शंभू नदी से चैनल बनाकर पास किया जा रहा पानी, कुंवारी गांव से खतरा टला

बीते दिनों शंभू नदी में तालाब बनने की सूचना पर जिला प्रशासन हरकत में आया। टीम ने पांच दिनों तक मुहाना खोलने का काम किया। चैनल बनाकर 1050 क्यूसेक पानी भी निकलने लगा है। मुहाना भी खोलने में टीम का सफलता मिली है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Mon, 04 Jul 2022 06:01 PM (IST) Updated:Mon, 04 Jul 2022 06:01 PM (IST)
शंभू नदी से चैनल बनाकर पास किया जा रहा पानी, कुंवारी गांव से खतरा टला
तालाब बनने से कुंवारी और अन्य गांवों को कोई खतरा नहीं है।

जागरण संवाददाता, बागेश्वर: शंभू नदी से 1050 क्यूसेक पानी बहने लगा है। सिंचाई विभाग की टीम ने मुहाने पर 11 मीटर चौड़ा चैनल बना दिया है। उसके बाद टीम तहसील मुख्यालय लौट आई है। दलदली भूमि होने के कारण पोकलैंड से मलबा आदि हटाने का काम नहीं हो सका है। 

कुंवारी की पहाड़ से लगातार भूस्खलन हो रहा है। जिसके कारण फिर से नदी में तालाब बनने की संभावना बनी हुइ है। हालांकि सिंचाई विभाग के इंजीनियरों के अनुसार फिलहाल खतरा टल गया है। कुंवारी गांव की पहाड़ी से भूस्खलन की गति में अभी भी कोई अंतर नहीं आया है।

लगातार मलबा शंभू नदी की तरफ गिर रहा है। बीते दिनों शंभू नदी में तालाब बनने की सूचना पर जिला प्रशासन हरकत में आया। टीम ने पांच दिनों तक मुहाना खोलने का काम किया। चैनल बनाकर 1050 क्यूसेक पानी भी निकलने लगा है। मुहाना भी खोलने में टीम का सफलता मिली है। टीम बीते रविवार की देर शाम कपकोट लौट आई है। लेकिन भूस्खलन होने से अभी खतरा पूरी तरह से टला नहीं है।

हालांकि यहां तालाब बनने से कुंवारी और अन्य गांवों को कोई खतरा नहीं है। लेकिन चमोली जिले को भविष्य में इससे खतरा हो सकता है। जिसको लेकर सिंचाई विभाग बर्षात के बाद फिर से मलबा हटाने की कोशिश करेगी।

9.92 लाख रुपये का प्रस्ताव

सिंचाई विभाग ने शंभू नदी पर गिर रहे मलबे को हटाने के लिए 9.92 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाया है। जिसे जिला प्रशासन को भेजा है। 58 मीटर चौड़ा और 80 मीटर लंबा स्थान पर इस धनराशि से मलबा हटाया जाएगा। जिस स्थान पर मलबा है, वह दलदला हो गया है। जिसके कारण पोकलैंड आदि मशीनों का प्रयोग नहीं हो पा रहा है।

अधिशासी अभियंता जगत सिंह बिष्ट ने बताया कि कुंवारी की तरफ से मलबा लगातार आ रहा है। उसे रोका नहीं जा सकता है। शंभू नदी पर मुहाना बनने के बाद पानी बहने लगा है। 1050 क्यूसेक पानी एक साथ बह रहा है। अभी खतरा नहीं है। जाड़ों में फिर से मलबा हटाने की कोशिश की जाएगी।

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