डीडीहाट से चुनाव लड़ने से हरीश रावत का इनकार, प्रदीप पाल को कांग्रेस ने उतारा, जानें इस सीट का इतिहास

Uttarakhand Election 2022 हरदा ने डीडीहाट से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और मौका मिला प्रदीप सिंह पाल को। बता दें कि डीडीहाट विधानसभा सीट पर कांग्रेस वर्ष 1984 के बाद से चुनाव हार रही है। मात्र वर्ष 1993 में कांग्रेस को जीत मिली।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 23 Jan 2022 11:55 AM (IST) Updated:Sun, 23 Jan 2022 11:55 AM (IST)
डीडीहाट से चुनाव लड़ने से हरीश रावत का इनकार, प्रदीप पाल को कांग्रेस ने उतारा, जानें इस सीट का इतिहास
Uttarakhand Election 2022 : कांग्रेस ने डीडीहाट सीट से प्रदीप सिंह पाल को बनाया प्रत्याशी

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : भाजपा के बाद कांग्रेस ने भी प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। लोगों की निगाहें टिकी थीं कि हरीश रावत कहां से चुनाव लड़ेंगे। चर्चा थी कि वह डीडीहाट सीट से ताल ठोंक सकते हैं। उन्हीं के नाम पर ही पार्टी के नेताओं में एकराय भी थी। लेकिन हरदा ने डीडीहाट से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और मौका मिला प्रदीप सिंह पाल को। बता दें कि डीडीहाट विधानसभा सीट पर कांग्रेस वर्ष 1984 के बाद से चुनाव हार रही है। मात्र वर्ष 1993 में कांग्रेस को जीत मिली। यह कार्यकाल भी मात्र दो साल के आसपास रहा। लंबे अंतराल मं पार्टी का बिखराव और स्व. एनडी तिवारी और हरीश रावत के खेमे में बंटी कांग्रेस आज भी बदलाव जैसी हालत में नहीं है।

डीडीहाट सीट पर पहली बार विधायक के सभी दावेदार एक सुर में हरीश रावत को डीडीहाट से चुनाव लडऩे का आमंत्रण दे चुके हैं। लेकिन हरीश रावत ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। रावत के अलावा अन्य किसी दूसरे प्रत्याशी को टिकट मिलने पर पार्टी में अपनी -अपनी ढपली और अपना-अपना राग होना तय है। डीडीहाट सीट का पूर्व इतिहास देखा जाए तो कांग्रेस यहां से ब्राहृम्ण को प्रत्याशी बनाती आई है। डीडीहाट सीट बनने के बाद यहां से लगातार तीन बार कांग्रेस के स्व. गोपाल दत्त्त ओझा विधायक चुने गए। जनता पार्टी के बनने के बाद हुए चुनाव में जनसंघ के स्व. नारायण सिंह भैंसोड़ा विधायक चुने गए।

वर्ष 1980 के चुनाव में फिर से कांग्रेस के स्व. चारु चंद्र ओझा विधायक चुने गए। वर्ष 1984 में उक्रांद के काशी सिंह ऐरी विधायक चुने गए। वर्ष 1991 में काशी सिंह ऐरी जीते। वर्ष 1993 में कांग्रेस के स्व. लीला राम शर्मा विधायक चुने गए। वर्ष 1996 में भाजपा के विशन सिंह चुफाल ने काशी सिंह ऐरी का हरा कर इस सीट पर भाजपा का परचम लहराया। राज्य बनने के बाद हुए चार चुनावों से चफ़ाल विधायक हैं। कांग्रेस के लिए सीट सूखाग्रस्त बनी है।

वर्ष 2017 में इस सीट भाजपा के बागी किशन भंडारी चुनाव मैदान में उतरे । सीट पर लड़ाई भाजपा के चुफाल और भाजपा के बागी किशन भंडारी के मध्य रही। किशन भंडारी लगभग दो हजार के आसपास मतों से चुनाव हारे । इस बार फिर किशन सिंह भंडारी निर्दलीय चुनाव लडने वाले हैं। कांग्रेस 14 हजार के आसपास मत लाकर तीसरे स्थान पर पहुंच गई। इससे पूर्व हमेशा भाजपा और कांग्रेस के बीच संघर्ष होता था। भाजपा से इस बार फिर से विशन सिंह चुफाल प्रत्याशी है। इस बार कांग्रेस यहां पर एक नया प्रयोग करने का प्रयास कर रही है।

कांग्रेस के इस प्रयास को अभी तक हरीश रावत की तरफ संकेत नही मिला है। कांग्रेसी प्रत्याशियों की सूची का इंतजार कर रहे हैं। कांग्रेस जिलाध्यक्ष डीडीहाट नरेश द्विवेदी का कहना है कि दावेदारों की सहमति से हरीश रावत से चुनाव लडऩे का अनुरोध किया है। डीडीहाट मेंं विगत लंबे समय से भाजपा के विधायक हैं। इस बार जनता बदलाव चाहती है। प्रत्याशी जो भी होगा कांग्रेस एकजुट होकर चुनाव लड़ेगी ।

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