युवक की जिंदगी
coronanavirus lockdown : तीन हफ्ते से बिस्कुट खाकर गाजियाबाद में कट रही है पहाड़ के युवक की जिंदगी

हल्द्वानी, जेएनएन : प्रवासी लोगों के पहाड़ लौटने का सिलसिला जारी होने के बावजूद अब भी कई लोग दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा आदि जगहों पर फंसे हुए हैं। इन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि औरों की तरह उन्हें भी घर बुलाने की व्यवस्था की जाए। गाजियाबाद में फंसे देवीधुरा के युवकों ने बताया कि पैसों की कमी के कारण पिछले तीन हफ्ते से जैसे-तैसे बिस्कुट खाकर गुजारा कर रहे हैं। परेशानियां लगातार बढ़ रही है। 

देवीधुरा के भैंसरक गांव निवासी राकेश चम्याल, हरीश सिंह बिष्ट, दीपक रावत व गोविंद बिष्ट ने बताया कि गांव में रोजगार की व्यवस्था नहीं होने पर जनवरी में वह लोग पंजाब के भटिंडा चले गए। जहां आठ-दस हजार रुपये में बेकरी की दुकान पर काम करने लगे। 22 मार्च को लॉकडाउन लगते ही काम-धंधा बंद हो गया। जिसके बाद सबने घर लौटने का फैसला लिया। 

पांच दिन पैदल चलने के बाद एक महीना पहले पैदल ही गाजियाबाद पहुंचे। यहां से बगैर पास आगे जाने से मना करने पर चार हजार रुपये में कमरा लिया। तब से इस आस में बैठे है कि कब सरकारी गाड़ी से घर पहुंचेंगे। राकेश ने बताया कि खाने के लिए किसी के पास पैसे नहीं बचे। और मकान मालिक भी बार-बार कमरा खाली करने को कह रहा है। जिससे दिक्कत और बढ़ गई। फंसे हुए लोगों ने बताया कि गाजियाबाद में बड़ी संख्या में अटके कुमाऊं के लोग घर जाने की बाट जो रहे हैं।

गाजियाबाद से पैदल पहुंची अनीता 

नैनीताल निवासी अनीता की दास्तान भी कुछ ऐसी ही है। नैनीताल जिले की निवासी अनीता गाजियाबाद के एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करती थी। लॉकडान के कारण जॉब चली गई। तो दुकानदार ने उधार राशन देना भी बंद कर दिया। मकान मालिक ने मकान छोड़ने के लिए दबाव बनाया तो संगीता सैकड़ों किमी पैदल सफर पर निकल पड़ीं। काशीपुर के उत्तराखंड - यूपी की सीमा पर सूर्या चौकी बॉर्डर उसने पुलिसकर्मियों से अपना दर्द साझा किया। जिसके बाद वहां बस से गृह जनपद भेजा गया।

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