उत्तराखण्ड चुनाव 2022 : पूर्व सीएम हरीश रावत के सामने दुर्गापाल और डालाकोटी को मनाने की चुनौती

उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव 2022 रामनगर से बदलकर पूर्व सीएम हरीश रावत को लालकुआं से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद भी बगावत की आवाज को थामना पार्टी के लिए चुनौती होगी। संध्या डालाकोटी ने मोर्चा खोल दिया है तो पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश दुर्गापाल को मनाना भी मशक्कत करना होगा।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 27 Jan 2022 11:27 AM (IST) Updated:Thu, 27 Jan 2022 11:27 AM (IST)
उत्तराखण्ड चुनाव 2022 : पूर्व सीएम हरीश रावत के सामने दुर्गापाल और डालाकोटी को मनाने की चुनौती
उत्तराखण्ड चुनाव 2022 : हरीश रावत अब रामनगर की बजाय लालकुआं सीट से चुनाव लड़ेंगे।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : पूर्व मुख्यमंत्री और चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत अब रामनगर की बजाय लालकुआं सीट से चुनाव लड़ेंगे। देर रात जारी हुई पार्टी की सूची में हरीश रावत की सीट भी बदल दी गई। लालकुआं में पूर्व ब्लॉक प्रमुख संध्या डालाकोटी को टिकट मिलने के बाद से बगावत की पंचायतों का दौर शुरू हो गया था। ऐसे में असंतोष को शांत करने के लिए हरदा खुद मैदान में उतर चुके हैं। संध्या के विरोध में जुटे पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश दुर्गापाल और वरिष्ठ नेता हरेंद्र बोरा को हरदा का करीबी भी माना जाता है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पहले सल्ट सीट से चुनाव लड़ने वाले थे। 28 जनवरी को उन्हें नामांकन भी करना था। लेकिन कभी साये की तरह साथ रहने वाले और वर्तमान में कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत इसके विरोध में उतर गए थे। हरदा और रणजीत में 2017 के चुनाव बाद से नहीं बनती। वहीं, दूसरी सीट के चयन को लेकर हरीश रावत ने लालकुआं का नाम सुझाया। जिसके बाद पार्टी ने उनके कद को देखते हुए उन्हें लालकुआं से मैदान में उतरने को हरी झंडी दिखा दी।

अब संध्या को मनाना होगा

कांग्रेस के अंदर पिछले 48 घंटे के भीतर हुए घटनाक्रम काफी रोचक भी है। मंगलवार तक लालकुआं से घोषित उम्मीदवार संध्या डालाकोटी पार्टी के नाराज नेताओं को मनाने में जुटी थी। ताकि चुनाव में उन्हें सभी का साथ मिले। लेकिन अब पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री हरदा के लिए पार्टी को उन्हें मनाना पड़ेगा।

हरेंद्र राजी, दुर्गापाल को मनाना जरूरी

मंगलवार शाम हरेंद्र बोरा के समर्थकों ने फेसबुक पर बोरा व हरदा की फ़ोटो खूब वायरल की। यानी हरेंद्र इस सीट से हरीश रावत को लड़ाने पर राजी है। हालांकि, पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश दुर्गापाल को मनाने में थोड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। साल 2012 से 17 के बीच मे दुर्गापाल निर्दलीय विधायक थे। साथ ही पीडीएफ के कोटे से मंत्री भी बने।

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