वाटर कमीशन की टीम ने प्रस्तावित जमरानी बांध का किया निरीक्षण

सेंट्रल वाटर कमीशन (सीडब्ल्यूसी) की उच्च अधिकारियों की टीम 47 वर्षो से लंबित जमरानी बांध के प्रस्तावित क्षेत्र का निरीक्षण करने पहुंची।

By Edited By: Publish:Mon, 23 Apr 2018 09:44 PM (IST) Updated:Tue, 24 Apr 2018 04:56 PM (IST)
वाटर कमीशन की टीम ने प्रस्तावित जमरानी बांध का किया निरीक्षण
वाटर कमीशन की टीम ने प्रस्तावित जमरानी बांध का किया निरीक्षण
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : बहुप्रतीक्षित जमरानी बांध के निर्माण की कवायद एक बार फिर तेज हो गई है। सोमवार को सेंट्रल वाटर कमीशन (सीडब्ल्यूसी) की उच्च अधिकारियों की टीम 47 वर्षो से लंबित जमरानी बांध के प्रस्तावित क्षेत्र का निरीक्षण करने पहुंची। टीम पूरे दो दिन यहां रहेगी। सीडब्ल्यूसी के मुख्य अभियंता सीकेएल दास ने रुद्रपुर, सितारगंज और हल्द्वानी के अधिकारियों के साथ जमरानी पहुंचे। टीम ने लोकेशन देखने के साथ अधिकारियों से बात करते हुए बांध निर्माण की दिशा में अब तक की प्रगति के बारे में जानकारी ली। प्रस्तावित डैम क्षेत्र की जमीन का क्षेत्रफल, लंबाई-चौड़ाई और भूमि अधिग्रहण मामले में भू स्वामियों को मुआवजे की भी जानकारी ली। मुआवजे पर अधिकारी स्पष्ट कुछ नहीं बता सके। बाद में मीडिया से बातचीत में दास ने कहा कि डैम क्षेत्र पूरी तरह सुरक्षित है। यहां किसी तरह की नक्सली जैसी समस्या नहीं हैं। इसके बावजूद लंबे समय बीतने के बाद भी डैम न बनने पर उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया। ::::::::::::::::: नक्शे से समझी डैम की लोकेशन सीडब्ल्यूसी अधिकारी ने प्रस्तावित डैम के गेट संख्या एक भीतर जाकर भी जायजा लिया। इसके बाद डैम के पूरे इलाके को मानचित्र के माध्यम समझने की कोशिश की। ::::::::::::: टीम करीब 3.20 लोकेशन पर पहुंची काठगोदाम स्थित सर्किट हाउस में कुछ देर आराम करने के बाद दोपहर 3 बजे टीम जमरानी के लिए रवाना हुई। 20 मिनट में टीम जमरानी पहुंची और सबसे पहले चूने से लाइन खींची गई। आठ रेड फ्लैग लगाकर प्रस्तावित डैम क्षेत्र का सीमांकन किया गया। ::::::::::::: एंबेसडर समेत चार गाड़ियों से आए अधिकारियों का काफिला एंबेसडर समेत चार गाड़ियों से पहुंचा था। सीडब्ल्यूसी के चीफ इंजीनियर दास के अलावा निदेशक पीयुष रंजन, बोमाल, ललित कुमार शर्मा के साथ ही सिंचाई विभाग के स्थानीय अधिकारी शामिल रहे। ::::::::::::: चीफ इंजीनियर ने पिया गौला का पानी दिल्ली से आए सीकेएल दास ने गौला नदी की बहती धारा के पास जाकर पानी पिया। बोले, पानी साफ और स्वच्छ है, आरओ की भी जरूरत नहीं है। ::::::::::: अधिकारियों के छूटे पसीने टीम के पहुंचने पर स्थानीय अधिकारियों की खूब कसरत हुई। गर्मी के दौरान फील्ड पर पहुंचे अधिकारियों के कुछ तो गर्मी ने पसीने छुड़ाए और कुछ बड़े अफसरों की मौजूदगी ने। अधिकारी बार-बार रुमाल से पसीना पोछते दिखे। ::::::::::::: चार सौ करोड़ अब तक हो चुके व्यय 1975-76 से लेकर अब तक करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन ग्राउंड लेबल पर बोर्ड के अलावा कुछ खास नहीं दिखता। विभागीय आंकड़ों के अनुसार जमरानी पर अब तक 178 कर्मचारी, 13 इंजीनियर सेवाएं दे चुके हैं। जबकि प्रोजेक्ट पर अब तक 400 करोड़ व्यय हो चुका है। :::::::::::: डैम के निर्माण में देरी के प्रमुख कारण - प्रस्तावित बांध स्थल के पास अमिया की पहाड़ी का लगातार दरकना। इसकी दरार गहरी और लंबी है। -गौला में बहकर आने वाली रेता-बजरी, सिल्ट बांध में भर जाने का अंदेशा। -खनन निकासी का खेल। इस व्यवसाय से जुड़े लोग बांध का निर्माण नहीं चाहते। - बांध के निर्माण में आ रहा बड़ा खर्च। 2850 करोड़ व्यय होने का अनुमान। ::::::::::::: टीम ने प्रस्तावित बांध क्षेत्र का तमाम पहलुओं को ध्यान मे रखते हुए गहनता से निरीक्षण किया है। मंगलवार को नहरों और गौला बैराज का जायजा लिया जाएगा। - सीएलके दास, चीफ इंजीनियर, सीडब्ल्यूसी
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