हमारे परिवार का एक सदस्य हमसे दूर चला गया

जनसंघ और आरएसएस से जुड़े बुजुर्ग वेद प्रकाश अग्रवाल ने बताया कि सच पूछिए तो अटल बिहारी वाजपेयी का जाना हमारे लिए ऐसा है जैसे परिवार का कोई सदस्य चला गया।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 17 Aug 2018 01:43 PM (IST) Updated:Fri, 17 Aug 2018 05:01 PM (IST)
हमारे परिवार का एक सदस्य हमसे दूर चला गया
हमारे परिवार का एक सदस्य हमसे दूर चला गया

हल्द्वानी, [सतेंद्र डंडरियाल]: सच पूछिए तो अटल बिहारी वाजपेयी का जाना हमारे लिए ऐसा है जैसे परिवार का कोई सदस्य चला गया। मन बहुत भारी है, उनके बारे में कोई शब्द नहीं निकल रहे। जब से यह खबर सुनी उनकी तस्वीर आंखों में घूम रही है। हम बार-बार घर में उस जगह को देखते हैं जहां अटल बिहारी वाजपेयी आकर विश्राम करते थे, बैठा करते थे और बच्चों के साथ खेला करते थे। 

अटल के निधन से राजनीति के एक युग का अंत हो गया। अपने राजनीतिक जीवन में वह पांच बार हल्द्वानी आए तो उनका ठिकाना मेरा घर ही हुआ करता था, हम उन्हें अपने परिवार का सदस्य मानते थे।

अटल के बारे में यह अल्फाज कहते हुए हैं शहर के प्रमुख व्यवसायी और जनसंघ और आरएसएस से जुड़े बुजुर्ग वेद प्रकाश अग्रवाल स्मृतियों में खो जाते हैं। आवाज भारी होने लगती है और गला रुंध जाता है। उन्होंने बताया कि अटल जब उनके घर आया करते तो बच्चों से खूब प्यार करते। परिवार के बड़े सदस्यो को राजनीति के किस्से सुनाते तो बच्चों को अपनी कविताएं सुनाकर खुश करते। वेद प्रकाश आपातकाल और अटल से जुड़ी यादों को आज भी अपनी स्मृतियों में सहेज कर रखे हुए हैं। आरएसएस, जनसंघ और भाजपा से जुड़ा शायद ही कोई बड़ा नेता हो जो अग्रवाल के भोलानाथ गाडर्न स्थित घर पर न आया हो।

आलू के ट्रक से दिल्ली लौटे

25 जून सन 1975 को देश में आपातकाल लगा था और इसके बाद तीन जुलाई 1975 को आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया गया था। जिसकी यादें आज भी वेदप्रकाश अग्रवाल के दिलो दिमाग में ताजा हैं। रामपुर रोड स्थित अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान में अग्रवाल बताते हैं कि अटल जब अल्मोड़ा आए थे तो रात को दो बजे हल्द्वानी पहुंचे, यहां से सुबह चार बजे वह आलू के ट्रक में बैठकर दिल्ली रवाना हुए। अटल कई बार कुमाऊं आए, हल्द्वानी में हमारा घर ही वाजपेयी का ठिकाना हुआ करता था। तब उन्हें युवा हृदय सम्राट कहा जाता था। उन्होंने रामलीला मैदान में जनसभा को संबोधित भी किया। जनसंघ के संस्थापकों में शामिल रहे दीन दयाल उपाध्याय भी 1963 में ग्यारह दिन मेरे घर पर रहे। कुमाऊं में कम्युनिस्टों का प्रभाव बढ़ रहा था। इसके लिए 1990 के आसपास अल्मोड़ा में एक बड़ा सम्मेलन कराया गया, जिसमें संघ की विचारधारा से लोगों को परिचित कराया गया। 25 जून की मध्यरात्रि से आपातकाल लागू हुआ। नैनीताल जिले से पांच लोगों की गिरफ्तारी के आदेश हुए जिनमें सूर्यप्रकाश अग्रवाल, शिव शंकर अग्रवाल, दान सिंह बिष्ट, सुधीरकांत खंडेलवाल और स्वयं मैं वेदप्रकाश अग्रवाल शामिल थे। रात के बारह बजे हमारी गिरफ्तारी हुई।

हल्द्वानी में शाखा में शामिल हुए थे अटल

लंबे समय से आरएसएस से जुड़े रहे वेदप्रकाश अग्रवाल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नैनीताल जिले में जिला संघ चालक के पद पर रहे हैं। कुमाऊं में आरएसएस की गतिविधियों को बढ़ाने में उनकी भूमिका को अहम माना जाता है। इसलिए हमेशा उनका घर संघ की गतिविधियों का केंद्र रहा। जनसंघ के दीनदयाल उपाध्याय, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, संघ प्रचारक नानाजी देशमुख, दत्तोपंथ ठेंगड़ी, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, कलराज मिश्र, जनसंघ के अध्यक्ष रहे मौलिक चंद शर्मा सहित संघ के कई बड़े प्रचारक जब भी हल्द्वानी आते तो वेदप्रकाश अग्रवाल के घर जाना नहीं भूलते। अग्रवाल बताते हैं कि यह सन 1965 की बात होगी तब अटल बिहारी वाजपेयी हल्द्वानी आए तो उनकी शाखा में आना नहीं भूले।

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